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हाई कोर्ट ने कहा, अखबारों पर उद्धव सरकार की राय सतही, न्‍यूजपेपर से नहीं फैलता कोरोना

बॉम्‍बे हाईकोर्ट ने कहा है कि लॉकडाउन के दौरान अखबारों का प्रसार इसलिए बढ़ा है क्योंकि लोगों को खबरों के बारे में ताजा और विस्तार से जानकारी इन्हीं के माध्यम से मिल पा रही है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Mon, 27 Apr 2020 09:14 PM (IST)Updated: Tue, 28 Apr 2020 06:49 AM (IST)
हाई कोर्ट ने कहा, अखबारों पर उद्धव सरकार की राय सतही, न्‍यूजपेपर से नहीं फैलता कोरोना
हाई कोर्ट ने कहा, अखबारों पर उद्धव सरकार की राय सतही, न्‍यूजपेपर से नहीं फैलता कोरोना

मुंबई, पीटीआइ। बॉम्‍बे हाइकोर्ट की औरंगाबाद बेंच ने सोमवार को कहा कि महाराष्ट्र सरकार को इस तरह का कोई सामान्य-सतही और अप्रमाणित बयान नहीं देना चाहिए कि अखबारों के वितरण से कोरोना वायरस के संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। कोर्ट के मुताबिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों की टिप्पणी के बिना ऐसे बयान देना ठीक नहीं है। जस्टिस पीबी वराले की पीठ महाराष्ट्र सरकार द्वारा कोरोना के मद्देनजर घर-घर अखबार का वितरण बंद कराए जाने के आदेश पर स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई कर रही है।

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उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र सरकार ने पिछले दिनों घर-घर अखबार पहुंचाने पर रोक का आदेश जारी किया था। हालांकि चौतरफा विरोध होने पर उसने आदेश में संशोधन कर मुंबई-पुणे और कोरोना प्रभावित क्षेत्रों को छोड़ अन्य स्थानों पर घर-घर अखबार पहुंचाने की छूट दे दी थी। इस संबंध में सोमवार को राज्य सरकार के अधिवक्ता डीआर काले ने एक हलफनामे में कोर्ट को बताया कि कोरोना वायरस किसी सतह पर लंबे समय तक बना रह सकता है। चूंकि अखबार कई हाथों से होकर गुजरता है ऐसे में संक्रमण फैलने की आशंका रहती है।

इस पर जस्टिस वराले ने कहा कि हलफनामे में दिए गए तर्कों को कोर्ट समझ नहीं पा रहा है। ऐसा लगता है कि हलफनामे में सतही बातें कही गई हैं। इन बातों का कोई ठोस आधार नहीं है। इसमें स्वास्थ्य क्षेत्र के किसी विशेषज्ञ या जानकार की न तो राय है और न ही कोई टिप्पणी। इसके विपरीत अखबारों में प्रकाशित विशेषज्ञों के बयानों से स्पष्ट रूप से पता चलता है कि अखबारों से संक्रमण फैलने की धारणा बनाने की जरूरत नहीं है। जस्टिस वराले ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान अखबारों का प्रसार इसलिए बढ़ा है, क्योंकि लोगों को खबरों के बारे में ताजा और विस्तार से जानकारी इन्हीं के माध्यम से मिल पा रही है।

इस मामले में कोर्ट के मित्र (एमिकस क्यूरी) सत्यजीत बोरा ने बताया कि चेन्नई में घर-घर अखबार पहुंचाए जाने पर रोक की मांग संबंधी एक याचिका को मद्रास हाइकोर्ट खारिज कर चुका है। बोरा ने इस आदेश की कापी पेश करने की अनुमति मांगी है। कोर्ट ने बोरा की मांग को स्वीकार करते हुए सरकारी वकील से अतिरिक्त शपथपत्र दाखिल करने का निर्देश दिया। मामले की अगली सुनवाई अब 11 जून को होगी। 


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