विदाई से पहले इकॉनामी की तस्वीर दिखाएंगे राजन
रघुराम राजन आरबीआइ से विदा होने से पहले संसद की स्थाई समिति के समक्ष देश की अर्थव्यवस्था की मौजूदा तस्वीर पेश करेंगें।
नई दिल्ली, (हरिकिशन शर्मा)। रिजर्व बैंक गवर्नर पद पर दूसरे कार्यकाल से इनकार कर सबको चौंकाने वाले डा. रघुराम राजन आरबीआइ से विदा होने से पहले संसद की स्थाई समिति के समक्ष देश की अर्थव्यवस्था की मौजूदा तस्वीर पेश करेंगें।
राजन न सिर्फ मौजूदा आर्थिक चुनौतियों की चर्चा करेंगे बल्कि फंसे कर्ज के संकट का सामना कर रहे बैंकों की स्थिति के संबंध में माननीयों के सवालों का जवाब भी देंगे। इसके अलावा वह रिजर्व बैंक की भूमिका और केंद्रीय बैंक में सुधारों के संबंध में भी सांसदों के सवालों के जवाब देंगे।
सूत्रों ने कहा कि वित्त मामलों संबंधी संसद की स्थाई समिति ने 30 जून को होने वाली बैठक में राजन को बुलाया है। कांग्रेस नेता एम वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता वाली इस समिति ने अर्थव्यवस्था की मौजूदा स्थिति जानने के लिए आरबीआइ गवर्नर को बुलाया है। वैश्रि्वक अर्थव्यवस्था में उथल-पुथल तथा घरेलू मोर्चे पर लगातार दो साल तक मानसून कमजोर रहने के मद्देनजर हाल में महंगाई बढ़ने लगी है जबकि निर्यात में काफी समय से गिरावट आ रही है। वहीं औद्योगिक उत्पादन में भी शिथिलता है। इसलिए अर्थव्यवस्था के समक्ष चुनौतियों पर चर्चा के लिए राजन को बुलाया गया है।
सूत्रों ने कहा कि बैठक में राजन से बैंकों के फंसे कर्ज (एनपीए) के बारे में भी सवाल किए जाएंगे। बैंकों की एनपीए बढ़कर मार्च 2016 तक बढ़कर 5.78 लाख करोड़ रुपये हो गई। खास बात यह है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की एपीए मार्च 2016 में 4.76 लाख करोड़ रुपये है जबकि मार्च 2015 में यह मात्र 2.67 लाख करोड़ थीं।
सूत्रों ने कहा कि राजन रिजर्व बैंक की भूमिका और उभरती चुनौतियों से संबंधित मुद्दे पर भी चर्चा करेंगे। साथ ही आरबीआइ की पुनर्सरचना और सुधारों के बारे में भी समिति को जानकारी देंगे।
सूत्रों ने कहा कि राजन एक जुलाई को भाजपा सदस्य भूपिन्दर यादव की अध्यक्षता वाली संयुक्त संसदीय समिति की बैठक में भी शामिल होंगे। यह समिति सरफेसी कानून में संशोधन के लिए लाए गए विधेयक पर चर्चा करेगी।
वैसे यह पहला मौका नहीं है जब रिजर्व बैंक गवर्नर को संसदीय समिति ने बुलाया है। इससे पहले भी आरबीआइ गवर्नर अलग-अलग विषयों पर विचार रखने के लिए संसदीय समिति की बैठकों में शामिल हुए हैं। खास बात यह है कि वित्त मामलों संबंधी संसदीय समिति में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी शामिल हैं। सिंह अस्सी के दशक में आरबीआइ के गवर्नर रहे हैं।
नए गवर्नर के सामने रघुराम राजन के अधूरे एजेंडे का पहाड़
अर्थव्यवस्था की मौजूदा तस्वीर
विकास दर (जन-मार्च16): 7.9 प्रतिशत
थोक महंगाई दर (मई) : 0.79 प्रतिशत
खुदरा महंगाई दर (मई) : 5.76 प्रतिशत
रेपो दर (जून 2016) : 6.5 प्रतिशत
चालू खाते का घाटा : 0.10 प्रतिशत
विदेशी मुद्रा भंडार : 363 अरब डालर
एक यूएस डालर (17 जून) : 67.09 रु.
एपीए(मार्च 2016):5.78 लाख करोड़ रु.