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बांबे हाई कोर्ट की नागपुर पीठ ने कहा- महाराष्ट्र में मृत पशुओं की खाल रखना अपराध नहीं

बांबे हाई कोर्ट की नागपुर पीठ ने मृत गायों की खाल रखने के मामले में एक व्यक्ति के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी खारिज कर दी है। हाई कोर्ट ने कहा कि मृत पशुओं की खाल रखना महाराष्ट्र पशु संरक्षण कानून (एमएपीए) के तहत अपराध नहीं है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Tue, 22 Dec 2020 10:28 PM (IST)Updated: Tue, 22 Dec 2020 10:28 PM (IST)
बांबे हाई कोर्ट की नागपुर पीठ ने कहा- महाराष्ट्र में मृत पशुओं की खाल रखना अपराध नहीं
नागपुर पीठ ने गाय की खाल ले जाने के मामले में दर्ज प्राथमिकी खारिज की।

मुंबई, प्रेट्र। बांबे हाई कोर्ट की नागपुर पीठ ने मृत गायों की खाल रखने के मामले में एक व्यक्ति के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी खारिज कर दी है। हाई कोर्ट ने कहा कि मृत पशुओं की खाल रखना महाराष्ट्र पशु संरक्षण कानून (एमएपीए) के तहत अपराध नहीं है। मालूम हो कि एमएपीए, 1976 में गोहत्या तथा गोमांस खरीदने-बेचने और उसके आयात-निर्यात पर पाबंदी है।

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हाई कोर्ट में दाखिल याचिका में एमएपीए के तहत एफआइआर खारिज करने की मांग की गई थी

जस्टिस वीएम देशपांडे तथा एएस किलोर पीठ ने 14 दिसंबर को यह आदेश सफीकुल्लाह खान अशफाकुल्लाह खान की याचिका पर दिया। याचिका में एमएपीए के तहत जुलाई 2018 में दर्ज एफआइआर को खारिज करने की मांग की गई थी।

गाय की 187 खालें एक वाहन में ले जाने के आरोप में एफआइआर दर्ज की गई थी

बुलढाणा जिले के शिवाजी नगर थाने में यह एफआइआर गाय की 187 खालें एक वाहन में ले जाने के आरोप में दर्ज की गई थी। उसके खिलाफ कानून की धारा 5ए (गोहत्या के लिए राज्य के भीतर गोवंश के परिवहन पर प्रतिबंध), 5बी (कत्ल के लिए इन पशुओं को राज्य से बाहर ले जाने पर प्रतिबंध) तथा 5सी (गोमांस रखने पर प्रतिबंध) के तहत केस दर्ज किया गया था।

कोर्ट ने कहा- कानून में गोहत्या के लिए गोवंश की खरीदी तथा गोमांस रखने पर प्रतिबंध है

कोर्ट ने कहा कि कानून में गोहत्या के लिए गोवंश की खरीदी तथा गोमांस रखने पर प्रतिबंध है। याची पर ऐसा कोई आरोप नहीं है कि वह कत्ल करने के लिए गाय या गोवंश को ले जा रहा था।

कोर्ट ने कहा- मृत पशु की खाल रखने को लेकर कोई प्रतिबंध नहीं

यह भी आरोप नहीं है कि उसने गोवंश खरीदी या बेची या उसकी पेशकश की। इसलिए खान के खिलाफ कोई अपराध नहीं बनता है। कोर्ट ने कहा कि कानून में खाल के संबंध में कोई प्रावधान नहीं। मृत पशु की खाल रखने को लेकर कोई प्रतिबंध नहीं है।


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