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EXCLUSIVE: Bill Gates ने कहा, भारत अन्‍य देशों को भी सिखा सकता है टीकाकरण

बिल गेट्स ने कोरोना वायरस के खिलाफ भारत के टीकाकरण से जुड़ी तैयारियों की जमकर तारीफ की है। उन्‍होंने कहा कि भारत के पास टीकाकरण के लिए आवश्‍यक अनुभव योग्‍यता और क्षमताएं हैं। हालांकि उन्‍होंने यह भी कहा कि कोरोना वायरस कोई अंतिम महामारी नहीं है।

By Manish MishraEdited By: Published: Fri, 29 Jan 2021 06:36 PM (IST)Updated: Fri, 29 Jan 2021 06:51 PM (IST)
EXCLUSIVE: Bill Gates ने कहा, भारत अन्‍य देशों को भी सिखा सकता है टीकाकरण
Bill Gates works from home during quarantine, 2020 (Picture Courtesy: Gates Notes)

नई दिल्‍ली, मनीश कुमार मिश्र। माइक्रोसॉफ्ट के सह-संस्‍थापक और बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन के अध्‍यक्ष बिल गेट्स ने कोरोना वायरस के खिलाफ भारत के टीकाकरण से जुड़ी तैयारियों की जमकर तारीफ की है। उन्‍होंने कहा कि भारत के पास टीकाकरण के लिए आवश्‍यक अनुभव, योग्‍यता और क्षमताएं हैं। हालांकि, उन्‍होंने यह भी कहा कि कोरोना वायरस कोई अंतिम महामारी नहीं है और वैश्विक समुदाय को इन महामारियों के खतरे को गंभीरता से लेते हुए इनसे बचने की तैयारियां करते रहना चाहिए। बिल गेट्स ने जागरण को दिए एक ई-मेल इंटरव्‍यू में कोरोना महामारी और टीके की उपलब्धता से लेकर कई अहम सवालों के विस्तार से जवाब दिए हैं। पेश है साक्षात्‍कार के संपादित अंश:-  

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प्रश्‍न: भारत ने कोरोना वायरस के खिलाफ टीकाकारण अभियान शुरू किया है, जो दुनिया के सबसे बड़े अभियानों में एक है। इस अभूतपूर्व कार्य में हमारे देश को किस तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है और क्या आपको लगता है कि भारत इसके लिए तैयार है?

बिल गेट्स: एक बड़ी जनसंख्या का प्रभावी तरीके से टीकाकरण करना किसी भी देश के लिए बड़ी चुनौती है। अच्छी बात यह है कि ऐसे विशाल अभियान के लिए भारत पूरी तरह सक्षम है। वैश्विक टीकाकरण कार्यक्रम की बदौलत भारत के पास टीके को स्टोर करने और अलग-अलग स्थानों पर पहुंचाने के लिए विशेषज्ञता और बेहतरीन संसाधन दोनों मौजूद हैं। मैं मानता हूं कि भारत के पास इस काम के लिए ज़रूरी अनुभव, योग्यता और क्षमता है, जिसे यह देश कोविड-19 टीकाकरण शुरू करने वाले दुनिया के अन्य देशों को भी सिखा सकता है। 

प्रश्‍न: बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन भारत में स्थायी विकास लक्ष्य (SDG) पर काम कर रहा है। इस बारे में आपका क्या अनुभव रहा है और भारत सरकार एवं यहां के लोगों को आप क्या सलाह देना चाहेंगे? 

