Move to Jagran APP

भय्यू महाराज की कार बनी ही नहीं थी, उस तिथि के फॉर्म से बदल दिया मालिक

भय्यू महाराज के ट्रस्ट के नाम रजिस्टर्ड इस कार को जिस ट्रांसफर फॉर्म के आधार पर ट्रांसफर किया गया था, वह दो साल पुराना था। उस समय तो कार का निर्माण ही नहीं हुआ था।

By Arti YadavEdited By: Published: Sun, 09 Dec 2018 11:42 AM (IST)Updated: Sun, 09 Dec 2018 11:42 AM (IST)
भय्यू महाराज की कार बनी ही नहीं थी, उस तिथि के फॉर्म से बदल दिया मालिक
भय्यू महाराज की कार बनी ही नहीं थी, उस तिथि के फॉर्म से बदल दिया मालिक

इंदौर, नईदुनिया।  मध्य प्रदेश के इंदौर में भय्यू महाराज की कार का गलत ढंग से नाम ट्रांसफर होने का मामला सामने आया है। महाराज के ट्रस्ट के नाम रजिस्टर्ड इस कार को जिस ट्रांसफर फॉर्म (फॉर्म 29) के आधार पर ट्रांसफर किया गया था, वह दो साल पुराना था। उस समय तो कार का निर्माण ही नहीं हुआ था। मामले में गड़बड़ी करने वाले बाबू देवेंद्र बनवारिया के खिलाफ आरटीओ ने जांच करने के लिए कहा है।

prime article banner

भय्यू महाराज ने फरवरी में एक कार खरीदी थी। सात फरवरी को यह कार सदगुर दत्त धार्मिक और पारमार्थिक ट्रस्ट के नाम पर रजिस्टर्ड हो गई थी। इस कार का नंबर एमपी 09 सीएक्स 7477 था, लेकिन महाराज की मौत के 13 दिन बाद 23 जून को यह कार पीएमएस रियल इस्टेट प्राइवेट लिमिटेड के नाम पर ट्रांसफर हो गई। यह कंपनी भारतीय जनता युवा मोर्चा के महामंत्री मयूरेश पिंगले की है। जब ट्रस्ट के पदाधिकारियों को इस बात की जानकारी मिली तो उन्होंने इंदौर आरटीओ में आपत्ति लगाई थी।

ऐसे पकड़ी गई गड़बड़ी
आरटीओ ने इस कार की मूल फाइल और नाम ट्रांसफर की फाइल बुलवाई। कार ट्रस्ट के नाम पर थी और रजिस्ट्रेशन के समय सचिव तुषार पाटिल के दस्तावेज लगे हुए थे। ट्रांसफर के समय भी यही दस्तावेज लगाए गए थे। प्रारंभिक परीक्षण में सचिव तुषार के हस्ताक्षर मिलान हुए। जो सही निकले, लेकिन जब ट्रांसफर के लिए जरूरी फॉर्म 29 का परीक्षण किया गया तो उस पर 22 जून 2016 की तिथि अंकित थी। पता चला कि पुराने दस्तावेज के आधार पर गाड़ी को मयूरेश की कंपनी के नाम ट्रांसफर कर दिया गया है। सूत्रों के मुताबिक आरटीओ के रिकार्ड में बाबू देवेंद्र बनवारिया इस सीरीज का काम देखते हैं। इस साल फरवरी में खरीदी कार के लिए उन्होंने दो साल पुराने फॉर्म पर भी ध्यान नहीं दिया। उस समय तो यह महंगी कार बनी भी नहीं थी। मामले में आरटीओ जितेंद्र सिंह रघुवंशी ने कहा कि जांच में जो भी दोषी होगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

रजिस्ट्रेशन कार्ड नहीं मिला तो लगा दिया झूठा शपथ पत्र
यह भी पता चला है कि गाड़ी के नाम ट्रांसफर के लिए जरूरी पुराने रजिस्ट्रेशन कार्ड के नहीं मिलने पर फाइल में झूठा शपथ पत्र भी लगा दिया गया। जिस अधिकार पत्र के आधार पर गाड़ी ट्रांसफर हुई है, उस पर तुषार पाटिल के हस्ताक्षर ही नहीं हैं। तुषार पाटिल के नाम से लगे शपथ पत्र में कहा गया है कि कार का रजिस्ट्रेशन कार्ड कहीं खो गया है, इसलिए नया रजिस्ट्रेशन कार्ड जारी कर दिया जाए। इस आवेदन पर एआरटीओ निशा चौहान ने नया रजिस्ट्रेशन कार्ड जारी करते हुए वाहन का नाम ट्रांसफर करने के आदेश भी दिए हैं।

उधर, इस मामले में काम करने के लिए अधिकृत किए गए एजेंट संजय सैनी ने जो घोषणा पत्र फाइल में लगाया है, उसमें कही भी तुषार पाटिल के हस्ताक्षर नहीं हैं। फॉर्म 20 भी पुराना है। पाटिल ने बताया कि मैं ट्रस्ट का सचिव हूं, हमारे वाहन महाराष्ट्र में भी हैं। कई बार मेरे दस्तावेज देने पड़ते हैं, लेकिन इस कार के लिए मैंने कोई दस्तावेज नहीं दिया।

सेवादार विनायक ने अपने बच्चों को स्कूल से निकाला
भय्यू महाराज का सहायक विनायक पिछले दो माह से गायब है। उसके लवकुश स्थित आवास पर ताला लगा हुआ है। उसने अपने सात और 12 साल के दोनों बच्चों को भी इंदौर के सुखलिया क्षेत्र स्थित स्कूल से निकाल लिया है। विनायक के इस तरह गायब होने से कई सवाल उठ रहे हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.