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निजामुद्दीन दरगाह के दो मौलवियों को हिरासत में लेने के पीछे था ISI का हाथ

लाहौर में निजामुद्दीन दरगाह के दो मौलवियों को हिरासत में लिए जाने के पीछे आईएसआई का दिमाग काम कर रहा था। सुषमा स्‍वराज के दखल के बाद इन्‍हें छोड़ा गया था।

By Kamal VermaEdited By: Published: Sun, 26 Mar 2017 10:38 AM (IST)Updated: Sun, 26 Mar 2017 11:39 AM (IST)
निजामुद्दीन दरगाह के दो मौलवियों को हिरासत में लेने के पीछे था ISI का हाथ
निजामुद्दीन दरगाह के दो मौलवियों को हिरासत में लेने के पीछे था ISI का हाथ

नई दिल्ली (जेएनएन)। निजामुद्दीन दरगाह के दो मौलवियों को पाकिस्‍तान में हिरासत में लिए जाने के पीछे आईएसआई का हाथ माना जा रहा है। यह दोनों लाहौर में अपने एक रिश्‍तेदार के यहां पर गए थे, तभी उन्‍हें हिरासत में लेकर पाकिस्‍तान की खुफिया एजेंसी के अधिकारियों ने अज्ञात स्‍थान पर लेजाकर पूछताछ की थी।
एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक उपलब्ध सूचनाओं के आधार पर कहा जा रहा है कि हजरत निजामुद्दीन औलिया के प्रमुख मौलवी सैयद आसिफ निजाम और उनके भतीजे नजीम अली निजामी को पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ने इसलिए हिरासत में लिया था क्योंकि वे अक्सर पाकिस्तान दौरे पर जाया करते थे।

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दरअसल, आईएसआई को शक था उनके लगातार दौरों के पीछे कोई गुप्त अजेंडा था। अखबार ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि निजामी पाकिस्तान सिर्फ इसलिए जाते थे क्योंकि निजामुद्दीन दरगाह की दूर-दूर तक चर्चा है। पहले कहा जा रहा था कि इन दोनों ने सिंध की भी यात्रा की थी, लेकिन बाद में यह रिपोर्ट गलत पाई गई। आईएसआई को शक था कि इन दोनों ने मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट (एमक्‍यूएम) कार्यकर्ताओँ से संपर्क साधने की कोशिश की थी।

उनके हिरासत में लिए जाने के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों को लेकर फिर से चर्चा गर्माने लगी थी। पाकिस्‍तान की इस हरकत पर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की कड़ी प्रतिक्रिया व्‍यक्‍त की थी। मामले उनके दखल के बाद पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियों के पास इन्हें रिहा करने के अलावा कोई और चारा नहीं था। इससे पहले पाकिस्तानी अधिकारियों ने कहा था कि उन्हें भारतीय मौलवियों के बारे में कोई जानकारी नहीं है।

जबकि हकीकत यह थी कि आसिफ निजामी अपनी बहन के बुलावे पर पाकिस्तान गए थे और वह अपने भतीजे की तरह अक्सर पाकिस्तान दौरे पर नहीं जाते थे। सूत्रों का कहना है कि दोनों मौलवी पाकिस्तान में जाकर अनुयायियों से मिलना और दरगाह के लिए फंड जुटाना चाहते थे। दोनों से पूछताछ करने पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के हाथ कुछ खास नहीं आया।

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