Border Dispute: चीन को साफ संदेश, यथास्थिति की बहाली ही गतिरोध का हल
कमांडर स्तर की सातवें दौर की वार्ता नतीजों पर लगी निगाहें। पूर्वी लद्दाख में भारत के चुशुल सेक्टर में खबर लिखे जाने तक चल रही इस वार्ता के नतीजे अभी सामने आने बाकी हैं। यथास्थिति की बहाली हो इसको लेकर चीन को साफ संदेश।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। भारत ने चीन के साथ सोमवार को कमांडर स्तर की सातवें दौर की वार्ता में एक बार फिर पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर पूर्व स्थिति की बहाली के अपने रुख को दोहराया। इस वार्ता की अहमियत इस बात से आंकी जा सकती है कि दोनों देशों ने सैन्य कमांडरों के साथ विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों को भी वार्ता में शामिल किया।
पूर्वी लद्दाख में भारत के चुशुल सेक्टर में खबर लिखे जाने तक चल रही इस वार्ता के नतीजे अभी सामने आने बाकी हैं। मगर सैन्य गतिरोध के हल के लिहाज से बातचीत का यह दौर दोनों देशों के भविष्य की कूटनीतिक और सैन्य रणनीति को निर्धारित करेगा। भारत ने साफ संकेत दे दिए हैं कि एलएसी पर गतिरोध का स्थायी हल निकले बिना दक्षिणी पैंगोंग झील के करीब की ऊंची चोटियों पर तैनात भारतीय सैनिकों को हटाने की चीन की मांग भारत स्वीकार नहीं करेगा।
बता दें कि उत्तरी पैंगोंग झील के फिंगर इलाके में चीनी सैनिकों ने एलएसी का अतिक्रमण कर रखा है। चीन पर जवाबी दबाव बनाने के लिए ही अगस्त के आखिर में भारतीय सैनिकों ने दक्षिणी पैंगोंग झील की चोटियों पर तैनात होकर अपनी घेरेबंदी मजबूत कर ली थी। इससे बेचैन होकर चीन ने भारतीय सैनिकों को वहां से हटाने के लिए तीन बार धावा बोलने की कोशिश की मगर भारतीय सैनिकों ने उनके प्रयासों को नाकाम कर दिया। इसी हताशा में चीनी सैनिकों ने 40 साल बाद पहली बार एलएसी पर फायरिंग तक कर डाली। वार्ता के दौरान चीन का पूरा जोर इन इलाकों से भारतीय सैनिकों को हटाने पर है, लेकिन भारत पूरी एलएसी पर गतिरोध खत्म करने और सैनिकों को हटाने के सवाल पर समग्र रूप से कदम उठाने की हिमायत कर रहा है। कमांडर स्तर की वार्ता में भारतीय दल का नेतृत्व 14वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरजिंदर सिंह कर रहे हैं। बतौर कमांडर उनकी यह आखिरी वार्ता है और इसीलिए उनके साथ 14वीं कोर के अगले कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन भी भारतीय वार्ता दल में शामिल हैं। हरजिंदर सिंह इसी हफ्ते नेशनल मिलिट्री स्कूल, देहरादून की कमान संभालेंगे।
भारत और चीन के बीच छठे दौर की कमांडर वार्ता 21 सितंबर को हुई थी। इसमें दोनों देशों ने सीमा पर और सैनिक नहीं भेजे जाने पर सहमति जताई थी। साथ ही सीमा पर टकराव नहीं बढ़ने देने के इरादे भी जाहिर किए थे। इस सहमति के बाद बीते बीस दिनों में एलएसी पर दोनों पक्षों के बीच अभी तक टकराव का कोई नया वाकया नहीं हुआ है। लेकिन जिस तरह चीन गतिरोध को हल करने पर अनमना रुख दिखा रहा है, उसे देखते हुए इस बात की आशंका बढ़ती जा रही है कि पूर्वी लद्दाख में एलएसी के कई मोर्चो पर भारत और चीन के सैनिक ठंड और बर्फबारी के बेहद कठिन मौसम में भी तैनाती के लिए तैयार हो रहे हैं। भारतीय थलसेना और वायुसेना ने पहले ही ठंड के मौसम में मोर्चे पर डटे रहने के लिए अपने संसाधनों और तैयारियों को अमली जामा पहनाना शुरू कर दिया है। बहरहाल, अब सब कुछ कमांडर स्तर की वार्ता के नतीजे पर निर्भर है। वार्ता में दोनों देशों के बीच हुई चर्चा के विषयों की रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अगुआई वाला चाइना स्टडी ग्रुप समीक्षा करेगा। इसके बाद ही सातवें दौर की वार्ता की प्रगति को लेकर भारत की ओर से आधिकारिक बयान जारी किया जाएगा।
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