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शंख फूंको.. नहीं बढ़ेगा ब्लड प्रेशर, दस साल पहले हुआ शोध कोरोना काल में भी कारगर

आटोनोमस नर्वस सिस्टम का हृदय गति व रक्तचाप पर प्रभाव पड़ता है। गहरी सांस लेकर शंख में फूंकने पर छाती के अंदर दबाव बढ़ता है। इससे नर्वस सिस्टम का पैरासिंपेथेटिक हिस्से पर प्रभाव पड़ता है और वह अपना काम बढ़ा देता है यानी उत्तेजित होता है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Sat, 12 Dec 2020 07:26 PM (IST)Updated: Sat, 12 Dec 2020 07:38 PM (IST)
शंख फूंको.. नहीं बढ़ेगा ब्लड प्रेशर, दस साल पहले हुआ शोध कोरोना काल में भी कारगर
शंख बजाते हुए व्यक्ति की फाइल फोटो

राजीव उपाध्याय, जबलपुर। अच्छी बातें, खोज और शोध हमेशा उपयोगी होते हैं। ऐसा ही कुछ शंख फूंककर रक्तचाप (ब्लड प्रेशर यानी बीपी) काबू में रखने के शोध के साथ हो रहा है। यह शोध करीब दस साल पहले हुआ था और वह कोरोना की वजह से उपजे भय और तनाव में ज्यादा कारगर साबित हो रहा है। मध्य प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय (मेडिकल यूनिवर्सिटी) के पूर्व कुलपति व हृदय रोग विशेषषज्ञ डॉ. आरएस शर्मा ने शंख फूंककर उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) व बढ़ी हुई हृदय गति को नियंत्रण करने पर शोध किया था। कोरोना काल में इस तरह की शिकायतें लेकर आ रहे मरीजों को यही शोध फायदा दे रहा है।

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डॉ. शर्मा के मुताबिक हमारे शरीर के तंत्रिका तंत्र में दो प्रकार के सिस्टम होते हैं- वालेंट्री व आटोनोमस नर्वस सिस्टम। आटोनोमस सिस्टम के भी दो भाग होते हैं- सिंपेथेटिक व पैरासिंपेथेटिक नर्वस सिस्टम। जब पैरासिंपेथेटिक सिस्टम उत्तेजित होता है तब रक्तचाप व हृदय गति कम होती है वहीं जब सिंपेथेटिक नर्वस सिस्टम उत्तेजित होता है तब उच्च रक्तचाप होता है व हृदय गति बढ़ती है।

शंख फूंकना इस तरह है कारगर

आटोनोमस नर्वस सिस्टम का हृदय गति व रक्तचाप पर प्रभाव पड़ता है। गहरी सांस लेकर शंख में फूंकने पर छाती के अंदर दबाव बढ़ता है। इससे नर्वस सिस्टम का पैरासिंपेथेटिक हिस्से पर प्रभाव पड़ता है और वह अपना काम बढ़ा देता है यानी उत्तेजित होता है, वहीं सिंपेथेटिक हिस्सा अपना काम कम कर देता है। हृदय से निकलने वाली बड़ी धमनी (अओर्टा) के पास वेगस नर्व रहती है। जब शंख में हवा फूंकी जाती है तब प्रतिरोध आता है। छाती पर उच्च दबाव के कारण वेगस नर्व उत्तेजित (स्टिमुलेट) होती है। छाती के भीतर दबाव बढ़ने से रक्तदाब का परिवर्तन अओर्टा की नसों पर असर डालता है। जो आटोनोमस नर्वस सिस्टम को प्रभावित करता है। इससे हृदय गति कम हो जाती है और उच्च रक्तचाप भी कम होता है। यही नहीं यह दिमाग के हाइपोथैलेमस भाग को नियंत्रित करता है। इससे तनाव नहीं आता।

जिन पर हुआ प्रयोग वे रहे स्वस्थ

डॉ. शर्मा ने दस साल पहले जिन 20 मरीजों पर शोध किया था। वे स्वस्थ रहे। उन्हें रक्तचाप से संबंधित कोई समस्या नहीं हुई। उन्होंने अपना शोध पत्र 2010 में एसोसिएशन ऑफ फिजिशियंस ऑफ इंडिया में भी प्रस्तुत किया था।

कोरोना की वजह से हुई आम शिकायतें

-भय से अवसाद, स्वस्थ हो चुके मरीजों में हृदय गति बढ़ने की समस्या

-स्वस्थ हुए मरीजों में उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) की शिकायत

-नौकरी छूटने या आय में कमी से अवसाद के कारण हृदय गति बढ़ने की समस्या व तनाव ये शंख न फूंके

- हृदय गति कम हो व निम्न रक्तचाप रहता हो।

-अस्थमा का अटैक यदि आया हो तो शंख न फूंके।

- कान में तकलीफ हो या लंबे समय से सर्दी हो।

- चक्कर आने की शिकायत हो।

हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ आरएस शर्मा ने बताया कि इस शोध के आधार पर आज भी मैं मरीजों को सलाह देता हूं कि उनको उच्च रक्तचाप है व हृदय गति तेज चल रही है तो वे नियमित रूप से कम से कम 10 सेकंड तक शंख फूंकें। इससे दोनों पर ही नियंत्रण होगा। 


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