जानिए अभी कहां हैं कोबरा कमांडो राकेश्वर सिंह मन्हास, मुठभेड़ के बाद नक्सलियों ने किया था अगवा
नक्सलियों ने जवान को रिहा करने के लिए जंगल में आसपास के 20 गांवों से आदिवासियों को बुलाकर जनअदालत लगाई थी। भारी भीड़ के बीच नक्सलियों ने जवान को गांधीवादी कार्यकर्ता धर्मपाल सैनी और गोंडवाना समाज के प्रमुख मुरैया तरेम के हवाले किया।
रायपुर, जेएनएन। बीजापुर में नक्सलियों के कब्जे से मुक्त कराए गए सीआरपीएफ के जवान राकेश्वर सिंह मन्हास का स्वास्थ्य ठीक नहीं है। बीजापुर के अस्पताल में उनका इलाज चल रहा है। इस वजह से शनिवार को वे रायपुर नहीं आ पाए। अफसरों ने बताया कि मन्हास को सप्ताहभर बाद ही अस्पताल से छुट्टी मिल पाएगी।
बता दें कि तीन अप्रैल को बीजापुर में सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच हुए मुठभेड़ हुई थी। इस घटना में 22 जवान शहीद हो गए थे। मुठभेड़ के बाद नक्सली मन्हास को अगवा करके ले गए थे। दो दिन पहले उन्हें सामाजिक कार्यकर्ताओं और मीडिया के सहयोग से नक्सलियों के कब्जे से मुक्त कराया गया है।
नक्सलियों ने जवान को रिहा करने के लिए जंगल में आसपास के 20 गांवों से आदिवासियों को बुलाकर जनअदालत लगाई थी। भारी भीड़ के बीच नक्सलियों ने जवान को गांधीवादी कार्यकर्ता धर्मपाल सैनी और गोंडवाना समाज के प्रमुख मुरैया तरेम के हवाले किया। नक्सलियों ने मन्हास की रिहाई के लिए सरकार के समक्ष मध्यस्थ नियुक्ति की शर्त रखी थी।
कौन हैं धर्मपाल सैनी
आचार्य विनोबा भावे के शिष्य करीब 91 वर्षीय धर्मपाल सैनी बस्तर के जाने माने गांधीवादी कार्यकर्ता हैं। बस्तर में महिला शिक्षा के लिए वह 1979 से काम कर रहे हैं। क्षेत्र के सुदूर इलाकों में उन्होंने बीते चार दशक में माता रूकमणी के नाम पर 36 आश्रमशाला खोले हैं। 1992 में भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया था।