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बीजापुर में नक्सलवाद पर खेल भारी- इस एकेडमी के खिलाड़ियों ने 14 माह में जीते 300 पदक

14 अगस्त 2017 के बाद से अकादमी के बच्चों ने पीछे मुड़कर ही नहीं देखा और सफलताओं की बुलंदियों को छूने लंबी छलांग लगाई।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Published: Wed, 03 Oct 2018 07:15 PM (IST)Updated: Wed, 03 Oct 2018 10:09 PM (IST)
बीजापुर में  नक्सलवाद पर खेल भारी- इस एकेडमी के खिलाड़ियों ने 14 माह में जीते 300 पदक
बीजापुर में नक्सलवाद पर खेल भारी- इस एकेडमी के खिलाड़ियों ने 14 माह में जीते 300 पदक

बीजापुर, जेएनएन। बीजापुर छत्तीसगढ़ के उन सर्वाधिक नक्सल प्रभावित जिलों में से एक है जहां से आए दिन हिंसा की खबरें आती हैं, लेकिन आज यहां से एक सुखद खबर आई है। यहां खेलों के जरिए नक्सली हिंसा को मात देने की कोशिशें रंग ला रही हैं। 14 माह पूर्व यहां राज्य की पहली स्पोर्ट्स अकादमी की स्थापना की गई थी।

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इस अकादमी में उन बच्चों को अपने प्रतिभा को संवारने का मौका मिला, जिनके परिवार नक्सल हिंसा से जूझ रहे हैं। यहां आए बच्चों ने सकारात्मक विकास के रास्ते पर आगे बढ़ते हुए अपने कौशल को अलग-अलग खेलों में विकसित किया और इसका नतीजा यह है कि सिर्फ 14 माह के दौरान यहां के खिलाड़ियों ने कुल 300 मेडल अपने नाम करते हुए एक अनूठा रिकॉर्ड बना लिया है। 

अंतर्राष्ट्रीय स्तर लहराया परचम

नक्सल आतंक जैसे कलंक से बाहर निकलकर बीजापुर स्पोर्ट्स अकादमी ने राज्य या राष्ट्रीय नहीं बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर अपना परचम लहराया है। खेल की दुनिया में विश्व के मानचित्र पर बीजापुर का भी अब अपना नाम हो गया है। अकादमी में प्रशिक्षण दे रहे 10 कोच और 10 सहायक कोच की मेहनत से 300 बच्चों की इस अकादमी ने विभिन्न् स्पर्धाओं में पिछले 14 महीनों में कुल 300 पदक हासिल कर पूरे देश में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है।

पीएम मोदी भी हुए इन खिलाड़ियों के मुरीद

इतने कम समय में इस अकादमी के कीर्तिमानों की यात्रा ऐसी रही कि स्वयं देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अकादमी के बच्चों की प्रतिभा के मुरीद हो गए। पिछले दिनों उन्होंने यहां के बच्चों से मुलाकात कर उनकी हौसला आफजाई भी की। प्रधानमंत्री के प्रेरक संदेशों से प्रभावित होकर बच्चों ने डट कर खेलते हुए 300 अपने नाम कर लिए। अब आत्मविश्वास से सराबोर बच्चों की नजर एशियन और ओलंपिक गेम्स पर जा टिकी है।

क्षेत्रीय विधायक और राज्य के वन एवं विधि विधायी कार्य मंत्री महेश गागड़ा और तात्कालीन कलेक्टर डॉ अयाज ताम्बोली के प्रयासों से बीजापुर स्पोर्ट्स अकादमी जून 2017 को अस्तित्व में आई। इसकी विधिवत शुरुआत 14 अगस्त 2017 को की गई। इसके बाद अकादमी के बच्चों ने पीछे मुड़कर ही नहीं देखा और सफलताओं की बुलंदियों को छूने लंबी छलांग लगाई।

अपना भविष्य संवार रहे 300 खिलाड़ी

इस अकादमी की शुरुआत 300 खिलाड़ियों के साथ की गई थी। 10 खेल, 10 कोच और 10 सहायक कोच के साथ की गई। बीजापुर राज्य का ऐसा पहला नक्सल जिला है जहां एक साथ 10 खेलों की स्पोर्ट्स अकादमी का संचालन किया जा रहा है। यहां बच्चों को आवासीय सुविधा के साथ पढ़ाई का सारा खर्च भी प्रशासन व्यय करता है, साथ ही सभी खेल सुविधाआ के साथ सामाग्री और बेहतर मैदान की भी सुविधा दी गई है।

इन खेलों में जीते पदक

इसी का परिणाम है की पिछले 14 महीनों में इस अकादमी के खिलाड़ियों ने जूडो में 16 स्वर्ण 8 रजत 8 कांस्य, कराते में 9 स्वर्ण,4 रजत 5 कांस्य,तीरंदाजी में 13 स्वर्ण, 9 रजत, 6 कांस्य, सॉफ्ट बॉल में 84 स्वर्ण, 55 रजत, 64 कांस्य, बैडमिंटन में 2 स्वर्ण, 9 रजत, फुटबॉल में 7 स्वर्ण 3 कांस्य और एथलेटिक्स में 5 स्वर्ण और 2 कांस्य पदक समेत कुल 300 पदक जीतकर नया कीर्तिमान स्थापित किया है, जबकि आकदमी की सबसे बड़ी उपलब्धि यह रही है की सॉफ्टबॉल की दो महिला खिलाड़ी अरुणा पुनेम और सुनीता हेमला ने फिलीपींस में हुए अन्तरर्राष्ट्रीय सॉफ्टबॉल प्रतियोगिता में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए बीजापुर का लोहा मनवाया है।

क्षेत्र में प्रतिभाओं की कमी नहीं

बीजापुर स्पोर्ट्स अकादमी की नींव रखने वाले प्रदेश के वन मंत्री महेश गागड़ा का कहना है कि बीजापुर में खेल प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है। इसे देखते हुए स्पोर्ट्स अकादमी की शुरुआत की गई। इसमें सफलता भी मिल रही है। अब तक यहां के बच्चों ने जो कीर्तिमान बनाया है उसे देखते हुए निश्चित ही आने वाले समय में बीजापुर को पूरी दुनिया में नक्सल आतंक नहीं, बल्कि खेल प्रतिभाओं के नाम से जाना जाएगा।

अकादमी में संचालित खेल और कोच

सॉफ्टबॉल- सोपान करनेवार,पूजा साहू

तीरंदाजी- दुर्गेश प्रताप सिंह,ललित तेलम

फ़ुटबाल- श्रीराम यादव, सोमारू

जुडो- भुवन नागे, भावना भगत

कराते- प्रकर्ष राव, दानम निशा

बैडमिंटन- युवराज देव, गोपी मंडावी

एथलेटिक्स- पायल दिल्लीवार

तैराकी- राजेन्द्र तलांडी

वॉलीबॉल- सिनोज पुनेम जैसे खिलाड़ियों को अपने दमदार खेल की वजह से पहचाना जाएगा।


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