मणिशंकर के मुखगोले को भाजपा इस तरह बना रही सियासी शोला
भाजपा कार्यकर्ताओं की ओर से सोशल मीडिया पर टिप्पणियों और इसी तरीके के कांग्रेस नेताओं के पुराने वीडियो क्लिप को भी लोगों तक पहुंचाने की कोशिश है।
आणंद खेडा, संजय मिश्र। कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर की जुबान से दिल्ली में चली गोली का गुजरात चुनाव में कितना असर हुआ इसकी परख तो नतीजों से ही होगी। मगर सूबे में चुनावी विमर्श के किसी ठोस मुददे के लिए अब तक संघर्ष कर रही भाजपा को अपने चुनावी अभियान को उठाने का दांव चलने का मौका तो दे ही दिया है।
मणिशंकर की नीच टिप्पणी को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लगातार दागे जा रहे स्वाभिमान के तीर से कांग्रेस को सियासी रुप से घायल करने के लिए भाजपा का पूरा कैडर जोर-शोर से मैदान में लग गया है। भाजपा उम्मीदवारों के चुनावी अभियान में मणिशंकर अन्य मुददों से आगे हो गये हैं तो बाकी सभी मसलों पर आक्रामक रही कांग्रेस इस पर सफाई दे रही है।
कांग्रेस के लिए गनीमत की बात है कि पहले चरण की हुई वोटिंग वाले इलाकों में मणिशंकर की जुबानी तोप का सियासी धुंआ ग्रामीण इलाकों में ज्यादा नहीं पहुंचा। 14 दिसंबर को दूसरे चरण के मतदान वाली सीटों पर पीएम की स्वाभिमान की धुंआंधार बल्लेबाजी से उत्साहित भाजपा के कई उम्मीदवार मणिशंकर की उछली जुबानी गेंद के सहारे कांग्रेस को कैच करने का मौका नहीं छोड़ रहे।
खेडा जिले की नडियाड सीट पर कांग्रेस के जितेंद्र पटेल से जबरदस्त चुनौती का सामना कर रहे भाजपा उम्मीदवार पंकज भाई देसाई और उनके समर्थक अपनी बैठक ओर नुक्कड़ सभाओं का आधा समय मणिशंकर के बोल पर ही बिताते हैं। इसी तरह आणंद के अमूल डेयरी कोपरेटिव के चेयरमैन और थसारा सीट से भाजपा उम्मीदवार राम सिंह परमार के समर्थक भी लोगों में मोदी को लेकर कांग्रेस की कथित नापसंदगी को उछालते दिखे।
जुबानी तीरों के सहारे ही नहीं भाजपा कार्यकर्ताओं की ओर से सोशल मीडिया पर टिप्पणियों और इसी तरीके के कांग्रेस नेताओं के पुराने वीडियो क्लिप को भी लोगों तक पहुंचाने की कोशिश है। आणंद शहर से सटे वघासी में भाजपा के एक समर्थक ने अपने मोबाइल से मणिशंकर ही नहीं कपिल सिब्बल और दिग्विजय सिंह जैसे कांग्रेस नेताओं के पुराने विवादित बयानों के क्लिप दिखाते हुए कहा कि यह सब वाट्सऐप पर खूब सर्कुलेट हो रहा। जहां तक लोगों का सवाल है तो गुजरात में गरम चुनावी मुददों का विमर्श मणिशंकर की बेतूकी बात से तत्काल बदल जाएगा ऐसा प्रतीत होता नहीं दिख रहा। शहरी इलाकों में लोग तो इस सियासी बवाल से रूबरू हैं और चुनावी चकल्लस के दौरान चर्चा भी हो रही। मगर ग्रामीण इलाकों में मणिशंकर का सियासी भूत कांग्रेस के लिए अभी डरावने रुप तक नहीं पहुंचा है।
आंनद के केयूर पटेल, नितिन ठक्कर हों या अहमदाबाद के एक होटल की रिसेप्शनिस्ट श्रुति इन सबकी राय में मणिशंकर का बयान राजनीतिक सभ्यता नहीं और उनका साफ कहना है कि कांग्रेस को अपने ऐसे बड़बोले नेताओं को काबू में रखना चाहिए। हालांकि, मणिशंकर के खिलाफ कांग्रेस की तत्काल कार्रवाई और राहुल गांधी के कड़े रुख को भी आमतौर पर उचित समय पर सही फैसला बताया जा रहा। कांग्रेस के स्थानीय नेता और कार्यकर्ता भी मणिशंकर के आत्मघाती बोल पर राहुल के तात्कालिक फैसले का हौसला लेकर जवाबी सफाई दे रहे हैं। कांग्रेस इसको लेकर रक्षात्मक नहीं दिखे इसलिए पीएम मोदी के भाषणों पर जवाबी प्रहार भी किए जा रहे है।
राहुल ने अपनी सभाओं में पीएम मोदी की भाषा शैली पर सवाल उठा सूबे के नेताओं को अय्यर के चक्रव्यूह से बाहर निकलने का रणनीति संदेश भी दे दिया है। बावजूद सूबे के कांग्रेस नेताओं में दूसरे चरण के चुनाव प्रचार के बचे चंद दिनों को लेकर आशंका भरी बेचैनी है कि कहीं कोई दूसरा मणिशंकर पार्टी की चुनावी उम्मीदों पर पानी न फेर दे।
अभी सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या विवाद की सुनवाई टालने की कपिल सिब्बल की पैरवी की राजनीतिक गरमी पूरी तरह थमी भी नहीं थी कि मणिशंकर की बयानबाजी का बखेडा गुजरात कांग्रेस को परेशान कर रहा। अहमदाबाद स्थित कांग्रेस के प्रदेश कार्यालय में मौजूद सूबे के नेता ही नहीं पार्टी के कुछ केंद्रीय नेता भी इसीलिए लगातार कैंप कर पार्टी के चुनावी मोमेंटम को किसी सूरत में मणिशंकर के ग्रहण से बचाने में पूरा जोर लगा रहे हैं।
यह भी पढ़ें: Gujarat Election 2017: पहले चरण की वोटिंग खत्म, 68 फीसद मतदान दर्ज