Move to Jagran APP

International Yoga Day 2019: योग ने लगाया उम्र पर ब्रेक, बनाया निरोग; खुश और पॉजिटिव

योग ने ही बढ़ती उम्र के साथ उन्हें बूढ़ा नहीं होने दिया है। निरोग और फुर्तीला बनाए रखा है। वे खुश हैं और पॉजिटिव भी ...

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Thu, 20 Jun 2019 04:03 PM (IST)Updated: Fri, 21 Jun 2019 06:11 AM (IST)
International Yoga Day 2019:  योग ने लगाया उम्र पर ब्रेक, बनाया निरोग; खुश और पॉजिटिव
International Yoga Day 2019: योग ने लगाया उम्र पर ब्रेक, बनाया निरोग; खुश और पॉजिटिव

नई दिल्ली [यशा माथुर]। हाथ से फिसलती उम्र को थाम लिया है उन्होंने, जिन्होंने योग को अपनी जिंदगी का अटूट हिस्सा बना लिया। उम्र की गणित में बेशक आगे निकल गए हैं लेकिन जोश में किसी युवा से कम नहीं। अगर दुनियाभर में ज्यादा उम्र के बुजुर्ग खोजे जाएं तो उनका योग से नाता जरूर निकलेगा। योग ने ही बढ़ती उम्र के साथ उन्हें बूढ़ा नहीं होने दिया है। निरोग और फुर्तीला बनाए रखा है। वे खुश हैं और पॉजिटिव भी ...

loksabha election banner

100 के करीब पहुंच गई हैं कोयंबटूर (तमिलनाडु) की नानाम्मल लेकिन इस उम्र में भी वह योग के सभी आसन कर लेती हैं। उनके चेहरे की मुस्कान और गजब की फुर्ती देखते ही बनती है। वह हर रोज 20 से ज्यादा आसन करती हैं। योग के लिए ही उन्हें इस साल गणतंत्र दिवस के मौके पर राष्ट्रपति द्वारा पद्मश्री सम्मान से नवाजा गया था। 123 साल के होने का दावा करते हैं वाराणसी के रहने वाले स्वामी शिवानंदजी। कहते हैं कि रोजाना योग के बूते पर ही वह इतने लंबे समय तक जीवित रह सके हैं। योग और अनुशासन उनके जीवन का मंत्र है। 100 के पार हैं ताओ पोर्चन लिंच। दुनिया की सबसे बुजुर्ग योग शिक्षक हैं। न सिर्फ फिट और सेहतमंद हैं बल्कि अमेरिका में तो योग की पोस्टरवूमन भी हैं। उनके जोश का जवाब नहीं।

योग का कमाल, 123 के हुए स्वामी जी
वाराणसी के स्वामी शिवानंद को 123 वर्ष की अवस्था में भी देखकर कोई यह नहीं कह सकता कि उनकी उम्र इतनी हो सकती है। चेहरे पर चमक, चाल में उम्र का असर नहीं। श्रवण व स्मरण शक्ति बेजोड़। स्वामी जी इसका कारण योग व आसन को मानते हैं। काशी के कबीर नगर में 1979 से निवास कर रहे स्वामी शिवानंद इससे पूर्व कोलकाता में भी रहे। यायावरी जीवन के कारण देश-विदेश में घूमते हैं। कहते हैं स्वामी जी, 'योग मेरी जीवनचर्या का अभिन्न अंग है। योग के जरिए ईश्वर से भी साक्षात्कार किया जा सकता है क्योंकि योग, नियम और आसन मन को पवित्र और एकाग्र बनाता है। यदि ये दोनों चीजें मनुष्य के अन्दर हों तो वह प्रसन्न, स्वस्थ और निर्मोही हो जाएगा। मैं यम नियम से रहता हूं और प्रसन्न रहता हूं।'