बिल गेट्स: पिछले दशक के दौरान भारत ने स्वास्थ्य और विकास के कई महत्वपूर्ण सूचकांकों पर बहुत अच्छी प्रगति की है। दुर्भाग्यवश, कोविड-19 इस विकास के लिए एक बड़ा खतरा है- ठीक वैसा ही, जैसा दुनिया के बाकी देशों में है। पिछले साल कोविड-19 महमारी ने दुनिया के करोड़ों लोगों को इतनी गरीबी में धकेल दिया कि उन्हें हर दिन केवल जिंदा रहने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है। ऐसे में इस महामारी से जूझते हुए भी अन्य मुद्दों से हमारा ध्यान हटना नहीं चाहिए। सभी देशों को मलेरिया और टीबी जैसी संक्रामक बीमारियों के इलाज समेत जरूरी स्वास्थ्य सेवाएं जारी रखनी चाहिए। साथ ही महिलाओं और बच्चों का भी पूरा ध्यान रखा जाना ज़रूरी है। भारत ने आयुष्मान भारत जैसी स्वास्थ्य योजनाओं के साथ अपनी स्वास्‍थ्‍य-व्यवस्था में काफी सुधार किया है। इस कार्यक्रम ने गरीब से गरीब लोगों को अच्छी स्वास्थ्य सुविधा देने का बेहतरीन कार्य किया है। महामारी के इस दौर में अपने उस काम को और आगे बढ़ाना भारत के लिए स्थायी विकास लक्ष्य (SDG) को प्राप्त करने की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है। 

प्रश्‍न: कोरोना वायरस महामारी के कारण विश्व की अर्थव्यवस्था को काफी नुकसान पहुंचा है। विकसित और विकासशील देश दोनों अपनी जनता के टीकाकरण का हर संभव प्रयास कर रहे हैं। इस विषय में आप गरीब और पिछड़े देशों की किस तरह से मदद कर रहे हैं? 

बिल गेट्स: कोविड-19 चाहे जहां भी हो, खतरा बाकी के सभी स्थानों पर मंडराता रहेगा। अगर हमें इस महामारी को खत्म करना है, तो हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि इसका टीका हर व्यक्ति तक पहुंचे। इस काम के लिए दुनिया को टीके की अरबों खुराक की ज़रूरत पड़ेगी। दुनिया का लक्ष्य होना चाहिए कि जीवन रक्षक साधन (दवाइयां) न सिर्फ अमीर देशों, बल्कि सभी तक पहुंचें और सभी के लिए संभव हो।

हमने पहले भी बड़े पैमाने पर सस्ते टीके बनाने में कंपनियों की मदद की है और हम कोविड-19 के समय भी यही कर रहे हैं। हम भारत के साथ काफी करीब से काम कर रहे हैं, क्योंकि दुनिया के सबसे बड़े वैक्सीन निर्माता देश के तौर पर भारत की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है। हमने गावी यानि वैक्सीन अलायंस और भारत के सीरम इंस्‍टीट्यूट के साथ साझेदारी की है। इसके तहत निम्न और मध्यम आय वाले देशों के लिए टीके के 200 मिलियन खुराक बनाने और पहुंचाने की प्रक्रिया को तेजी से अंजाम दिया जाएगा। हमने सीरम इन्स्टिट्यूट ऑफ इंडिया को एट-रिस्क फंडिंग उपलब्ध करवाकर उसकी क्षमता बढ़ाने में भी सहायता की है, ताकि बड़ी संख्या में गरीब देशों के लिए वैक्सीन का निर्माण किया जा सके, जिसे गावी के कोवैक्स कार्यक्रम के तहत वितरित किया जाएगा। 

प्रश्‍न: गेट्स फाउंडेशन, स्वास्थ्य और विकास लक्ष्यों को पूरा करने में भारत की किस तरह सहायता कर रहा है?

बिल गेट्स: मेरा मानना है कि भीषण गरीबी का सामना कर रहे लोगों की सबसे बड़ी समस्या सुलझाने के लिए दो चीजें ज़रूरी हैं– समस्या की गहरी समझ और उसे सुलझाने के लिए तकनीकी योग्यता। भारत के पास ये दोनों हैं। हमारा और भारत का लक्ष्य एक ही है- यहां के लोगों का जीवन बेहतर बनाना। पिछले दशक के दौरान भारत ने स्वास्थ्य और विकास जैसे महत्वपूर्ण सूचकांकों के मामले में अच्छी प्रगति की है। देश में गरीबी, कुपोषण, स्वास्थ्य सुविधाओं की उपलब्धता जैसी जटिल और लंबे समय से चली आ रही चुनौतियों को सुलझाने में हम सहयोग कर रहे हैं। भारत में केंद्र और राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम करते हुए हम सामाजिक समूहों, गैर-लाभकारी संस्थाओं, शैक्षणिक संस्थाओं, निजी क्षेत्र और विकास संस्थाओं के साथ साझेदारी करते हैं, ताकि अपने साझा लक्ष्यों को पूरा करना आसान हो जाए। 

प्रश्‍न: भविष्य में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस किस तरह से अर्थव्यवस्थाओं और नौकरियों को प्रभावित करेगी?

