कसूरी की किताब ने मचाया कोहराम, कुलकर्णी का मुंह काला
पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री खुर्शीद महमूद कसूरी की लिखी किताब 'नाइदर ए हॉक, नॉर एक डव : एन इनसाइडर्स एकाउंट्स ऑफ फॉरेन पाकिस्तान पॉलिसी' में कबाइली इलाकों में आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए मदरसों के फलने-फूलने का जिक्र है।
मुंबई। पाकिस्तानी हस्तियों के खिलाफ अपनी मुहिम को जारी रखते हुए सोमवार को शिवसैनिकों ने एक कदम आगे बढ़कर ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ओआरएफ) के चेयरमैन और भाजपा के पूर्व नेता सुधींद्र कुलकर्णी का मुंह काला कर दिया। शिवसैनिकों ने यह कदम कुलकर्णी की संस्था की ओर से पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री खुर्शीद महमूद कसूरी की किताब के विमोचन के विरोध में उठाया।
उन्होंने कसूरी को देश विरोधी और कुलकर्णी को पाकिस्तान का एजेंट और देशद्रोही करार दिया। हालांकि शिवसेना मुंबई में पुस्तक का विमोचन रोक नहीं पाई। भाजपा समेत विभिन्न राजनीतिक दलों ने कुलकर्णी पर पेंट डालने की कड़ी आलोचना की है। पाकिस्तानी गजल गायक गुलाम अली के कार्यक्रम को रद कराने के बाद शिवसेना ने पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री कसूरी की लिखी किताब 'नाइदर ए हॉक, नॉर एक डव : एन इनसाइडर्स एकाउंट्स ऑफ फॉरेन पाकिस्तान पॉलिसी' का मुंबई में विमोचन का जमकर विरोध किया। तीन दिन पहले ही भाजपा के पूर्व नेता और लालकृष्ण आडवाणी के सचिव रहे सुधींद्र कुलकर्णी को चेतावनी दे दी थी। कुलकर्णी से कहा गया था कि यदि मुंबई के नेहरू सेंटर में सोमवार की शाम आयोजित विदेश नीति के थिंक टैंक ओआरएफ का यह समारोह रद न हुआ तो वह आयोजकों को सबक सिखाएंगे।
इसके बाद कुलकर्णी रविवार की रात मातोश्री में शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से मिले, लेकिन पर आश्वासन नहीं मिला। फिर शिवसेना की शिकायत कल रात ही कुलकर्णी ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस एवं मुंबई के पुलिस आयुक्त अहमद जावेद से की थी। लेकिन सोमवार सुबह जब सुधींद्र कुलकर्णी किंग्स सर्किल स्थित अपने घर से कार में निकले तो 15 शिवसैनिकों ने उन्हें घेरा और शिवसेना जिंदाबाद के नारे लगाते हुए उनके चेहरे पर काला पेंट पोत दिया। मुंबई पुलिस ने छह शिवसैनिकों को गिरफ्तार कर लिया। हालांकि सोमवार की सुबह की घटना के बाद मुख्यमंत्री फड़नवीस की सख्त हिदायत पर शाम को पुस्तक विमोचन का कार्यक्रम कड़ी सुरक्षा में शांति से निपट गया।
शिवसेना इसलिए कर रही विरोध
शिवसेना का कहना है कि कसूरी भारत विरोधी हैं। उन्होंने कश्मीरी अलगाववादियों को एकजुट कर कश्मीर को अलग करने की साजिश रची थी। उनकी पुस्तक का भारत में विमोचन राष्ट्रद्रोह है। शिवसेना के नेता संजय राउत ने शिवसैनिकों के बचाव में कहा कि स्याही फेंकना लोकतंत्र में विरोध करने का यह बहुत हल्का तरीका है। उन्होंने कहा, 'ये लोग सिर्फ स्याही से इतने परेशान हैं। कल्पना कीजिए जब हमारे सैनिक मारे जाते हैं और उनका खून बहाया जाता है। इसे स्याही न समझें यह हमारे सैनिकों का खून है।'
मुझे अपना नहीं तिरंगे का दुख : कुलकर्णी