100 वर्ष की उम्र, ऊर्जा से भरपूर
अमेरिका की न्यूयॉर्क निवासी ताओ पोर्चन लिंच विश्व की सबसे उम्रदराज योग गुरु हैं। 100 वर्ष की आयु में भी किसी युवजन जैसी ऊर्जा से भरपूर हैं। वे न सिर्फ एक बेहतरीन नृत्यांगना, लेखिका, अभिनेत्री रही हैं, बल्कि हर बार उम्र की बंदिशों को तोड़, कोई न कोई कीर्तिमान स्थापित किया है। बचपन में महात्मा गांधी के साथ दांडी मार्च में हिस्सा लेने से लेकर किशोर उम्र में अंतरराष्ट्रीय स्तर की मॉडल बनना, 88 वर्ष की आयु में बॉल डांस प्रतियोगिता में शामिल होना, ताओ के कुछ अद्भुत कारनामे रहे हैं। दरअसल, पुडुचेरी में फ्रेंच पिता एवं मणिपुरी मां के घर जन्मीं ताओ का बचपन भारत में गुजरा है। वे यहीं पली-बढ़ीं। यहीं के गुरुओं से योग का प्रशिक्षण लिया और फिर दुनिया भर में इसे लोकप्रिय बनाने में जुट गईं। ताओ को उनके योगदान के लिए हाल ही में भारत सरकार ने 'पद्मश्रीÓ सम्मान से नवाजा है। वे कहती हैं, 'सकारात्मक सोच से हम जो चाहते हैं, वह बन सकते हैं। जब मैं सात वर्ष की थी, तभी पहली बार योग से परिचय हुआ। मैं पुडुचेरी में अपने घर के समीप समंदर किनारे घूमा करती थी। वहां कुछ लड़कों को अक्सर रेत पर खेलते देखती थी। मैंने उनकी गतिविधियों को फॉलो करना शुरू कर दिया। मुझे लगा कि मैंने कोई नया खेल सीख लिया है। उस शाम जब अपनी आंटी को यह सब बताया, तो उन्होंने कहा कि इसे योग कहते हैं और यह सिर्फ लड़के ही कर सकते हैं। लेकिन मैंने उनसे स्पष्ट कह दिया कि जो लड़के कर सकते हैं, वह लड़कियां भी कर सकती हैं। जब मैं आठ वर्ष की हुई, तो मैं भी उन लड़कों के साथ समुद्र तट पर योग करने लगी।'

योग ने छुड़ा दी छड़ी
गोरखपुर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति व प्रख्यात वैज्ञानिक 96 वर्षीय प्रो. बीएम शुक्ल की छड़ी इसलिए छूट गई कि उन्होंने घुटने की सूजन व दर्द का इलाज योग व प्राकृतिक चिकित्सा से किया। 20 वर्ष पहले जब वे घुटने की सूजन व दर्द से बेहाल हो गए तो गोरखपुर स्थित आरोग्य मंदिर में तीन सप्ताह तक योग व प्राकृतिक चिकित्सा का सहारा लिया। प्रो. शुक्ल के अनुसार इसके बाद उन्होंने छड़ी का प्रयोग करना छोड़ दिया। प्रो. शुक्ल 40 वर्षों से योग कर रहे हैं। प्रो. शुक्ल के अनुभवों को उनके पुत्रों ने भी अपनाया। कहते हैं प्रो. शुक्ल, 'मेरे परिवार में भी लोग योग के कारण ही स्वस्थ व प्रसन्न हैं। मेरे दो जुड़वा बेटे कमलकांत और कौशलकांत जो 68 वर्ष के हैं और अमेरिका और इंग्लैंड में रहते हैं। तीसरे बेटे 66 वर्षीय रमाकांत (अमेरिका) व छोटे बेटे 60 वर्षीय कृष्णकांत योग के कारण पूर्ण स्वास्थ्य हैं। छोटा बेटा कृष्णकांत वाराणसी में ही मेरे साथ ही रहता है। उनकी भारतीय संगीत, अध्यात्म, प्राकृतिक चिकित्सा व योग में गहरी पैठ है।'

