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    बिहार के नतीजों ने बढ़ाई महाराष्ट्र में कांग्रेस की चिंता, इन चुनावों पर पड़ सकता है असर 

    Updated: Fri, 14 Nov 2025 08:00 PM (IST)

    बिहार चुनाव में कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन ने महाराष्ट्र कांग्रेस की चिंता बढ़ा दी है, जिसका असर आगामी स्थानीय निकाय चुनावों पर दिख सकता है। महाविकास अघाड़ी में सीट बंटवारे को लेकर शिवसेना (यूबीटी) और राकांपा, कांग्रेस पर दबाव बना सकते हैं, साथ ही राज ठाकरे को गठबंधन में शामिल करने का दबाव भी बढ़ सकता है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष ने हार का कारण चुनाव आयोग को बताया है, जबकि विपक्ष ने कांग्रेस पर विभाजनकारी राजनीति करने का आरोप लगाया है।

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    बिहार चुनाव: कांग्रेस का प्रदर्शन निराशाजनक

    राज्य ब्यूरो मुंबई, 14 नवंबर। बिहार चुनाव में कांग्रेस की दुर्गति ने महाराष्ट्र में कांग्रेस की चिंता बढ़ा दी है। कांग्रेस की इस दुर्दशा का सीधा असर अगले दो माह में होनेवाले महाराष्ट्र के स्थानीय निकाय चुनावों में देखने को मिल सकता है।

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    इन चुनावों में महाराष्ट्र के विपक्षी गठबंधन महाविकास आघाड़ी के घटक दल शिवसेना (यूबीटी) और राकांपा (शरदचंद्र पवार) कांग्रेस को सीट समझौते के मामले में दबाने का प्रयास कर सकते हैं। पिछले लोकसभा एवं विधानसभा चुनावों में शिवसेना (यूबीटी) और राकांपा (शरदचंद्र पवार) कांग्रेस से उसकी कई परंपरागत सीटें भी छीनने में सफल रहे थे।

    कांग्रेस का प्रदर्शन निराशाजनक

    महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से ठीक पहले हुए हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद विशेषकर शिवसेना (यूबीटी) कांग्रेस पर यह कहकर दबाव बनाती रही थी कि कांग्रेस को राज्यों की राजनीति में क्षेत्रीय दलों को ज्यादा स्थान देना चाहिए।

    अब बिहार में कांग्रेस की बुरी हार के बाद शिवसेना (यूबीटी) न सिर्फ अलग-अलग स्थानीय निकायों के सीट समझौते में कांग्रेस की बांहें मरोड़ेंगी, बल्कि महाविकास आघाड़ी में राज ठाकरे को शामिल करवाने के लिए भी दबाव बनाएगी।

    स्थानीय चुनावों पर असर

    अब तक कांग्रेस मविआ में राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) को शामिल करने का विरोध करती रही थी। महाराष्ट्र में 29 महानगरपालिकाओं सहित पूरे राज्य के जिला परिषदों, नगर परिषदों के चुनाव 31 जनवरी के पहले संपन्न कराए जाने हैं। लेकिन बिहार में मिली बुरी हार के बावजूद महाराष्ट्र में कांग्रेस के रवैये में कोई खास बदलाव आता दिखाई नहीं दे रहा है।

    उसके प्रदेश अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने आज भी कांग्रेस की हार का ठीकरा चुनाव आयोग पर फोड़ते हुए कहा कि चुनाव आयोग जिस प्रकार सत्ताधारी दल को जिताने के लिए काम कर रहा है, वह लोकतंत्र के लिए घाटक है। सपकाल ने कहा कि देश को अब टी.एन.शेषन जैसे चुनाव आयुक्त की आवश्यकता है।

    गठबंधन में सीट बंटवारे पर दबाव संभव

    दूसरी ओर शिवसेना (शिंदे) और भाजपा ने कांग्रेस की ओर से हो रही बयानबाजी का करारा जवाब दिया है। लोकसभा में शिवसेना के सांसद डा.श्रीकांत शिंदे ने कहा है कि कांग्रेस और उसके सहयोगी दल सिर्फ जाति एवं समाज को बांटने की राजनीति पर ध्यान केंद्रित रखते हैं।

    यही कारण है कि कांग्रेस दहाई के आंकड़े को भी नहीं छू पाई। राजनीतिक रूप से जागरूक राज्य की जनता के बीच राहुल गांधी की राजनीतिक विश्वसनीयता शून्य हो गई है। यही कारण है कि उनका जाति कार्ड, सांप्रदायिक कार्ड एवं झूठे नैरेटिव, सभी ध्वस्त हो गए।

    इसी प्रकार मुंबई भाजपा के पूर्व अध्यक्ष एवं राज्य सरकार में मंत्री आशीष शेलार ने भी कांग्रेस एवं शिवसेना (यूबीटी) को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि बिहार की जनता ने ‘दिल्ली के पप्पू’ द्वारा चलाए गए वोट चोरी, ईवीएम एवं दोहरे मतदान के दुष्प्रचार को खारिज कर दिया। अब महराष्ट्र की जनता ‘महाराष्ट्र के पप्पू’ (इशारा उद्धव ठाकरे के पुत्र आदित्य ठाकरे की ओर) की ओर से चलाए जा रहे ऐसे ही दुष्प्रचार का उचित जवाब देगी।