नौसेना के लिए स्पेशल ग्रेड की लौह प्लेट बनाएगा भिलाई इस्पात संयंत्र
छत्तीसगढ़ के भिलाई इस्पात संयंत्र में निर्मित स्पेशल ग्रेड की प्लेटों का उपयोग समुद्री जहाजों और पनडुब्बियों में किया जाएगा।
अजमत अली, भिलाई। छत्तीसगढ़ के भिलाई इस्पात संयंत्र में निर्मित स्पेशल ग्रेड की प्लेटों का उपयोग समुद्री जहाजों और पनडुब्बियों में किया जाएगा। इसके लिए भिलाई इस्पात संयंत्र को नौसेना से करीब 50 हजार टन स्पेशल ग्रेड की प्लेट का ऑर्डर मिला है। इसका उत्पादन लॉकडाउन-4 में करने का लक्ष्य रखा गया है। ऐसे में अब देश को चीन, रूस, ब्रिटेन, कनाडा व फ्रांस आदि देशों पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं होगी।
ऑर्डर ने आत्मबल बढ़ाया
भिलाई इस्पात संयंत्र के प्लेट मिल के अधिकारी बताते हैं कि नौसेना से मिले ऑर्डर ने आत्मबल बढ़ा दिया है। चंद्रयान से लेकर गगनयान, युद्धपोत, पनडुब्बी, पेट्रोलियम पाइपलाइन आदि क्षेत्रों की जरूरतों को अब संयंत्र पूरा कर रहा है, जो पहले विदेश से मंगाई जाती थीं।
प्लेट मिल ने विश्वास बढ़ाया, आसमां तक पहुंचाया
संयंत्र के एक्सपर्ट और होनहारों ने स्पेशल ग्रेड का स्टील बनाया, जिसका परीक्षण कर भारतीय नौसेना ने विश्वास किया। इसके लिए डीएमआर-249-ए ग्रेड की प्लेट बनाईं। ये आइएनएस विक्रांत, आइएएस कमोर्ता में इस्तेमाल हो चुकी हैं। इसके अलावा प्लेटों का उपयोग पनडुब्बियों के निर्माण के लिए किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि विदेश की तुलना में इसकी क्वालिटी बेहतर और कीमत कम है। सालभर में करीब 50 हजार टन स्पेशल प्लेट बनाती हैं।
राकेट लॉचर के लौह का भी निर्माण
विक्रम साराभाई स्पेश रिसर्च सेंटर और मिश्र धातु निगम लिमिटेड-मिधानी ने शोध के आधार पर विदेशी तकनीकी को देश में ही विकसित कराया है। रॉकेट लांचर से निकलती लौ को सहन करने वाली क्षमता संयंत्र की स्टील में ही पाई गई। इसका उपयोग गगनयान तक में किया गया।
भिलाई इस्पात संयंत्र के जनसंपर्क विभाग ने कहा कि भिलाई इस्पात संयंत्र देश को आत्मनिभर बनाने की दिशा में प्रयास करता रहा है। अब प्लेट मिल इसमें बड़ी भूमिका निभा रहा है। विदेश से मंगाए जाने वाली स्पेशल ग्रेड की प्लेटों का निर्माण अब भिलाई इस्पात संयंत्र में ही हो रहा है। नौसेना से मिले नए ऑर्डर ने मान बढ़ाया है।