और ऐनक उतर गई...
पूर्व केंद्रीय मंत्री व भाजपा के वरिष्ठ नेता शांता कुमार कभी ऐनक लगाते थे। उन्होंने 15 साल ऐनक लगाई और आज बिना ऐनक के पढ़ते हैं। यह संभव हो पाया योग से। 85 वर्षीय शांता कुमार ने 35 साल पहले योग शुरू किया था। वे पत्नी संतोष कुमारी के साथ जिंदल प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र, बेंगलुरु गए थे। वहां 11 दिन रहे। वहां पंजाब से आए एक व्यक्ति ने उन्हें बताया कि योग से उनकी ऐनक उतर गई है। तब शांता ने प्राकृतिक चिकित्सा के साथ आंखों से जुड़ी क्रियाएं अच्छी तरह से सीखीं। कुछ महीनों में वे बिना ऐनक ही पढऩे-लिखने लगे। फिर डॉक्टर से सलाह की और कुछ महीनों के बाद ऐनक लगाना बंद कर दी। वहीं से प्रेरणा लेकर उन्होंने वैसा ही एक केंद्र हिमाचल प्रदेश में बनाने का निर्णय लिया। स्वामी विवेकानंद व आचार्य रजनीश के प्रवचनों में योग व ध्यान के वर्णन ने उन्हें प्रभावित किया। उनकी पत्नी संतोष कुमारी प्रतिदिन योग करती हैं।

योग से आलस्य पीछे छूट गया
78 वर्ष की सरोज शर्मा 23 साल से योग की बदौलत स्वस्थ जीवन जी रही हैं। कॉलेज में संस्कृत शिक्षक पद से सेवानिवृत्त हुई सरोज शर्मा हर दिन सुबह सैर पर जाया करती थीं। एक दिन धर्मशाला कॉलेज परिसर में उन्होंने देखा कि कुछ लोग योग कर रहे हैं। उन्हें वहां बुलाया गया और 1996 का वो पहला दिन था कि जब उन्होंने योग के बारे में कुछ जाना। बस फिर योग उनके जीवन का हिस्सा बन गया। कहती हैं सरोज शर्मा, 'योग से शारीरिक, मानसिक व आध्यात्मिक लाभ ले सकते हैं। सेवानिवृत्ति से पहले कुछ आलस्य रहता था, लेकिन जब योग शुरू किया और फायदे जाने तो आलस्य पीछे छूट गया। योग से शरीर को नई ऊर्जा मिलती है। मैं योग के अनुभव घर परिवार के सदस्यों के अलावा जान-पहचान के लोगों के साथ भी बांटती हूं और उन्हें योग से जुडऩे के लिए प्रेरित करती हूं।' सरोज शर्मा हिमाचल प्रदेश के पूर्व चुनाव आयुक्त केसी शर्मा की पत्नी हैं। उनका एक बेटा रुपिन शर्मा नगालैंड में अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक के पद पर तैनात है।

सालों का योग, कर दे निरोग
योग का कमाल है कि भारतीय योग संस्थान उत्तर प्रदेश के प्रधान मुन्नी लाल यादव की 78 साल की उम्र में भी मानसिक स्थिति और चेतना बूढ़ी नहीं हुई है। भोर में 5 बजे वे कंपनी बाग पहुंच जाते हैं। करीब सवा घंटे योगासन, प्राणायाम और ध्यान करते हैं। उन्होंने 1968 में योग करना शुरू किया और 2000 में सेवानिवृत्ति के बाद तो इसे अपने जीवन का अभिन्न अंग ही बना लिया। प्रयागराज के गोविंदपुर निवासी 86 वर्षीय प्रभाकर मिश्र रिटायर्ड प्रोफेसर हैं। 20 वर्ष पहले उन्होंने योग को अपनी दिनचर्या में शामिल किया। वह सर्वाइकल की समस्या से पीडि़त थे। काफी इलाज के बाद भी आराम नहीं मिला। योग से उनकी समस्या दूर हो गई। शिवानंद अवस्थी ने भी इस साल 80 वर्ष पूरे किए। उन्हें सांस संबंधी बीमारी थी। दवा-इलाज से आराम नहीं मिल रहा था, तब योग को करीब 20 वर्ष पहले अपने जीवन का हिस्सा बनाया। सुबह तीन बजे उठकर वे अनुलोम-विलोम और कपाल भाती करते हैं, फिर मार्निंग वॉक करने जाते हैं। इससे सांस फूलने की समस्या काफी नियंत्रित हो गई। योग से वह खुद को एकदम फिट महसूस करते हैं।

