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भीख मांगने वाले हाथों में थमाई कलम

बिना किसी सरकारी सहायता के तीन छात्रों द्वारा शुरू की गई ‘बेगिंग फ्री’ मुहिम में थापर यूनिवर्सिटी के अलावा पंजाबी यूनिवर्सिटी के कुछ छात्र भी शामिल हो गए हैं।

By Srishti VermaEdited By: Published: Fri, 11 Aug 2017 09:52 AM (IST)Updated: Fri, 11 Aug 2017 09:52 AM (IST)
भीख मांगने वाले हाथों में थमाई कलम
भीख मांगने वाले हाथों में थमाई कलम

पटियाला (राज पारचा)। थापर इंजीनियरिंग यूनिवर्सिटी के तीन छात्र अनोखे मिशन पर हैं। वे गरीब, बाल मजदूरी कर रहे या भीख मांग रहे बच्चों को मुफ्त में पढ़ाते हैं। बिना किसी सरकारी सहायता के तीन छात्रों द्वारा शुरू की गई ‘बेगिंग फ्री’ मुहिम में थापर यूनिवर्सिटी के अलावा पंजाबी यूनिवर्सिटी के कुछ छात्र भी शामिल हो गए हैं। उन्होंने इस मुहिम को ‘हर हाथ कलम’ नाम दे दिया है। छात्र गांव-गांव जाकर लोगों को बाल मजदूरी न कराने के लिए जागरूक करते हैं। सड़कों व पार्कों में भीख मांगने वाले बच्चों और उनके माता-पिता को ऐसा न करने के लिए प्रेरित करते हैं।

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बच्चे की चुप्पी ने झकझोरा : ‘हर हाथ कलम’ के संरक्षक हरीश कोठारी ने बताया कि करीब तीन साल पहले वह अपने दो दोस्तों के साथ यूनिवर्सिटी के बाहर चाय पीने गए थे। इस दौरान वहां पर दीपक नामक छोटा बच्चा चाय के जूठे बर्तन धो रहा था। बच्चे से हमने पूछा कि ऐसा क्यों कर रहे हो, तो उसने कोई जवाब नहीं दिया। उसकी चुप्पी हमारे मन को झकझोर गई। इसके बाद पता चला कि उसका घर अबलोवाल में है। हम उसके घर गए। उसके माता-पिता से बात की। उन्हें राजी किया कि वे अब बच्चे से बाल मजदूरी नहीं कराएंगे। आज दस वर्षीय दीपक शाम को पांच बजे रोजाना दूसरे बच्चों के साथ पढ़ने आ रहे हैं।

70 बच्चों को बेगिंग फ्री मुहिम के  तहत पढ़ाते हैं रोज
03 साल पहले तीन दोस्तों ने गरीब  बच्चों को शुरू किया पढ़ाना
18 गांव कवर कर लिए हैं संगठन के सदस्यों ने

संगठन के सदस्यों ने 38 गांव कवर कर लिए हैं, जिनमें से 18 गांव बेगिंग फ्री हो गए हैं। गांवों में चेकिंग के लिए हमारे स्वयंसेवी समय-समय पर जाते हैं।- हरीश कोठारी, संरक्षक, हर हाथ कलम संगठन

गरीब बच्चों के लिए कॉपी व किताबों समेत अन्य सामान हम पॉकेट मनी से खरीदते हैं। संगठन के सदस्यों का जन्मदिन इन बच्चों के लिए जरूरी सामान की खरीदारी कर मनाते हैं। -हिमांशु कल्याण, सदस्य, हर हाथ
कलम संगठन।

जब से पढ़ रहा हूं, मुझे काफी अच्छा लग रहा है।- दीपक, निवासी अबलोवाल, पटियाला।

भीख मांगना छोड़ चुके बच्चों को पढ़ाने के लिए स्थान की जरूरत थी। प्रशासन ने शहर के तीन नामी स्कूलों रेयान इंटरनेशनल, सेंट पीटर्स एवं डीएवी पब्लिक स्कूल में बच्चों को पढ़ाने की मंजूरी दिला दी है। अब ये छात्र करीब 70 बच्चों को शाम पांच से सात बजे तक खुद पढ़ाते हैं। -शौकत मोहम्मद परे, एडीसी डेवलपमेंट, पटियाला।

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