सोनिया व ममता के बीच बैठक से भाजपा को हो सकता है फायदा
घोष के मुताबिक सोनिया-ममता साथ आते हैं तो पश्चिम बंगाल के कांग्रेस नेता व कार्यकर्ताओं के लिए उसे हजम करना आसान नहीं होगा।
कोलकाता, जागरण संवाददाता। राष्ट्रपति चुनाव को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर बन रहे समीकरण का पश्चिम बंगाल की राजनीति पर असर पड़ना तय माना जा रहा है। राज्य में इस मुद्दे पर सियासत गर्म हो चुकी है। जिस तरह से तृणमूल प्रमुख व मुख्यमंत्री ममता बनर्जी तथा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के बीच बैठक हुई है, उसका फायदा राज्य में भाजपा को मिल सकता है। यह बात राजनीतिक जानकार से लेकर तृणमूल से निलंबित राज्यसभा सदस्य कुणाल घोष भी मान रहे हैं।
घोष के मुताबिक सोनिया-ममता साथ आते हैं तो पश्चिम बंगाल के कांग्रेस नेता व कार्यकर्ताओं के लिए उसे हजम करना आसान नहीं होगा। जो कांग्रेस नेता ममता को सुबह से शाम तक पानी पी-पी कर कोसते रहे हैं, उनके खिलाफ अब किस नैतिकता से मुंह खोलेंगे। उधर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी हों या विधानसभा में विपक्ष के नेता अब्दुल मन्नान, उनकी हालत उस बंजारे की तरह हो गई है जो ना तो अपना पड़ाव बदल पा रहे हैं और न ही ठहराव ही सुनिश्चित कर पा रहे हैं। यही वजह है कि ममता को न्योता देने के अगले ही दिन अधीर ने सोनिया गांधी को पत्र लिख कर ममता की पार्टी को गणतंत्र विध्वंसी बताया था। कहा जा रहा है कि कांग्रेस हाईकमान के इस कदम से पश्चिम बंगाल के कांग्रेस नेताओं व कार्यकर्ताओं का मनोबल टूटेगा और वे भाजपा की ओर रुख कर सकते हैं। भाजपा भी कांग्रेस व तृणमूल की नजदीकियों पर नजर बनाए हुए है।
अधीर के भाजपा में शामिल होने की चर्चा को मिल रहा बल
सोनिया-ममता मुलाकात के बाद सात नगरपालिकाओं के चुनाव परिणाम घोषित होते ही प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी के पार्टी बदलकर भाजपा में जाने की चर्चा तेज हो गई है। इसका संकेत अधीर व प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष दोनों ने बयानों के जरिये दे दिया है। एक ओर अधीर ने कहा कि अब दूसरा विकल्प खोजना होगा तो दूसरी ओर दिलीप घोष ने भी कहा कि हमारे दरवाजे खुले हैं।
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