युवा पीढ़ी के लिए मिसाल
योग को जीवन में नियमित रूप से अपना कर निरोग व खुश रहने वाले ये उम्रदराज लोग आज की उस युवा पीढ़ी के लिए आदर्श के समान हैं जिसकी लाइफस्टाइल में काम के घंटे तो तय हैं लेकिन खाने-पीने, सोने का कोई अनुशासन नहीं है और वे कम उम्र में ही सेहत को दांव पर लगा रहे हैं और अवसाद तक पहुंच रहे हैं। योग उनके लिए काफी कारगर सहायक हो सकता है। अभिनेत्री लारा दत्ता कहती हैं कि मैं मॉडलिंग करती हूं, फिल्मों में एक्टिंग कर रही हूं, मेरा प्रोडक्शन हाउस भी है। मां हूं, परिवार की जिम्मेदारियां हैं लेकिन मैं उन्हें भली प्रकार से निभाती हूं। योग और व्यायाम की बदौलत ही इन सब कामों के लिए ऊर्जा सहेज पाती हूं। अगर कभी तनाव होता भी है तो मेडिटेशन कर लेती हूं।

इंसुलिन लेने वाले हुए नॉर्मल
मठारू एंड मठारू इन-कारपोरेशन के चीफ एग्जीक्यूटिव अफसर-सीईओ, मैकेनिकल इंजीनियर एवं उद्योगपति मनजीत सिंह मठारू (69) की पत्नी कुछ साल पहले साइटिक पेन की बीमारी से पीडि़त हो गईं। दर्द इतना ज्यादा था कि जमीन पर पैर रखना भी असंभव था। पत्नी के स्वास्थ्य को लेकर परेशान मठारू ने पहले एलोपैथिक पद्धति में इलाज शुरू किया। इसके बाद होम्योपैथिक, आयुर्वेदिक, एक्युपंक्चर समेत कई पद्धतियों को अपना कर देखा, लेकिन किसी से फायदा नहीं हुआ। इसके बाद मठारू ने योग को स्टडी करना शुरू किया। योग के प्राणायाम एवं अन्य आसनों की गहरी स्टडी की और पत्नी का इलाज किया। आज उनकी पत्नी पूरी साइटिक के दर्द से पूरी तरह मुक्त हैं। इसके बाद उन्होंने पतंजलि में एक साल की ट्रेनिंग ली। मठारू दुगरी के फेज एक में दुर्गा माता मंदिर के पास पार्क में रोजाना सुबह हर उम्र के लोगों को योग सिखा कर उनको निरोग रहने का मंत्र देते हैं। उनके पास करीब 74 लोग रजिस्टर्ड हैं। मठारू सैकड़ों लोगों को योग से दवा मुक्त जीवन का रास्ता दिखा चुके हैं। मठारू का दावा है कि योग करने से वे 69 वर्ष की उम्र में भी पूरी तरह से तंदुरुस्त हैं और जब से योग कर रहे हैं, कभी डॉक्टर के पास नहीं गए। यहां तक की कभी जुकाम तक की दवा भी नहीं ली। उनकी पत्नी ने भी अब योग को अपने जीवन का अंग बना लिया है।