हमले के बाद कुलकर्णी ने कसूरी के साथ संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस में पत्रकारों से कहा कि मुझे अपने मुंह पर कालिख पोते जाने का दुख नहीं। लेकिन घर से निकलने के पहले मैंने अपनी जैकेट पर भारत का तिरंगा ध्वज लगा रखा था। उन्होंने मेरे चेहरे के साथ-साथ इस तिरंगे पर भी कालिख पोत इस तिरंगे का अपमान किया है।
कुछ लोग अमन नहीं चाहते : कसूरी
सन् 2002 से 2007 तक राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के शासन काल में विदेशमंत्री रहे खुर्शीद महमूद कसूरी ने भी ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के कार्यालय में पत्रकारों से कहा कि मैं भी राजनीतिक कार्यकर्ता रहा हूं। लेकिन विरोध का यह तरीका ठीक नहीं। दोनों तरफ ऐसे लोग हैं जो अमन नहीं चाहते।
शिवसेना देसी तालिबान : कांग्रेस
विपक्षी दल कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने ट्वीट कर कहा, 'अपने गुंडों को काबू में रखें उद्धव। पहले गुलाम अली अब कसूरी का विरोध। हमें देसी तालिबान नहीं चाहिए।' माकपा नेता बृंदा करात ने कहा कि मोदी का मॉडल मेक इन इंडिया नहीं बल्कि ब्रेक इन इंडिया है। वहीं, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने घटना के बाद सरकार में साझेदार शिवसेना नेताओं से बात की। उन्होंने इस पर ऐतराज जताते हुए कहा कि सभी मेहमानों व कार्यक्रम में पूरी सुरक्षा मुहैया कराई जाएगी। वे सभी उचित वीजा पर भारत आए हैं।
इन्होंने क्या कहा
'जो भी हुआ मैं उसकी निंदा करता हूं। कुछ दिनों से असहिष्णुता बढ़ी है।'
-लालकृष्ण आडवाणी, भाजपा के वरिष्ठ नेता
'सभी का विरोध का हक है, लेकिन किसी को नुकसान पहुंचाकर नहीं।'
-किरण रिजिजू, केंद्रीय गृह राज्यमंत्री
'मैं कारगिल या 26/11 के वक्त मंत्री नहीं था।'
-खुर्शीद महमूद कसूरी, पाक के पूर्व विदेश मंत्री
कसूरी की किताब में मदरसे फलने-फूलने का जिक्र
नई दिल्ली। पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री खुर्शीद महमूद कसूरी की लिखी किताब 'नाइदर ए हॉक, नॉर ए डव : एन इनसाइडर्स एकाउंट्स ऑफ फॉरेन पाकिस्तान पॉलिसी' में कबाइली इलाकों में आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए मदरसों के फलने-फूलने का जिक्र है। कसूरी ने अपनी किताब में सामाजिक क्षेत्र खासकर शिक्षा में पाकिस्तान सरकार को विफल करार दिया।
कसूरी ने अपनी किताब में बताया है कि पाकिस्तान कट्टरवाद की बड़ी कीमत चुका रहा है। यह भी दावा किया गया है कि आतंकवाद में लिप्त रहे लोगों का पाकिस्तान पुर्नवास करा रहा है। उन्होंने कश्मीर में कट्टरपंथी अलगाववादी नेता सय्यद अली शाह गिलानी से अपनी मुलाकात को बाज से सामना करार देते हुए किताब में बताया है कि भारतीय कश्मीर में अगर आप दो वैचारिक सोच में से एक का हिस्सा नहीं हैं तो आपको बाज और कबूतर दोनों का ही निशाना बनना पड़ेगा।
आतंक के पुरोधा रहे हैं कसूरी
पाकिस्तान में वर्ष 2002 से 2007 तक खुर्शीद महमूद कसूरी विदेश मंत्री रहे। उनके पिता महमूद अली कसूरी भी उन्हीं के तरह थे। वह ऐसे मार्क्सवादी थे जो कट्टरवाद को धर्म से जोड़ते थे। महमूद कसूरी शरिया लागू करने के लिए 15वें संविधान संशोधन संसद में पेश करने के बाद से प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के साथ तालमेल नहीं बिठा सके थे। लेकिन इसके बाद से वह पाकिस्तानी जनता की नजरों में चढ़ गए। वह उसे खलीफा बुलाने लगे था।
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