छत्तीसगढ़ चुनाव: भाजपा को अपनों से ही चुनौती
रायपुर। छत्तीसगढ़ में बीते दो चुनावों से अपना परचम लहराती आई भारतीय जनता पार्टी [भाजपा] के लिए इस बार समस्या प्रतिद्वन्द्वी कांग्रेस की ओर से कम, खुद अपने ही असंतुष्टों की ओर से ज्यादा पैदा हो रही है। पार्टी हालांकि विकास के दम पर अपनी नैया पार होने की उम्मीद बांधे हुए है, लेकिन असंतुष्ट स्वर उसे अहसास करा रहे हैं कि उसकी राह आसान
रायपुर। छत्तीसगढ़ में बीते दो चुनावों से अपना परचम लहराती आई भारतीय जनता पार्टी [भाजपा] के लिए इस बार समस्या प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस की ओर से कम, खुद अपने ही असंतुष्टों की ओर से ज्यादा पैदा हो रही है।
पार्टी हालांकि विकास के दम पर अपनी नैया पार होने की उम्मीद बांधे हुए है, लेकिन असंतुष्ट स्वर उसे अहसास करा रहे हैं कि उसकी राह आसान नहीं होगी। छत्तीसगढ़ में भाजपा के प्रभारी जगतप्रकाश नड्डा ने बताया कि पार्टी राज्य में बीते 10 साल के दौरान अपने शासनकाल में हुए विकास को मुद्दा बनाएगी।
उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में पिछले 10 साल में भाजपा की सरकार ने उल्लेखनीय काम किया है। यहां की धान की खरीदी पूरे देश में एक मिसाल है। यहां की सार्वजनिक वितरण प्रणाली को पूरे देश में सराहा जाता है, जिसमें महिलाओं को परिवार का मुखिया बना कर उनका सशक्तिकरण किया गया है।
उन्होंने कहा कि पहले इस राज्य को पलायन वाले राज्य के तौर पर जाना जाता था, लेकिन राज्य सरकार ने यहां रोजगार के अवसर सजित कर इसकी तस्वीर बदल दी है। वहीं दूसरी ओर भाजपा महिला मोर्चा की पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व सांसद करुणा शुक्ला ने मुख्यमंत्री रमण सिंह के खिलाफ राजनंदगांव सीट से खड़ी कांग्रेस की उम्मीदवार अलका मुदलियार के पक्ष में चुनाव प्रचार कर अपनी नाराजगी खुल कर जाहिर कर दी।
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी करुणा शुक्ला ने अपनी उपेक्षा से नाराज होकर इसी चुनाव से पहले पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने उनका इस्तीफा मंजूर कर लिया है।
करुणा ने भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी और रमन सिंह दोनों को निशाने पर लेते हुए कथित तौर पर कहा है कि गोधरा के बाद राज्य में हुए दंगों के दाग मोदी के दामन से और जीरम घाटी में हुए नक्सली हमले के दाग रमन सिंह के दामन से कभी नहीं धुल सकते।
टिकट न मिलने से नाराज दो विधायकों ने तो निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया था। इस पर प्रदेश अध्यक्ष रामसेवक पैकरा ने पूर्व विधायक गणेशराम भगत और राजाराम तोड़ेम सहित कुछ बागियों को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से छह साल के लिए निलंबित कर दिया।
रमण सरकार में मंत्री रहीं लता उसेंडी असंतोष को कोई मुद्दा नहीं मानतीं। उन्होंने कहा कि पार्टी में असंतोष नहीं है। अपनी राय जाहिर करने का हक सबको है। यह राज्य आदिवासी बाहुल्य राज्य है और उनके विकास के लिए रमन सरकार ने बहुत काम किया है। यह बात चुनाव में मायने रखती है।
लता एक बार फिर कोंडागांव सीट से किस्मत आजमा रही हैं। उनके विरोधियों का आरोप है कि पिछला चुनाव 5000 से भी कम मतों से जीतने के बावजूद लता को दोबारा टिकट मिला।
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