मठारू सभी प्राणायाम करते हैं और साथ ही उन्होंने विभिन्न तरह के योग करने के लिए अलग-अलग दिन का साप्ताहिक चार्ट बना रखा है। मठारू ने इंसुलिन लेने वाले शुगर के मरीजों को भी अब नॉर्मल कर दिया है। एक परिवार के सभी सदस्य शुगर से पीडि़त थे। उनके पास योग आसन सीख कर अब पूरा परिवार शुगर से मुक्त हो गया है और दवा भी छोड़ दी है। इसी तरह एक महिला के शरीर की बाईं साइड गर्मी में भी ठंडी रहती थी और उसे एक साइड पर कंबल ओढऩा पड़ता था, उसे भी मठारू ने छह माह तक विभिन्न प्राणायाम कराए और अब वह सामान्य जीवन व्यतीत कर रही है। उनका मानना है कि अब युवाओं का झुकाव भी योग की तरफ हो रहा है। वे अपने शरीर की इन बिल्ट पावर का उपयोग करके फिटनेस का मंत्र ले रहे हैं।

अहंकार दूर किया योग ने
होशियारपुर के मोहल्ला कमालपुर के रहने वाले मदन मोहन (63) को बचपन से बॉक्सिंग का शौक था। अच्छे खेल के कारण 1975 में पंजाब स्तर की बॉक्सिंग चैंपियनशिप में उन्हें जीत हासिल हुई। वह कहते हैं, 'मेरे कोच ने मुझे हिमाचल में होने वाली चैंपियनशिप में भाग लेने के लिए कहा, लेकिन तब मुझे पता चला कि हिमाचल में लोगों का स्टेमिना अधिक है, जो मेरे लिए एक नया चैलेंज था। मार्केट में उन दिनों फकीरा हिंदी फिल्म आई थी। उस फिल्म से पता चला कि योग से स्टेमिना बढ़ता है। बस उस फिल्म ने मेरी जिंदगी बदल दी और मैंने तब से योग शुरू कर दिया।' मदन मोहन योग के कारण काफी फिट हैं और अपने साथ-साथ अपने जानकारों व अन्य लोगों को योग की शिक्षा दे रहे हैं। यही नहीं 1975 से अब तक वह हिमाचल में भी योग के समय समय पर शिविर लगाते हैं और लोगों को योगाभ्यास के बारे में जानकारी देते हैं।

मदन मोहन बताते हैं कि जब मैं बॉक्सिंग करता था, तो उसमें अपने वेट से एक वेट अधिक वाले खिलाडिय़ों से मुकाबला करता था। लगातार जीत के बाद मुझे अहंकार हो गया। हिमाचल में चैंपियंनशिप में भाग लेना था, जिसके लिए मॉडल टाउन में चलने वाले योग साधन आश्रम में चले गए। जब आश्रम में गया तो वहां पर योग गुरु रिटायर्ड प्रिंसिपल चमन लाल कपूर थे। वे शांत स्वाभाव के मालिक थे। पर मेरा स्वभाव उस समय बॉक्सिंग चैंपियन होने के नाते घंमडी था। मैं पहली बार उनके पास आधा घंटा बैठा, लेकिन जब उनके पास से उठा तो मन की सारी आशंकाएं दूर हो चुकी थी। बॉक्सिंग का घमंड टूट चूका था। मन में बस यही चल रहा था कि बॉक्सिंग को केवल शौक के तौर पर रखना है और जीवन में केवल योग को ही कमाना है। आगे मदन मोहन कहते हैं, 'योग ने मेरा जीवन बदल दिया। योग ने मुझे धैर्य बख्शा है, मन शांत किया है। मैं शारीरिक तौर पर फिट हूं और मानसिक तौर पर संतुष्ट हूं। जो योग करता है उसके मन में कुदरती शांति समा जाती है। योग ने मुझे मन, कर्म, बुद्धि से ही बदल दिया। अहंकार से मुझे कोसों दूर कर दिया। योग ही जीवन का सार है।'

