आवागमन का मामला: मोदी सरकार ने दिल्ली, यूपी, हरियाणा की रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपी
सीमा पूरी तरह खोलने से मुश्किल होगी क्योंकि दिल्ली में नोएडा गाजियाबाद की तुलना में 40 गुना ज्यादा संक्रमण के मामले हैं।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। दिल्ली से गुड़गांव, फरीदाबाद, नोएडा गाजियाबाद के बीच सुगम आवागमन के मुद्दे पर केंद्र सरकार ने तीनों राज्यों हरियाणा दिल्ली और उत्तर प्रदेश के साथ की गई संयुक्त बैठक की रिपोर्ट शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट को सौंपी। केंद्र की ओर से पेश सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि दिल्ली और हरियाणा के बीच कोई विवाद नहीं है, लेकिन उत्तर प्रदेश के साथ कुछ मुद्दे है।
सुप्रीम कोर्ट में 17 जून को फिर होगी सुनवाई
उधर उत्तर प्रदेश ने कोर्ट मे कहा कि वह मीडिया, वकीलों और सभी जरूरी सेवाओं को ईपास पर आनेजाने दे रहा है, लेकिन पूरी तरह सीमा खोलने में दिक्कत है क्योंकि नोएडा गाजियाबाद की तुलना मे दिल्ली में कोरोना संक्रमितों की संख्या बहुत ज्यादा है। कोर्ट मामले पर 17 जून को फिर सुनवाई करेगा।
हरियाणा दिल्ली में कोई विवाद नही है, लेकिन यूपी के कुछ अपने तर्क हैं
शुक्रवार को न्यायमूर्ति अशोक भूषण, संजय किशन कौल और एमआर शाह की पीठ के समक्ष हुई सुनवाई मे मेहता ने कहा कि गृह सचिव ने 9 जून को तीनों राज्यों दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के साथ बैठक की थी। हरियाणा दिल्ली में कोई विवाद नही है, लेकिन उत्तर प्रदेश के कुछ अपने तर्क हैं। मेहता ने कहा कि उन्होंने इस बारे में कोर्ट में अपनी रिपोर्ट दाखिल कर दी है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में नोएडा के जिलाधिकारी ने कुछ भिन्न निर्देश जारी किये हैं। इसके अलावा दिल्ली नोएडा सीमा खोलने को लेकर भी कुछ मुद्दे हैं।
यूपी का तर्क- ई पास के आधार पर सभी जरूरी सेवाओं को आने-जाने दिया जा रहा है
उत्तर प्रदेश की ओर से पेश वकील गरिमा प्रसाद ने कहा कि राज्य सरकार ने इस संबंध में अपनी स्टेटस रिपोर्ट कोर्ट मे दाखिल कर दी है। ई पास के आधार पर सभी जरूरी सेवाओं को आनेजाने दिया जा रहा है। मीडिया, वकीलों और मेडिकल स्टाफ को भी आने जाने की इजाजत है।
दिल्ली में कोरोना के अधिक मामलों के चलते सीमा पूरी तरह खोलने से मुश्किल होगी
सीमा पूरी तरह खोलने से मुश्किल होगी क्योंकि दिल्ली में नोएडा गाजियाबाद की तुलना में 40 गुना ज्यादा संक्रमण के मामले हैं। ऐसे मे गाजियाबाद और नोएडा मे भी खतरा बढ़ सकता है। तभी कोर्ट ने नोएडा डीएम के बिना लक्षण वाले संक्रमित मरीजों को संस्थागत क्वारंटीन करने के आदेश पर सवाल किया। कोर्ट ने कहा कि ये आदेश तो राष्ट्रीय दिशा निर्देशों के विपरीत है। और ऐसे आदेश से भ्रम की स्थिति पैदा होगी। प्रदेश की वकील ने कहा कि वे राष्ट्रीय गाइड लाइन का पालन कर रहे हैं। और जरूरत पड़ी तो नोएडा डीएम इस बारे में सुधार करेंगे।