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जेपी नड्डा ने कांग्रेस पर साधा निशाना, कहा- अब यह भाई और बहन की पार्टी बनकर रह गई है

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि कांग्रेस न तो राष्ट्रीय है और न ही प्रजातांत्रिक है अब यह सिर्फ भाई-बहन की पार्टी बनकर रह गई है। उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय पार्टियां अब पारिवारिक पार्टियां बन गई हैं।

By Achyut KumarEdited By: Published: Thu, 19 May 2022 01:34 PM (IST)Updated: Thu, 19 May 2022 01:43 PM (IST)
जेपी नड्डा ने कांग्रेस पर साधा निशाना, कहा- अब यह भाई और बहन की पार्टी बनकर रह गई है
BJP National President JP Nadda in New Delhi

नई दिल्ली, आनलाइन डेस्क। नई दिल्ली में 'लोकतांत्रिक शासन के लिए वंशवादी राजनीतिक दल खतरा' पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि प्रजातांत्रिक व्यवस्था में राजनीतिक दल महत्वपूर्ण उपकरण है। अगर वह स्वस्थ हो तो प्रजातंत्र स्वस्थ है। अगर वो अस्वस्थ है तो प्रजातंत्र अस्वस्थ है। इससे धीरे-धीरे प्रजातांत्रिक व्यवस्था पर आघात पहुंचने लगता है।

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पार्टी का स्वास्थ्य महत्वपूर्ण

जेपी नड्डा ने कहा कि पार्टी का स्वास्थ्य कैसा है, उसके सिस्टम कैसे हैं, ये सब बहुत महत्वपूर्ण है। इस महत्व को समझते हुए हमें ये ध्यान रखना होगा कि हमारे लोकतांत्रिक मूल्य क्या हैं, relation between leaders क्या हैं, संगठन की विचार प्रक्रिया क्या है।

पारिवारिक पार्टियों का उद्देश्य सिर्फ सत्ता हासिल करना

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि जो परिवारिक पार्टियां हैं, उनका उद्देश्य सिर्फ सत्ता पाना होता है। इनकी कोई विचारधारा नहीं है। इनके कार्यक्रम भी लक्ष्यविहीन होते हैं। 

परिवार के सदस्य ही संभालते हैं पार्टी की जिम्मेदारी

उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर में पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस, पंजाब में शिरोमणि अकाली दल, हरियाणा में INLD, उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी, बिहार में राजद, पश्चिम बंगाल में दीदी- भतीजे की पार्टी है, झारखंड में बाबू जी के बुजुर्ग होने के बाद बेटे ने पार्टी संभाल ली। ओडिशा में बीजू जनता दल, आंध्रप्रदेश में YSRCP, तेलंगाना में TRS, तमिलनाडु में करुणानिधि परिवार, महाराष्ट्र में शिवसेना और NCP ये सब परिवार की पार्टियां हैं।

भाई-बहन की पार्टी बनकर रह गई है कांग्रेस

जेपी नड्डा ने कहा कि कांग्रेस भी अब न तो राष्ट्रीय रह गई है, न भारतीय और न ही प्रजातांत्रिक रह गई है। ये भी भाई-बहन की पार्टी बनकर रह गई है।

सत्ता पाने के लिए किया जाता है धुर्वीकरण

रीजनल पार्टियों को किसी भी तरह से सत्ता में आना होता है, इसलिए ये धुर्वीकरण करने में भी पीछे नहीं रहते हैं। फिर धुर्वीकरण चाहे जाति के आधार पर करें, या धर्म के आधार पर। राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों को ताक पर रख दिया जाता है और सत्ता को पाने के लिए धुर्वीकरण किया जाता है।

पारिवारिक पार्टियों में बदल गई हैं क्षेत्रीय पार्टियां

क्षेत्रीय पार्टियों में धीरे धीरे कुछ लोगों ने कब्जा कर लिया है। अब उन क्षेत्रीय पार्टियों में विचारधारा किनारे हो गई और परिवार सामने आ गए। इस तरह से क्षेत्रीय पार्टियां, परिवारवादी पार्टियों में बदल गई हैं।


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