बिल गेट्स: मनुष्य के विकास के लिए इनोवेशन (नवाचार) जरूरी है। एआई (AI) के क्षेत्र में मिल रही सफलताओं से हमें दुनिया की कई जटिल समस्याएं सुलझाने में मदद मिल रही है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की शक्ति इतनी ज़बरदस्त है कि यह समाज में अच्छे और बुरे दोनों से कई बड़े बदलाव ला सकता है। वहीं, दूसरी ओर हथियारों की व्यवस्था के मामले में यह काफी खतरनाक है। लेकिन दूसरे तरीके से देखा जाए तो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में मानवता के लिए काफी कुछ अच्छा करने की संभावनाएं हैं, क्योंकि यह इंसानों के मुकाबले बहुत बड़े डेटा को कहीं बेहतर और प्रभावी तरीके से छांट सकता है। 

हमें एआई (AI) की संभावनाओं/खूबियों का भी पता चल रहा है, जैसे- समन्यवन, विश्लेषण, पैटर्न्स देखना, गहरी समझ जैसे असंख्य आयामों पर पूर्वानुमान करने की क्षमता, जो इन्सानों की समझ से परे हैं। इन तकनीकों की प्रकृति ऐसी है, जिससे हमें स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे क्षेत्रों की जटिलता को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलेगी। इसके जरिए सुधार के लिए बेहतर नीतियां और ज्यादा स्मार्ट तरीके विकसित करना आसान है।  

प्रश्‍न: क्या हमने इस महामारी से कोई सबक लिया है और भविष्य में आने वाली ऐसी चुनौतियों के लिए अब हम, पहले से ज्यादा तैयार हैं? इस बारे में आपका क्या सोचना है?

बिल गेट्स: यहां दुर्भाग्यपूर्ण सत्य यह है कि कोविड-19 हमारे जीवन की अंतिम महामारी नहीं है। कोई नहीं जानता कि कब अगली महामारी हम पर टूट पड़े। हमें नहीं पता कि इस बार यह कोई फ्लू होगा, या कोरोना वायरस या फिर ऐसी कोई बीमारी जिसके बारे में हमने पहले कभी देखा या सुना न हो। लेकिन हम यह बात ज़रूर जानते हैं कि दोबारा लापरवाही बहुत भारी पड़ेगी। वैश्विक समुदाय अगर चाहे तो अगली महामारी से एक कदम आगे रह सकता है, बशर्ते हम इसके खतरे को गंभीरता से लें। 

इस महामारी के दौरान अभूतपूर्व वैश्विक सहयोग की बदौलत हमें बीमारी की निगरानी, इलाज और वैक्सीन विकसित करने में बेहतरीन कामयाबी मिली है। इस महामारी से हमने जो बहुमूल्य सबक सीखा है, वह अगली महामारी से निपटने में हमारे बहुत काम आएगा। लेकिन कई और ऐसी योग्यताएं और क्षमताएं हैं, जो हमें आगे विकसित करनी हैं। इनमें ग्लोबल अलर्ट सिस्टम भी है, जो किसी बीमारी की शुरुआत होते ही उसकी पहचान करने में हमारी मदद करेगा। 

इस बार दुनिया कोविड-19 के लिए तैयार नहीं थी। लेकिन अगली बार ऐसा नहीं होना चाहिए। हमारे पास एक महत्वपूर्ण मौका है कि इस महामारी से मिली सीख का इस्तेमाल करते हुए सभी के लिए ज्यादा स्वस्थ और समान भविष्य में बदल सकें।


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