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पहली बार सुखोई फाइटर जेट से ब्रह्मोस मिसाइल का सफल परीक्षण

जमीन के साथ-साथ अब ब्रह्मोस मिसाइल को हवा से भी दुश्‍मन के ठिकाने को बर्बाद करने के लिए इस्‍तेमाल किया जा सकता है।

By Tilak RajEdited By: Published: Wed, 22 Nov 2017 02:53 PM (IST)Updated: Wed, 22 Nov 2017 08:55 PM (IST)
पहली बार सुखोई फाइटर जेट से ब्रह्मोस मिसाइल का सफल परीक्षण
पहली बार सुखोई फाइटर जेट से ब्रह्मोस मिसाइल का सफल परीक्षण

नई दिल्ली, प्रेट्र।  भारत ने बुधवार को लड़ाकू विमान से ब्रह्माोस मिसाइल का सफल परीक्षण कर इतिहास रच दिया। अब तक कोई भी देश सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल को किसी फाइटर जेट से लांच नहीं कर पाया है। सुखोई-30 एमकेआइ से दागा गया निशाना सटीक रहा। मिसाइल ने अपने लक्ष्य को उड़ा डाला। इसके साथ ही एक और रिकॉर्ड बना। भारत दुनिया का ऐसा पहला देश बन गया है जिसके पास जमीन, समुद्र तथा हवा से मार कर सकने वाली सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है।

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रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण ने इस उपलब्धि के लिए डीआरडीओ को बधाई देते हुए इस विश्व रिकॉर्ड का जिक्र अपने ट्वीट में भी किया। वायुसेना के प्रवक्ता विंग कमांडर अनुपम बनर्जी के मुताबिक भारतीय वायुसेना दुनिया की पहली ऐसी एयरफोर्स है जिसने 2.8 मैक यानी ध्वनि की गति से 2.8 गुना तेज रफ्तार से हवा से जमीन पर मार करने वाली मिसाइल का टेस्ट किया है। इस सुखोई विमान ने पश्चिम बंगाल के कलाईकुंडा एयरबेस से उड़ान भर थी। मिसाइल की रेंज 400 किलोमीटर से ज्यादा है और भार करीब 2.5 टन है। यह मिसाइल सबसे पहले वर्ष 2005 में नौसेना को मिली थी।

नौसेना के सभी डेस्ट्रॉयर और फ्रीगेट युद्धपोतों में ब्रह्माोस मिसाइल लगी हुई है। थलसेना के पास भी ब्रह्माोस मिसाइल की तीन रेजीमेंट हैं। इनमें से दो चीन सीमा पर तैनात हैं और एक पाकिस्तान सीमा पर है। आज के सफल परीक्षण से चीन और पाकिस्तान की चिंता और बढ़ गई है।

ब्रह्मोस की खासियतें

ब्रह्मोस भारत के डीआरडीओ और रूस के एनपीओ मशीनोस्त्रोयेनियिा का संयुक्त उद्यम है।

-नाम भारत की 'ब्रह्मपुत्र' नदी और रूस की 'मस्कवा' को मिलाकर रखा गया है।

-यह मिसाइल कम ऊंचाई पर उड़ान भरती है। इसलिए रडार की पकड़ में नहीं आती है।

-यह विश्व की सबसे तेज सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है।

-अब इसे जमीन, हवा व समुद्र तीनों जगहों से दागा जा सकेगा।

-जमीन व समुद्र से दागने के सफल परीक्षण पहले ही हो चुके हैं। इसे थल व नौसेना में शामिल किया जा चुका है।

-ब्रह्मोस का पहला परीक्षण 12 जून, 2001 को सफलता पूर्वक किया गया था।

लक्ष्य ठिकाना बदले तो रास्ता बदलने में भी सक्षम

ब्रह्मोस ऐसी मिसाइल है कि दागे जाने के बाद रास्ता बदल सकने में भी सक्षम है। लक्ष्य तक पहुंचने के दौरान यदि टारगेट मार्ग बदल ले तो मिसाइल भी अपना रास्ता बदल लेती है। इस तरह यह मिसाइल अचूक निशाना साधती है।

Photos: सुखोई से ब्रह्मोस मिसाइल का सफल प्रक्षेपण, बना वर्ल्ड रिकॉर्ड, जानें क्या हैं खूबियां

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