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Bhopal Gas Tragedy: 36 से 42 कॉलोनियों में बढ़ा जहरीले रसायनों का खतरा, फिर भी नष्ट नहीं कर रहे

Bhopal Gas Tragedy यूनियन कार्बाइड की मालिक कंपनी डॉव केमिकल के कारखाने में 340 टन जहरीला कचरा पड़ा है। इसे डेढ़ साल पहले नष्ट करने की प्रक्रिया इंदौर के पीथमपुर में शुरू हुई थी।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Tue, 03 Dec 2019 08:17 AM (IST)Updated: Tue, 03 Dec 2019 08:19 AM (IST)
Bhopal Gas Tragedy: 36 से 42 कॉलोनियों में बढ़ा जहरीले रसायनों का खतरा, फिर भी नष्ट नहीं कर रहे
Bhopal Gas Tragedy: 36 से 42 कॉलोनियों में बढ़ा जहरीले रसायनों का खतरा, फिर भी नष्ट नहीं कर रहे

भोपाल, जेएनएन। Bhopal Gas Tragedy यूनियन कार्बाइड कारखाने में पड़े 340 टन जहरीले कचरे को 35 साल में भी नष्ट नहीं किया जा सका है। यह आसपास के 4 किलोमीटर के दायरे में भूमिगत जल व मिट्टी को प्रदूषित कर चुका है। इसके कारण रहवासियों को गंभीर बीमारियां हो रही हैं। इस कचरे की वजह से आसपास की 42 कॉलोनियों के भूमिगत जल स्रोतों में हानिकारक रसायन का स्तर बढ़ा है। पहले ये रसायन 36 कॉलोनियों के भूमिगत जल तक ही सीमित थे। भारतीय विष विज्ञान संस्थान की रिपोर्ट में इसकी पुष्टि हुई है।

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यूनियन कार्बाइड की मालिक कंपनी डॉव केमिकल के कारखाने में 340 टन जहरीला कचरा पड़ा है। इसे डेढ़ साल पहले नष्ट करने की प्रक्रिया इंदौर के पीथमपुर में शुरू हुई थी। 10 टन कचरा नष्ट भी किया गया था। उसके बाद से प्रक्रिया रुकी है। भोपाल ग्रुप फॉर इन्फार्मेशन एंड एक्शन के सदस्य सतीनाथ षष़़डंगी का कहना है कि 10 टन कचरे के निपटान के बाद राज्य सरकार चाहती है कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड नष्ट किए गए कचरे की रिपोर्ट तैयार करे और आगे भी निपटान की कार्रवाई खुद की निगरानी में करें। जबकि, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड चाहता है कि स्थानीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड व सरकार जहरीला कचरा नष्ट कराए। इस उलझन के कारण कचरा नष्ट नहीं हो पा रहा है।

340 टन नहीं, 20 हजार टन जमीन में दबाया

गैस पीड़ित संगठनों का आरोप है कि यूनियन कार्बाइड कारखाना परिसर में करीब 20 हजार टन जहरीला कचरा दबाया गया है। इसके अलावा 21 स्थानों पर गढ्डे खोदकर उनमें कारखाने से निकलने वाला अपशिष्ट दबाया गया था, इसलिए अकेले 340 टन कचरे की बात करने से कुछ नहीं होगा। भोपाल ग्रुफ फॉर इन्फार्मेशन एंड एक्शन के सदस्य सतीनाथ षडंगी का कहना है कि इस कचरे को हटाने के लिए कारखाना के आसपास 5 किलोमीटर के दायरे में वैज्ञानिक अध्ययन किया जाए और कचरे को हटाने की प्रक्रिया शुरू की जाए, तब ही भोपाल की मानव जाति व प्रकृति का भला होगा।

 न संयुक्त राष्ट्र संघ की बात मानी न खुद हटा रहे

गैस पीड़ित संगठन के नवाब खां का कहना है कि साल 2015-16 में संयुक्त राष्ट्र संघ में काम करने वाली संस्थाओं की तरफ से कहा गया था कि वे वैज्ञानिक अध्ययन कर कचरा हटाने में मदद करना चाहते हैं। तब केंद्र में तत्कालीन पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने विदेशी मदद लेने से इंकार किया था। नवाब खां का कहना है कि केंद्र ने न संयुक्त राष्ट्र संघ की बात मानी न खुद कचरा हटाने की ठोस पहल कर रहा है। जहरीली गैस कांड संघषर्ष मोर्चा के सदस्य अनन्य प्रताप सिंह का कहना है कि कचरा हटाने की दिशा में कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है, जो भोपाल के पर्यावरण व जनता के साथ खिलवाड़ है।

कार्रवाई करेंगे

कचरा हटाने को लेकर उच्च स्तर से जो भी निर्देश मिलेंगे, उनका पालन कर कार्रवाई की जाएगी। हाल ही में कोई निर्देश नहीं मिले हैं।

- आरएस कोरी, सदस्य सचिव, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड मप्र


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