लॉकडाउन में परेशान मजदूरों को बड़ी राहत, ग्रामीण बेरोजगारों को राहत देगी मनरेगा की संशोधित मजदूरी
लाकडाउन से प्रभावित ऐसे परिवारों की बकाया मजदूरी का भुगतान हर हाल में करने के लिए केंद्र ने राज्यों को निर्देश के साथ धनराशि भी जारी कर दिया है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कोरोना वायरस के प्रकोप को रोकने के लिए लागू देशव्यापी लाकडाउन में परेशान रहे ग्रामीण मजदूरों को राहत देने के लिए मनरेगा को और कारगर तरीके लागू किया जाएगा। एक अप्रैल यानी बुधवार से मनरेगा की संशोधित मजदूरी लागू हो जाएगी। कोविड-19 की वजह से चौतरफा बंदी से प्रभावित मनरेगा की मजदूरी में इस बार समान वृद्धि की घोषणा की गई है, जो सारे सभी राज्यों में समान रूप से लागू होगी।
ग्रामीण क्षेत्रों में अनुसूचित, अनुसूचित जनजाति, लघु व सीमांत किसानों के साथ गरीब परिवार के लोगों को केंद्र में रखकर महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम को लागू किया जाएगा। लाकडाउन से प्रभावित ऐसे परिवारों की बकाया मजदूरी का भुगतान हर हाल में करने के लिए केंद्र ने राज्यों को निर्देश के साथ धनराशि भी जारी कर दिया है। अकेले उत्तर प्रदेश राज्य ने अपने यहां के 27.5 लाख मनरेगा मजदूरों के बैंक खाते में उनकी बकाया मजदूरी जमा करायी है, जो तकरीबन 600 करोड़ से अधिक थी।
एक अप्रैल से लागू होगा यह फैसला
आगामी वित्त वर्ष 2020-21 में मनरेगा की मजदूरी में संशोधित सूची के हिसाब से 13 से 34 रुपये की वृद्धि होनी थी। लेकिन कोरोना वायरस के प्रकोप से लागू देशव्यापी लाकडाउन के प्रभावों से राहत देने के उद्देश्य से मनरेगा की मजदूरी में 20 रुपये की एक समान वृद्धि का फैसला कर दिया है। मजदूरी दर में वृद्धि का यह फैसला कल एक अप्रैल से लागू हो जाएगा। मनरेगा के कार्यो के बारे में जारी गाइड लाइन में स्पष्ट किया गया है कि लाकडाउन के प्रावधानों का किसी भी तरह उल्लंघन नहीं होना चाहिए।
60 हजार करोड़ का किया गया प्रावधान
वर्ष 2019-20 में केंद्र ने मनरेगा के लिए आम बजट में 60 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था, जिसके मुकाबले इस मद में व्यय 71 हजार करोड़ रुपये से अधिक हुआ। इसके मद्देनजर आगामी वित्त वर्ष 2020-21 के लिए 61,500 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है, जिसमें वृद्धि होना तय है।
तथ्य यह है कि लाकडाउन से उपजने वाली आर्थिक मंदी को देखते हुए ग्रामीण अर्थव्यवस्था में और अधिक धनराशि मनरेगा में आवंटित करनी होगी। ग्रामीण मांग से वित्तीय व्यवस्था में सुधार होने की संभावना है। खेतिहर मजदूरों की मजदूरी में भी वृद्धि होनी तय है। महाराष्ट्र व दादरा नगर हवेली में मनरेगा की मजदूरी की दर में 34 रुपये तक की वृद्धि का प्रस्ताव रहा है। जबकि सबसे कम 13 रुपये की वृद्धि पश्चिम बंगाल, सिक्किम, त्रिपुरा, नगालैंड और अरुणाचल प्रदेश में किया गया था। उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, उड़ीसा और मणिपुर में 19 रुपये की वृद्धि का प्रस्ताव था।