शोधकर्ताओं को मिली बड़ी कामयाबी, अल्जाइमर से बचाव कर सकता है ब्रेन प्रोटीन
शोधकर्ताओं को भूलने की बीमारी अल्जाइमर के इलाज की दिशा में बड़ी कामयाबी मिली है। उन्होंने एक ऐसे ब्रेन प्रोटीन की पहचान की है जो इस बीमारी से बचाव कर सकता है।
आइएएनएस। शोधकर्ताओं को भूलने की बीमारी अल्जाइमर के इलाज की दिशा में बड़ी कामयाबी मिली है। उन्होंने एक ऐसे ब्रेन प्रोटीन की पहचान की है, जो इस बीमारी से बचाव कर सकता है। यह प्रोटीन मस्तिष्क में ह्वाइट ब्लड सेल्स को नियंत्रित करने का काम करता है। कम्युनिकेशंस बायोलॉजी जर्नल में छपे अध्ययन के अनुसार, सीडी33 नामक प्रोटीन की अल्जाइमर रोग से मुकाबले में अहम भूमिका हो सकती है।
यह प्रोटीन किसी व्यक्ति में इस रोग के खतरे को कम कर सकता है। कनाडा की अल्बर्ट यूनिवर्सिटी के असिस्टेंट प्रोफेसर मैथ्यू मैकाले ने कहा, ‘मस्तिष्क में माइक्रोग्लिया नामक प्रतिरक्षा कोशिकाओं की अल्जाइमर में अहम भूमिका होती है। ये नुकसानदेह या सुरक्षात्मक हो सकती हैं। माइक्रोग्लिया को नुकसानदेह से सुरक्षात्मक बनाना अल्जाइमर के इलाज के लिहाज से अहम हो सकता है।’ उन्होंने बताया कि सीडी33 प्रोटीन की माइक्रोग्लिया की कार्यप्रणाली में बदलाव लाने में अहम भूमिका पाई गई है।
कीटो डाइट भी अल्जाइमर रोग में मददगार
अल्जाइमर रोग से लड़ने में कीटो डाइट मदद कर सकती है। दरअसल, चूहों पर किए गए एक शोध से ये पता चला है। जिस समय अल्जाइमर रोग बढ़ रहा होता है इस वक्त इस तरह की डाइट न्यूरांस (तंत्रिका कोशिकाएं) को मरने से बचाते हैं। दरअसल, न्यूरांस का काम मस्तिष्क से सूचना का आदान-प्रदान और विश्लेषण करना है।
न्यूरोसाइंस सोसायटी के शोधकर्ताओं ने कहा कि जब शरीर में अल्जाइमर रोग विकसित होना शुरु होता है उस समय मस्तिष्क सबसे ज्यादा उत्तेजित होता है। इंटरन्यूरांस (विशेष न्यूरॉन) अन्य न्यूरांस के मुकाबले मस्तिष्क को ज्यादा सिग्नल भेजते हैं। ऐसे में उन्हें ज्यादा ऊर्जा की जरुरत होती है। इसी कारण जब इंटरन्यूरांस अल्जाइमर के प्रोटीन एमोलाइड बीटा के संपर्क में आते हैं ऐसे में उनके मरने की संभावना ज्यादा होती है।