Bilkis Bano Case: दोषियों की रिहाई को चुनौती देने वाली याचिका पर सवाल, सुप्रीम कोर्ट में जवाबी हलफनामा दाखिल
बिलकिस मामले में दोषियों की रिहाई को चुनौती देने वाली याचिका पर सवाल उठाया गया है। रिहा किए गए एक दोषी राधेश्याम ने सुप्रीम कोर्ट में जवाबी हलफनामा दाखिल किया है। जनहित याचिका में छूट के तहत 11 दोषियों की रिहाई को चुनौती दी गई है।
नई दिल्ली, एजेंसी। बिलकिस बानो सामूहिक दुष्कर्म मामले में एक दोषी राधेश्याम ने उन याचिकाकर्ताओं के हस्तक्षेप के अधिकार पर सवाल उठाए हैं जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में उसकी और 10 अन्य दोषियों की रिहाई को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। राधेश्याम का कहना है कि ये याचिकाकर्ता इस मामले में 'पूर्ण अजनबी' हैं।
'कोई भी याचिकाकर्ता मामले से संबंधित नहीं है'
गुजरात सरकार द्वारा हाल में छूट के तहत रिहा किए गए राधेश्याम ने जवाबी हलफनामे में कहा कि कोई भी याचिकाकर्ता इस मामले से संबंधित नहीं है। या तो वे राजनीतिक कार्यकर्ता हैं या फिर अजनबी तीसरा पक्ष। उसका कहना है कि अगर अदालत ने ऐसी याचिकाओं पर सुनवाई की तो यह अदालत में किसी भी आपराधिक मामले में जनता के किसी भी सदस्य के कूदने के लिए खुला आमंत्रण होगा।
कौन हैं याचिकाकर्ता?
राधेश्याम ने इस बात का खास तौर पर उल्लेख किया है कि उसकी रिहाई पर सवाल उठाने वाली जनहित याचिका में पहली याचिकाकर्ता माकपा नेता सुभाषिनी अली हैं जो पूर्व सांसद और आल इंडिया डेमोक्रेटिक वूमेन एसोसिएशन की उपाध्यक्ष हैं। दूसरी याचिकाकर्ता रेवती स्वतंत्र पत्रकार हैं और तीसरी याचिकाकर्ता रूप रेखा वर्मा लखनऊ विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति हैं।
राधेश्याम का कहना है कि शीर्ष अदालत पूर्व के मामलों में स्पष्ट तौर पर कह चुकी है कि आपराधिक मामलों में पूर्ण अजनबी को फैसले पर सवाल उठाने की अनुमति नहीं दी जा सकती क्योंकि अगर ऐसा किया गया तो हर कोई आपराधिक अभियोजन या कार्यवाही पर सवाल उठाने लगेगा।
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