छत्तीसगढ़ के राहत शिविर में रखे गए बिहार के मजदूरों को छोड़ दिया ओडिशा में
एक-दूसरे के राज्य में धकेलने का सिलसिला जारी। झारखंड के मजदूरों को राज्य की सीमा पर छोड़ा गया।
बिलासपुर, नईदुनिया। प्रवासी मजदूरों को उनके राज्य में भेजने के लिए भले ही स्पेशल ट्रेनों का संचालन शुरू कर दिया गया है, लेकिन पड़ोसी राज्यों में मजदूरों को एक-दूसरे के राज्य में धकेलने का सिलसिला अब भी जारी है। छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले के लुड़ेग स्थित राहत शिविर में रखे गए मजदूरों को प्रशासन ने ओडिशा की सीमा में छोड़े दिया।
इस शिविर में रखे गए अधिकांश मजदूर बिहार के निवासी थे, जो महाराष्ट्र की सीमा से राज्य के राजनांदगांव जिले में घुसे थे। जहां से इन्हें जशपुर के राहत शिविर में लाया गया था। इसी शिविर में रह रहे बिहार निवासी एक मजदूर को रैपिट टेस्ट कीट से किए गए कोरोना परीक्षण का परिणाम पॉजिटिव आया था। हालांकि, बाद में रायपुर के एम्स में किए गए परीक्षण में सैंपल का परिणाम निगेटिव आने से प्रशासनिक अमले ने राहत की सांस ली थी। इस घटना के बाद से लुड़ेग के स्थानीय लोगों ने इस राहत शिविर में दूसरे प्रांत के लोगों को रखे जाने का विरोध करना शुरू कर दिया था।
कलेक्टर निलेश कुमार महादेव क्षीरसागर का कहना है कि मजदूरों का स्वास्थ्य परीक्षण करने और उनकी सहमति लिए जाने के बाद ही यह कार्रवाई की गई है। राजनांदगांव के बाघ नदी शिविर से 143 मजदूरों को पिछले माह की 14 तारीख को जिले के चार अलग अलग शिविरों में रखा गया था। झारखंड और बिहार प्रांत के ये मजदूर गुजरात के सूरत जिले में एक निजी कंपनी में मजदूरी कर रहे थे। 24 मार्च को लॉकडाउन की घोषणा के साथ ही निर्माण कार्य ठप हो गया। कुछ दिनों तक निर्माण स्थल पर निर्मित अस्थायी शिविर में रहने के बाद ये मजदूर पैदल ही झारखंड और बिहार जाने के लिए रवाना हो गए थे। छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र की सीमा पर इन मजदूरों को बाघ नदी की सीमा पर रोक कर क्वारंटाइन भी किया गया था।
उधर, सूरजपुर जिले के जजावल राहत शिविर में रह रहे मजदूरों को भी उनके घर भेज दिया गया। इसमें तमाम मजदूर झारखंड के गढ़वा के निवासी थे। जिन्हें झारखंड की सीमा पर छोड़ा गया। इसी शिविर में रह रहे गढ़वा(झारखंड) के तीन श्रमिक कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे। इसके बाद यहां रह रहे सभी श्रमिकों और तैनात कर्मचारियों की जांच कराई गई। इसमें पंचायत सचिव, आरक्षक और रसोइया भी कोरोना पॉजिटिव मिले। अन्य मजदूरों की रिपोर्ट निगेटिव आई। प्रशासन ने रिपोर्ट निगेटिव आने को आधार बनाकर उन्हें घर भेज दिया। जो झारखंड के थे, उन्हें शुक्रवार की रात जजावल शिविर से झारखंड की सीमा पर छोड़ा गया।