बिहार के नतीजों से केरल में क्यों बढ़ी बेचैनी? इन चुनावों पर पड़ सकता है असर
बिहार में भाजपा के शानदार प्रदर्शन से केरल भाजपा उत्साहित है, क्योंकि पार्टी इसे आगामी स्थानीय चुनावों के लिए मनोबल बढ़ाने वाला मान रही है। कार्यकर्ताओं में उत्साह है और वे जश्न मना रहे हैं। भाजपा नेता केरल में भी ऐसी ही सफलता की उम्मीद कर रहे हैं। बिहार के नतीजों ने केरल में कांग्रेस और एलडीएफ को भी चिंतित कर दिया है, जिससे राज्य में स्थानीय चुनावों का माहौल गरमा गया है।
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बिहार चुनाव से केरल भाजपा में उत्साह
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बिहार में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के शानदार प्रदर्शन से पार्टी की केरल इकाई में जश्न का माहौल है। पार्टी इस नतीजे को अगले महीने केरल में होने वाले स्थानीय निकाय चुनावों से पहले मनोबल बढ़ाने वाला मान रही है। केरल के पार्टी नेताओं का कहना है कि बिहार में मिले जनादेश ने कार्यकर्ताओं में जोश भरा है और आत्मविश्वास भर दिया है।
केरल में कई जगहों पर भाजपा समर्थक बिहार में मिले प्रदर्शन का जश्न मनाने के लिए सड़कों पर उतर आए हैं। केरल में भाजपा के पास इस समय निगम के 101 वार्डों में से 35 पर कब्जा है। यहां भाजपा मुख्य विपक्षी दल है। कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूडीएफ 10 सीटों के साथ काफी पीछे है।
बिहार चुनाव से केरल भाजपा में उत्साह
बिहार में एनडीए के शानदार प्रदर्शन के साथ राज्य के भाजपा नेता पहले से ही अनुमान लगा रहे हैं कि ऐसा ही कुछ केरल में भी हो सकता है। केरल में बीजेपी की एकमात्र संसदीय उपस्थिति अभिनेता से नेता बने सुरेश की हाई-प्रोफाइल जीत है। गोपी इस साल की शुरुआत में त्रिशूर लोकसभा सीट से सांसद बने थे।
140 सदस्यीय केरल विधानसभा में भाजपा का कोई प्रतिनिधित्व नहीं है। ये एक ऐसा अंतर है जिसे भाजपा राष्ट्रीय स्तर पर बनी लहर का उपयोग करके कम करने की उम्मीद करती है। भाजपा का केरल वोट शेयर लगभग केवल 16 प्रतिशत है।
स्थानीय निकाय चुनावों में मनोबल बढ़ने की उम्मीद
हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह अपने केरल दौरे के दौराब कथित तौर पर नेतृत्व को दिसंबर के स्थानीय निकाय चुनावों में वोट शेयर को कम से कम 25 प्रतिशत तक बढ़ाने का निर्देश दिया था। नेताओं का मानना है कि बिहार के फैसले से समर्थकों में जोश भरने, असमंजस में पड़े नेताओं को अपनी ओर खींचने और पार्टी के इस संदेश को पुष्ट करने में मदद मिलेगी।
राज्य भाजपा अध्यक्ष राजीव चंद्रशेखर ने कहा है कि, चूंकि इससे पहले पारंपरिक राजनीतिक मोर्चों के पास राज्य की राजधानी में निगम पर शासन करने के मौके थे और लेकिन वे विफल रहे हैं। इसलिए भाजपा को एक मौका दिया जाना चाहिए। बिहार के नतीजों ने केरल में कांग्रेस को भी बेचैन कर दिया है, जो इस बार स्थानीय निकाय चुनावों में दोबरा उठने की उम्मीद कर रही है।
कांग्रेस और एलडीएफ में चिंता का माहौल
बिहार चुनाव में महागठबंधन की तरफ से माकपा का प्रदर्शन बेहद खाब रहा। यह झटका केरल में सत्तारूढ़ एलडीएफ के लिए सही समय पर नहीं आया है। जिलों में चुनाव प्रचार की तैयारियां तेज होने के साथ बिहार के जनादेश ने भाजपा को दिसंबर में होने वाले निकाय चुनावों से पहले चर्चा का सबसे महत्वपूर्ण विषय दे दिया है, जिससे केरल मेंस्थानीय चुनाव के लिए मंच तैयार हो गया है।

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