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महेंद्र कर्मा को गोलियों से भून, शव के चारों ओर नाचे नक्सली

छत्तीसगढ़ के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नंद कुमार पटेल, उनके बेटे और आठ अन्य लोगों के गोलियों से छलनी शव रविवार प्रात: बस्तर जिले के जंगली इलाके से बरामद कर लिए गए। परिवर्तन रैली से लौटते समय जगदलपुर जिले में माओवादियों ने हमले के बाद इन सभी का अपहरण कर लिया था। इनको मिलाकर शनिवार के नक्सली हमले में मरने वालों की संख्या 2

By Edited By: Published: Sun, 26 May 2013 12:28 PM (IST)Updated: Mon, 27 May 2013 11:53 AM (IST)
महेंद्र कर्मा को गोलियों से भून, शव के चारों ओर नाचे नक्सली

रायपुर, जागरण न्यूज नेटवर्क। छत्तीसगढ़ के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नंद कुमार पटेल, उनके बेटे और आठ अन्य लोगों के गोलियों से छलनी शव रविवार प्रात: बस्तर जिले के जंगली इलाके से बरामद कर लिए गए। परिवर्तन रैली से लौटते समय जगदलपुर जिले में माओवादियों ने हमले के बाद इन सभी का अपहरण कर लिया था। इनको मिलाकर शनिवार के नक्सली हमले में मरने वालों की संख्या 28 हो गई है। नक्सली हमले की वीभत्सता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सलवा जुडूम के अगुवा कांग्रेस नेता महेंद्र कर्मा को गोलियों से छलनी करने के बाद माओवादी उनके शव के आसपास निद्र्वद्व भाव से नाचे।

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कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ रविवार को रायपुर पहुंचे प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने घटना पर दुख व्यक्त करते हुए इसे लोकतंत्र पर हमला बताया। सुरक्षा कारणों से उन्हें घटनास्थल पर नहीं जाने दिया गया। शनिवार शाम की घटना से सकते में आई छत्तीसगढ़ सरकार ने रविवार प्रात: पूरी तैयारी के साथ घटनास्थल (दरभा इलाके) के आसपास कांबिंग ऑपरेशन छेड़ा। हजारों की संख्या में अ‌र्द्धसैनिक बलों के जवान विशेष रूप से प्रशिक्षित कोबरा बटालियनों के साथ सभी दिशाओं में आगे बढ़े। थोड़ी ही दूर जाने पर बस्तर जिले की जीराम घाटी में उन्हें नंद कुमार पटेल, उनके बेटे दिनेश, कुछ कांग्रेस कार्यकर्ताओं और सुरक्षाकर्मियों के गोलियों से छलनी शव मिले। शनिवार देर रात गंभीर घायल की मौत हो जाने और जंगल से दस शव बरामद हो जाने से हमले में मारे गए लोगों की संख्या बढ़कर 28 हो गई है। हमले में गंभीर रूप से घायल पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल (84) को एयर एंबुलेंस से गुड़गांव के मेदांता मेडिसिटी अस्पताल भेजा गया है, वहां पर उनका ऑपरेशन हुआ है लेकिन उनकी स्थिति गंभीर बनी हुई है।

रायपुर में घायलों और घटना के पीड़ित परिजनों से मुलाकात के बाद प्रधानमंत्री ने कांग्रेस कार्यालय में कार्यकर्ताओं को विश्वास दिलाया कि घटना के जिम्मेदार लोगों को बख्शा नहीं जाएगा। पीड़ितों के साथ पूरा न्याय किया जाएगा। हमारे नेताओं ने बलिदान किया है। उन्होंने नक्सलवाद के आगे सिर न झुकाने का संकल्प व्यक्त किया। प्रधानमंत्री ने प्रत्येक मृतक आश्रित को पांच लाख रुपये की मदद का एलान किया। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कांग्रेसजनों की बहादुरी की सराहना करते हुए बलिदान करने वालों के प्रति सम्मान जताया। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी शनिवार देर रात ही रायपुर पहुंच गए थे। उल्लेखनीय है कि शनिवार को हुए हमले में वरिष्ठ कांग्रेस नेता महेंद्र कर्मा व पूर्व विधायक उदय मुदलियार भी मारे गए थे। घटना में 31 लोग घायल हुए हैं।

'महेंद्र कर्मा को गोलियों से छलनी करने के बाद नक्सली उनके शव को न केवल ठोकर मारते रहे बल्कि काफी देर तक उसके आसपास नाचते-गाते भी रहे। हम यह दृश्य देखकर भयभीत और सन्न थे।' - सत्तार अली, सुकमा जिले के कांग्रेस नेता।

'कांग्रेस नेताओं पर नक्सली हमले की कड़े शब्दों में निंदा करता हूं। लोकतंत्र में हिंसा के लिए कोई जगह नहीं है। राष्ट्र इस तरह के हमलों से न तो डरेगा और न ही आतंकित होगा।' -प्रणब मुखर्जी, राष्ट्रपति

'छत्तीसगढ़ में नक्सली घटना लोकतंत्र पर हमला है। आतंकवाद और नक्सलवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस पॉलिसी अपनाने का समय आ गया है। समय की मांग है कि सभी एक राष्ट्र की तरह नक्सलवाद के खिलाफ खड़े हों।' -नरेंद्र मोदी, गुजरात के सीएम

'भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में राजनीतिक ताकत हथियाने के लिए हिंसा को मजबूती के साथ खारिज करते हैं। लोकतंत्र में हत्या और हिंसा के लिए कोई जगह नहीं है।' -डी. राजा, भाकपा नेता

छत्तीसगढ़ हिंसा के लिए जवाबदेही तय करेगा केंद्र

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने रविवार को कहा कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस नेताओं पर हमले के मामले में सुरक्षा में चूक का पता लगाने और जवाबदेही तय करने के लिए एक उच्च स्तरीय जांच कराई जाएगी।

केंद्रीय गृह राज्यमंत्री आरपीएन सिंह ने कहा, 'इसे रोकना होगा। बहुत सारे लोग मारे गए और घायल हुए। हमें कार्रवाई करनी होगी।' सिंह शनिवार को बस्तर में कांग्रेस की परिवर्तन रैली पर नक्सली हमले की घटना के बाद हालात का जायजा लेने छत्तीसगढ़ गए थे। उन्होंने कहा कि सुरक्षा में केंद्रीय सुरक्षा बलों की ओर से या राज्य बलों की ओर से कहां चूक हुई यह पता लगाने के लिए एक उच्च स्तरीय जांच कराई जाएगी। इतनी बड़ी दुखद घटना की जिम्मेदारी तय की जाएगी। कांग्रेस नेताओं को सुरक्षा मुहैया कराने में जो कोई भी अपने कर्तव्य में लापरवाही का दोषी पाया जाएगा उसे बख्शा नहीं जाएगा। भविष्य में ऐसी घटनाएं फिर नहीं हों इसके लिए हर संभव कार्रवाई की जाएगी।

नक्सली हमले के हताहत व घायल

1. नंदकुमार पटेल (65), छत्तीसगढ़ कांग्रेस अध्यक्ष

2. दिनेश पटेल (35), नंदकुमार के बेटे

3. महेंद्र कर्मा (60), पूर्व नेता प्रतिपक्ष

4. उदय मुदलियार (52), पूर्व विधायक

5. गोपीचंद माधवानी (45), पूर्व विधायक

6. योगेंद्र शर्मा (35)

7. राजेश चंद्राकर (24)

8. मनोज जोशी (24)

9. अभिषेक गोलछा (24)

10. गनपत नाग (36)

11. अल्लाह नूर (45)

12. सदा सिंह नाग (40)

13. भागीरथी पानिया (40)

14. राजकुमार (19)

15. चंदर माझी (30)

16. प्रहलाद मांझी

शहीद पुलिस जवान

1. इमानुएल केरकेट्टा (56) एएसआइ, जगदलपुर

2. प्रफुल्ल शुक्ला (35)

3. अशोक कुमार

4. चंद्रहास ध्रुव (28)

5. दीपक उपाध्याय (30)

6. पैतृक खलखो (55)

7. राहुल प्रताप (26)

8. तरुण देशमुख (25)

घायल नेता, कार्यकर्ता व ग्रामीण

वरिष्ठ कांग्रेसी नेता विद्याचरण शुक्ल, कोंटा विधायक कवासी लखमा, पूर्व विधायक फूलोदेवी नेताम, पूर्व विधायक हर्षद मेहता, एएसआइ अमर सिंह व अन्य।

कांग्रेसजनों ने रोकी ट्रेन

घटना के विरोध में छत्तीसगढ़ बंद के दौरान कांग्रेसजनों ने जगह-जगह सड़कों पर आवागमन रोका और ट्रेन भी रोकीं। राजधानी रायपुर समेत सभी प्रमुख शहरों में घटना के विरोध में बाजार बंद रहे और सामान्य गतिविधियां प्रभावित रहीं। बंद के दौरान कहीं से अप्रिय घटना की सूचना नहीं है।

जानिए, कब-कब हुए हमले

जानिए, क्या है सलवा जुडूम

आदिवासी कांग्रेस नेता महेंद्र कर्मा ने सबसे पहले 1991 में नक्सलियों के विरुद्ध 'जन जागरण अभियान' चलाया था, जो कि सफल नहीं हो सका था। कर्मा ने 2005 में नक्सली हिंसा के विरुद्ध छत्तीसगढ़ सरकार के सहयोग से स्थानीय लोगों को संगठित कर सलवा जुडूम आंदोलन शुरू किया। इस आंदोलन में वे आदिवासी शामिल हुए जो नक्सली हिंसा का शिकार हुए थे। हालांकि सलवा जूडूम पर भी मानवाधिकार उल्लंघन के गंभीर आरोप लगे।

पढ़ें: नक्सली हमले से जुड़ी हर खबर

नक्सलियों से लड़ने के लिए आमजनों को हथियार दिए जाने पर सवाल भी उठे। सलवा जुडूम और नक्सली संघर्ष में करीब डेढ़ लाख लोग पलायन कर गए। आंदोलन में युवाओं समेत स्थानीय लोगों की संलिप्तता देखते हुए इसे पक्ष-विपक्ष दोनों का समर्थन मिला। 2008 में सुप्रीम कोर्ट ने मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक इसकी आलोचना की और राज्य सरकार को अन्य विकल्पों पर विचार करने को कहा। जुलाई, 2011 को सुप्रीम कोर्ट ने सलवा जुडूम को गैरकानूनी घोषित करते हुए कहा कि लोगों को दिए गए हथियार वापस लिए जाएं।

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