सीनियर सिटीजंस को सिखाते हैं योग
पटियाला में पावरकॉम से एडिशनल एसई के पद से सेवानिवृत्त राज कुमार गर्ग ने 2006 से योग को जीवन में अपनाया। अब 75 साल की उम्र में योग उनके जीवन का अभिन्न अंग बन चुका है। कहीं भी हों, सुबह और शाम वह योग करना नहीं छोड़ते। योग को अपने स्वस्थ जीवन का मंत्र मानते हैं। वह बताते हैैं कि योग से उनका पूरा जीवन ही बदल गया, खान-पान से लेकर दिनचर्या तक सुखद हो गई है। इस उम्र में जब उनके कुछ साथी बिस्तर पर हैं तो वे भाग दौड़ कर रहे हैं। रोजाना कपालभाति, अनुलोम विलोम, वस्त्रिका और मंडक आसन को नियम बनाया है। कभी-कभी दूसरे आसन कर वह शरीर को राहत देते हैं। राजकुमार सीनियर सिटीजंस को योग सिखाने के साथ-साथ युवाओं को भी योग के लिए प्रेरित करते हैं। उनके साथ पत्नी ऊषा गर्ग (69) भी योग को दिनचर्या में शामिल कर चुकी हैं।

ऊषा के मुताबिक योगासन से उनके शरीर को नई ऊर्जा मिलती है तो वे पूरे दिन चुस्त-दुरुस्त रहती हैं। योग जीवन से आलस को दूर करता है। पावरकॉम से सीनियर असिस्टेंट रिटायर होने से पहले वह योग शुरू कर चुकी थीं। पिछले 12 साल से वह योगासन कर रही हैं। पति के साथ योग क्लास और वर्कशाप लगाने में विशेष आनंद तो है ही, साथ ही उनके साथ स्वस्थ रहते हुए कदम से कदम मिलाकर चलने में आसानी हुई है। रिटायरमेंट के बाद अब दूसरों को योग के लिए प्रेरित करना लक्ष्य है। इस उम्र में तेजी से काम करते देख उनके संबंधी भी योगासन को दिनचर्या में लाने के लिए सोच रहे हैं। व्यवसायी केएल कपूर (83) के पास पहले दवाइयों के लिफाफे भरे रहते थे और अब योग ने चमत्कार किया है कि कोई दवाई नहीं लेते। वे पिछले 11 साल से लगातार योग कर रहे हैैं। कहते हैं कपूर कि अब कोई दवा नहीं लेता बस योग करता हूं। ब्लड प्रेशर को छोड़ कोई गोली नहीं लेता, ब्लड प्रेशर की गोली भी मजबूरी में लेनी पड़ती है क्योंकि परिवार के सदस्य नहीं मानते। जवानी में योग करना जीवन के लिए संजीवनी है। योग करने से डॉक्टरों से छुटकारा मिल जाता है। युवा होते ही अगर हम योग शुरू कर दें तो ये सोने पर सुहागा है। योग तो कैंसर को भी ठीक करने का मादा रखता है बशर्ते व्यक्ति में इतना संयम हो।

योग से मिलती है शतायु होने की ऊर्जा
स्वामी शिवानंद, वाराणसी ने बताया कि मैंने वृद्धावस्था को महसूस ही नहीं किया क्योंकि मैंने मन और तन दोनों को हमेशा युवा ही महसूस किया। जिसका कारण शांत व एकांत भाव से प्रतिदिन कम से दो घंटे योग से संयोग रहना है। मुझे कभी भी ब्लड प्रेशर या शुगर की बीमारी नहीं हुई। मेरे स्वस्थ रहने का कारण योग ही है। हम जब योग की मुद्रा में होते हैं तब स्वयं को प्रकृति से ज्यादा निकट पाते हैं। प्रकृति से हमें ऊर्जा मिलती है उसका प्रत्यक्ष प्रमाण मेरी उम्र है। योग है तो काया निरोग हो जाएगी और हम शतायु हो सकते हैं।

