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न्यायपालिका में सुप्रीम संकट: जजों की नियुक्ति में देरी पर उठाए सवाल

फैसला पलटने की पुरानी टीस जस्टिस चेलमेश्वर ने गुरुवार को जो बातें कीं, वह शायद उस संदर्भ में थी। सीजेआई की पीठ ने 10 नवंबर को पलट दिया था।

By Manoj YadavEdited By: Published: Fri, 13 Apr 2018 11:20 AM (IST)Updated: Fri, 13 Apr 2018 12:05 PM (IST)
न्यायपालिका में सुप्रीम संकट: जजों की नियुक्ति में देरी पर उठाए सवाल
न्यायपालिका में सुप्रीम संकट: जजों की नियुक्ति में देरी पर उठाए सवाल

नई दिल्ली, ब्यूरो। न्यायपालिका में उठा तूफान थमने का नाम नहीं ले रहा है। कोलेजियम के सदस्य वरिष्ठ जज एक-एक कर सरकार की कथित दखंलदाजी पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा उसके निराकरण के कदम नहीं उठाने पर सवाल ख़़डे कर रहे हैं। शीषर्ष अदालत में दूसरे नंबर के वरिष्ठतम जज जस्टिस जे. चेलमेश्वर की ओर से इस बाबत प्रधान न्यायाधीश [सीजेआई] दीपक मिश्रा को लिखी चिट्ठी सुर्खियों से ओझल भी नहीं हुई कि दूसरे वरिष्ठ जज कुरियन जोसेफ ने भी सीजेआई को पत्र लिख कर जजों की नियुक्ति की कोलेजियम की सिफारिश दबाकर बैठने के सरकार के रवैये पर एतराज जताया है।

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उन्होंने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट का अस्तित्व संकट में है। उन्होंने सीजेआई से इस मुद्दे पर स्वत: संज्ञान लेकर सात वरिष्ठ जजों की पीठ द्वारा खुली अदालत में सुनवाई किए जाने की बात कही है। जस्टिस कुरियन जोसेफ ने गत नौ अप्रैल को सीजेआई को पत्र लिखा, जिसमें सरकार पर उत्तराखंड के मुख्य न्यायाधीश केएम जोसेफ और वकील इंदु मल्होत्रा को सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किए जाने की कोलेजियम की सिफारिश दबाकर बैठ जाने का आरोप लगाया गया है। कहा कि इतिहास हमें माफ नहीं करेगा अगर शीषर्ष अदालत सरकार के कोलेजियम की सिफारिश दबाकर बैठ जाने के रवैये का जवाब नहीं देगी। कोर्ट को मामले में तत्काल दखल देना चाहिए और इस मसले पर जस्टिस करनन के केस की तरह स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई की जानी चाहिए।

मैं नहीं चाहता कि 24 घंटे में मेरा एक और फैसला पलटा जाए : जस्टिस चेलमेश्वर

गुरुवार को जस्टिस जे. चेलमेश्वर ने सीजेआई के पीठ गठन के अधिकार पर सवाल उठाने वाली याचिका को सूचीबद्ध करने की मांग पर विचार करने से इनकार कर दिया। वकील प्रशांत भूषषण का कहना था कि उनके पिता व पूर्व कानून मंत्री शांतिभूषषण की याचिका दाखिल हुए 10 दिन बीत गए हैं लेकिन अभी तक वह सुनवाई के लिए सूचीबद्ध नहीं हुई है जबकि एक अन्य मामले में कोर्ट ने सुनवाई करके फैसला भी सुना दिया।

लेकिन जस्टिस चेलमेश्वर ने कहा कि वह इस मामले को नहीं सुनेंगे। उन्होंने कहा-- 'पिछले दो महीनों से जो हो रहा है, उसे देखते हुए वह नहीं चाहते कि 24 घंटे के भीतर उनका फैसला पलट दिया जाए। उनके रिटायरमेंट को कुछ ही दिन शेषष हैं। देश में इस मामले को लेकर चिंता नहीं है। देश अपना रास्ता खुद तय करेगा। मुझे माफ करें। मैं नहीं सुनूंगा।' उन्होंने कहा-- 'ऐसा माना जा रहा है जैसे कि मैं कुछ हासिल करना चाहता हूं। कारण स्पष्ट है, मैं नहीं सुनूंगा। आप किसी और पीठ के समक्ष इसका उल्लेख करें।'

जस्टिस चेलमेश्वर के मना कर देने पर प्रशांत भूषण ने प्रधान न्यायाधीश की पीठ के समक्ष याचिका का जिक्र किया। सीजेआई ने कहा कि वह मसले पर विचार करेंगे। फैसला पलटने की पुरानी टीस जस्टिस चेलमेश्वर ने गुरुवार को जो बातें कीं, वह शायद उस संदर्भ में थी जिसमें उनकी अध्यक्षता वाली पीठ के एक फैसले को सीजेआई की पीठ ने 10 नवंबर को पलट दिया था। तब जजों के नाम पर घूसखोरी के मामले में एक जनहित याचिका को पांच वरिष्ठ जजों की पीठ के सामने सुनवाई के लिए लगाए जाने का जस्टिस चेलमेश्वर की अध्यक्षता वाली दो जजों की पीठ का फैसला 24 घंटे के भीतर प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने पलट दिया था।

शांतिभूषषण की याचिका पर सुनवाई आज

शांतिभूषषण की याचिका पर शुक्रवार को जस्टिस एके सीकरी व जस्टिस अशोक भूषषण की पीठ सुनवाई करेगी। वकील प्रशांत भूषषण द्वारा मामले का उल्लेख प्रधान न्यायाधीश के समक्ष करने के बाद शांतिभूषषण की याचिका शुक्रवार की सुनवाई सूची में शामिल हो गई है।


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