Move to Jagran APP

भिलाई स्टील प्लांट में मुआवजे की राशि में समानता नहीं

मुआवजे को लेकर काफी असमानता सामने आई है। मुआवजे की राशि इसपर निर्भर कर रही है कि हादसे की गूंज कहां तक पहुंची।

By Vikas JangraEdited By: Published: Thu, 11 Oct 2018 11:16 PM (IST)Updated: Thu, 11 Oct 2018 11:16 PM (IST)
भिलाई स्टील प्लांट में मुआवजे की राशि में समानता नहीं
भिलाई स्टील प्लांट में मुआवजे की राशि में समानता नहीं

भिलाई [नईदुनिया]। भिलाई स्टील प्लांट में हुई दुर्घटना में 13 कर्मचारियों की मौत हुई। प्रत्येक पीडि़त परिवार को 30 लाख रुपये की अतिरिक्त राहत राशि की घोषणा सरकार ने की। जबकि कर्मचारी की सेवाशर्तों के मुताबिक उसके सेवाकाल के आधार पर अर्जित 33 से 95 लाख रुपये की राशि भी मिलेगी।

मुआवजे को लेकर काफी असमानता सामने आई है। मुआवजे की राशि इसपर निर्भर कर रही है कि हादसे की गूंज कहां तक पहुंची। हाल की घटना राष्ट्रीय स्तर तक पहुंची, लेकिन साल 2015 से सितंबर 2018 तक प्लांट में अलग-अलग हादसों में दो दर्जन से ज्यादा कर्मचारियों की मौत हुई, अधिकांश आश्रित परिवारों को आठ लाख रुपये तक ही मुआवजा दिया गया।

loksabha election banner

हादसा अगर राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बना तो मुआवजा राशि 25 से 30 लाख रुपये तक हो जाती है। मामला अगर स्थानीय स्तर तक सीमित रह गया तो पीडि़त परिवार को आठ लाख रुपये देकर प्रबंधन अपनी जिम्मेदारी से मुक्त हो जाता है।

भिलाई स्टील प्लांट में 12 जून 2014 से पहले हुई घटनाओं में भी जितनी भी मौतें हुईं, उनके आश्रितों को आठ-आठ लाख रुपये मुआवजा दिया जाता रहा। मंगलवार को कोक ओवन गैस पाइपलाइन में ब्लास्ट होने से अभी तक 13 लोगों की मौत हो चुकी है।

राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में आई इस घटना के बाद हरकत में आई सरकार ने 30 लाख रुपये तक मुआवजा अदा करने की बात कही है। वैसे कंपनी एक्ट के तहत पांच लाख से आठ लाख रुपये तक मुआवजा राशि दी जाती है मगर इस मामले में 30 लाख देने की घोषणा की गई लिहाजा अतिरिक्त राशि को देने के लिए चुनाव आयोग से अनुमति लेनी पड़ी। छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव की घोषणा हो चुकी है।

एचएससीएल कर्मियों का और भी बुरा हाल
बीएसपी में काम कर रहे, मगर एचएससीएल से जुड़े मजदूरों का और भी बुरा हाल है। एचएससीएल मजदूरों और ठेका मजदूरों की मौत पर बीएसपी की ओर से कोई आर्थिक मदद नहीं दी जाती। बीएसपी खुद को मुख्य नियोक्ता मानने से इन्कार कर देती है क्योंकि एचएससीएल इस्पात मंत्रालय के अधीन खुद में एक कंपनी है। इसके चलते नियमित नौकरी देने का दरवाजा हमेशा के लिए बंद हो जाता है। एचएससीएल नियमित नौकरी के बजाय ठेका मजदूर के रूप में ठेकेदार द्वारा काम दिलाता है लेकिन मुआवजे की राशि को लेकर ठेकेदार से सौदेबाजी करनी पड़ती है।

इस दुखदाई हादसे में प्रभावित परिवारों को प्रदान की जाने वाली विशेष सहयोग राशि सामान्यत: दी जाने वाली मुआवजे की राशि से अतिरिक्त है। इसकी घोषणा माननीय मंत्री महोदय ने विशेष रूप से की है।
- विजय मैराल, डीजीएम पीआर, भिलाई स्टील प्लांट।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.