भिलाई इस्पात संयंत्र के बंद होने की नौबत
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। भिलाई इस्पात संयंत्र के बंद होने के खतरे ने छत्तीसगढ़ के साथ केंद्र की भी नींद उड़ा दी है। नक्सलियों के विरोध के कारण संयंत्र को नई खदान से लौह अयस्क आपूर्ति की योजना खटाई में पड़ गई है। मौजूदा खदान में केवल चार साल के लिए लौह अयस्क बचा है।
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। भिलाई इस्पात संयंत्र के बंद होने के खतरे ने छत्तीसगढ़ के साथ केंद्र की भी नींद उड़ा दी है। नक्सलियों के विरोध के कारण संयंत्र को नई खदान से लौह अयस्क आपूर्ति की योजना खटाई में पड़ गई है। मौजूदा खदान में केवल चार साल के लिए लौह अयस्क बचा है। संयंत्र को अयस्क आपूर्ति बनाए रखने के लिए इस्पात सचिव ने सोमवार को राज्य के आला अधिकारियों की बैठक बुलाई। नक्सली धमकी के मद्देनजर केंद्रीय गृह मंत्रालय के आला अधिकारियों को भी बैठक में बुलाया गया था।
पुरानी खदान में अयस्क की कमी को देखते हुए सरकार ने छत्तीसगढ़ के कांकेर व नारायणपुर जिले के रावघाट से भिलाई संयंत्र को आपूर्ति करने का फैसला किया था। इसके लिए भिलाई से रावघाट तक 130 किमी लंबी रेल लाइन बिछाने के साथ अयस्क निकालने के लिए जंगल को साफ भी करना था। पूरी परियोजना को पर्यावरण मंत्रालय की हरी झंडी भी मिल चुकी है, लेकिन नक्सलियों के विरोध के कारण न तो रेल लाइन बिछ पा रही है और न ही जंगल साफ किया जा सका है।
स्टील सचिव डीआरएस चौधरी की अध्यक्षता में हुई बैठक में छत्तीसगढ़ के पुलिस महानिदेशक और मुख्य सचिव ने रेल लाइन बिछाने व जंगल साफ करने के लिए लगभग 10 बटालियन अतिरिक्त केंद्रीय सुरक्षा बलों की मांग की है। गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने इतनी संख्या में सुरक्षा बल मुहैया कराने से इन्कार कर दिया है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि 230 किमी लंबी रेल लाइन और जंगल की सफाई को नक्सली हमले से पूरी तरह सुरक्षा मुहैया करा पाना संभव नहीं होगा। इस प्रोजेक्ट पर नक्सलियों का विरोध सुरक्षा एजेंसियों को समझ नहीं आ रहा है। रावघाट के जंगल में कोई आबादी नहीं है। केवल रेल लाइन बिछाने के दौरान 900 लोगों का विस्थापन होगा। इन सभी को पूरा मुआवजा दिया जा चुका और परिवार के एक सदस्य को परियोजना में नौकरी का भी आश्वासन दिया गया है।
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