फिट हूं योग से
पूर्व केंद्रीय मंत्री व भाजपा के वरिष्ठ नेता शांता कुमार ने बताया कि योग के सहारे 85 साल की उम्र में भी फिट हूं। सुबह पांच बजे उठता हूं। छह बजे तुलसी की चाय पीता हूं। साढ़े छह बजे योग आसन, प्राणायाम और उसके बाद ध्यान करता हूं। आठ बजे हल्के गर्म पानी में नींबू और शहद लेता हूं। नौ बजे नहाने के तुरंत बाद पांच बादाम, किशमिश और एक अखरोट गिरी लेता हूं और फिर दूसरे काम शुरू होते हैं। योग के अनुभव बांटने के लिए पालमपुर में कायाकल्प की स्थापना की थी। आज कायाकल्प भारत के प्रमुख योग केंद्रों में गिना जाता है। कायाकल्प को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मान्यता मिली है। विदेश से भी यहां लोग आते हैं।

जीवन में खुशियां भर सकता है योग
योग गुरू ताओ पोर्चन लिंच कहते हैं, 100 साल पूरा करने के बावजूद मुझे खुद में कोई अंतर नहीं महसूस होता है। योग जीवन का नृत्य है। श्वास अनंत है, जो सब कार्यों को संभव बनाती है। मैंने योग से बहुत कुछ प्राप्त किया है। बीकेएस आयंगर एवं के पट्टाभि जोएस से योग का प्रशिक्षण लिया है। दोनों ही महान योग गुरु थे। मैं आयंगर की अलाइनमेंट को पसंद करती थी। उनकी पहली महिला शिष्या थी। जबकि पट्टाभि जोएस श्वसन क्रिया (प्राणायाम) में पारंगत थे। मैंने उनसे काफी कुछ सीखा और अपनी आंतरिक शक्ति को पहचान सकी। योग जीवन को खुशियों से भर सकता है। इसका अर्थ सिर्फ शारीरिक आसनों को करना नहीं, बल्कि अपने भीतर की आवाज को अभिव्यक्त करना भी है। जब हम दूसरे लोगों से मिलते हैं, तो उनके साथ एकरसता का अहसास होना, योग करने से ही आता है।

वृद्ध हूं पर स्वस्थ हूं
गोरखपुर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. बीएम शुक्ल के अनुसार उम्र के 96वें वर्ष में भी प्रतिदिन प्राणायाम, अनुलोम-विलोम और शवासन जैसे योग करता हूं। स्वस्थ रहने के लिए जीवन में योग को ही महाऔषधि माना है। वृद्धावस्था से जरूर ग्रस्त हूं लेकिन पूर्णतया स्वस्थ हूं। मैंने एलोपैथिक औषधियां बहुत पहले ही छोड़ दीं। मेरी स्मरण शक्ति मुझसे 10-15 वर्ष छोटी उम्र वालों से अच्छी है। इसका कारण सिर्फ अनुलोम-विलोम है।

योग ने बदल दिया मेरा जीवन
रूपनगर पंजाब के बलदेव कौर बताते हैं कि 100 के आंकड़े से सात साल पीछे है मेरा उम्र का पड़ाव। योग ने मेरे जीवन में ऐसा बदलाव लाया कि मैं अपने पैरों पर चलने-फिरने लगी। बीस साल हो गए हैं योग करते हुए। पहले घुटने ही काम नहीं करते थे। इसके बावजूद मैं आज भी योग करती हूं। मेरे पति स्व. प्रकाश चंद सैनी भी योग करते थे। मेरे परिवार के सदस्य नियमित योग नहीं करते, इसका मुझे मलाल है। लेकिन जब जरूरत पड़ती है तो मैं अपनी बहू को घर पर ही योग करवा देती हूं।

(इनपुट: नोएडा से अंशु सिंह, प्रयागराज से अवधेश पांडे, धर्मशाला से दिनेश कटोच, रूपनगर से अजय अग्निहोत्री, लुधियाना से राजीव शर्मा, होशियारपुर से नीरज शर्मा, पटियाला से संजय वर्मा।)

लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.