Move to Jagran APP

एनीमिया दूर करेगा और इम्युनिटी बढ़ाएगा नीले, पीले और लाल रंग का आलू, किसानों की भी बढ़ेगी आय

खास बात यह है कि इस आलू के बाहरी रंग जैसा ही अंदर का भी रंग होगा। इस किस्म को देश के अलग- अलग केंद्रों पर शोध के लिए भेजा गया है ताकि इसे और बेहतर किया जा सके।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Mon, 16 Nov 2020 04:40 PM (IST)Updated: Mon, 16 Nov 2020 04:56 PM (IST)
एनीमिया दूर करेगा और इम्युनिटी बढ़ाएगा नीले, पीले और लाल रंग का आलू, किसानों की भी बढ़ेगी आय
किसानों की आय 15 फीसद तक बढ़ाएगा यह आलू

अजय उपाध्याय, ग्वालियर। मध्य प्रदेश के ग्वालियर स्थित आलू अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिकों ने आलू की ऐसी तीन अलग-अलग रंगों की किस्म तैयार की है जो महिलाओं और बच्चों में खून की कमी (Anemia) को दूर करेगी और रोग प्रतिरोधक तंत्र (Immune System) को मजबूत करेगी। लाल, पीले और नीले रंग के आलू की इस नई किस्म में कैरोटिन (एंटी ऑक्सीडेंट), आयरन (लौह तत्व), जिंक आदि आलू की अन्य प्रजातियों से 10 प्रतिशत अधिक हैं। ये तत्व मानव शरीर में पहुंचकर खून की कमी को काफी हद तक पूरा करेंगे।

loksabha election banner

खास बात यह है कि इस आलू के बाहरी रंग जैसा ही अंदर का भी रंग होगा। इस किस्म को देश के अलग- अलग केंद्रों पर शोध के लिए भेजा गया है ताकि इसे और बेहतर किया जा सके। आलू की यह नई किस्म पैदावार भी बढ़ाएगी, इससे किसानों की आय 15 फीसद तक बढ़ सकती है। इस किस्म को किसानों के बीच आने में करीब छह साल का समय लग सकता है।

नीले व पीले आलू में एंथोसायनिन पिगमेंट पाया जाता है

विज्ञानियों के मुताबिक लाल, पीले व नीले रंग के आलू में एंथोसायनिन पिगमेंट पाया जाता है जो एंटी ऑक्सीडेंट का घटक है। यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। सामान्य आलू में यह छह मिलीग्राम प्रति 100 ग्राम पाया जाता है। नई किस्म के आलू में इसकी मात्रा 6.6 मिलीग्राम प्रति 100 ग्राम होगी। जो कि 10 फीसद अधिक है। सामान्य आलू में जिंक 0.01 मिलीग्राम प्रति 100 ग्राम होता है। नई किस्म में इसकी मात्रा 0.011 मिलीग्राम प्रति 100 ग्राम होगी इसी तरह आयरन की मात्रा अभी 0.106 मिलीग्राम प्रति 100 ग्राम होती है जो नई किस्म में 0.1166 मिलीग्राम प्रति 100 ग्राम होगी। जिंक व आयरन शरीर में खून बढ़ाने का काम करता है।

कमलाराजा अस्पताल की अधीक्षक व स्त्रीरोग विशेषज्ञ डॉ. वृंदा जोशी का कहना है कि प्राकृतिक स्रोत (भोजन) से आयरन की पूर्ति दवाओं की अपेक्षा अधिक लाभदायक होती है। रंगीन उत्पादों के साथ-साथ 15 प्रतिशत उपज भी बढ़ेगी विशेषज्ञों का कहना है कि नई किस्म के आलू के चिप्स, सब्जी, भुजिया, नमकीन, फिंगर चिप्स, टिक्की आदि रंगीन बनेंगी। इस किस्म का उत्पादन भी 15 फीसद ज्यादा होगा।

दरअसल,एंथोसायनिन पिगमेंट पौधों में पाए जाने वाले नीले, पीले और लाल फ्लेवोनोइड वर्णक (रंग) को संदर्भित करता है। यह एक शक्तिशाली एंटी ऑक्सीडेंट है। यह पौधों को पराबैंगनी (अल्ट्रावायलेट) किरणों से भी बचाता है।

ग्वालियर स्थित आलू अनुंसधान केंद्र के विज्ञानी डॉ शिवप्रताप सिंह ने बताया कि रंगीन आलू की तीन तरह की प्रजाति तैयार हो चुकी हैं। शोध की बेहतरी के लिए इसे अलग-अलग केंद्रों पर भेजा गया है। शोधकार्य पूरा होने के बाद इसका प्रजनक बीज तैयार होगा। इसके बाद इसका आधार बीज बनेगा, फिर किसानों को दिया जाएगा। इस पूरी प्रक्रिया में छह वर्ष का समय लग सकता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.