बस्तर पुलिस ने छत्तीसगढ़ के टॉप मोस्ट नक्सलियों की सूची की जारी, जानिए किसपर कितना है ईनाम
कवर्धा पुलिस के सामने नक्सलियों के दोनों लीडरों के तिलिस्म को तोड़ने की बड़ी चुनौती है। कवर्धा जिले में तेजी से नक्सल संगठन का विस्तार हो रहा है।
कवर्धा, जेएनएन। राज्य गृह विभाग ने राज्य के टॉप नक्सली नेताओं व कमांडरों की सूची जारी की है। यह सूची बस्तर पुलिस के माध्यम से जारी की गई है। सूची में करीब दर्जन भर नक्सलियों के नाम है। लेकिन इस सूची में कबीरधाम जिले के आसपास क्षेत्रों में सक्रिय नक्सली का नाम भी शामिल है। इनमें से दो नक्सलियों की कवर्धा जिले में नक्सल विस्तार में अहम भूमिका है। पहला नाम दीपक तिलतुपड़े का है, जो कि नक्सलियों के नए गठित एमएमसी जोन (एमएससी जोन) यानी महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ का लीडर है।उसके ऊपर 40 लाख रुपए का इनाम घोषित है. वहीं, दूसरा लीडर सुरेन्द्र है, जो जीआरबी डिविजन (जीआरबी डिविजन) का इंचार्ज है। इस पर 25 लाख रुपए का इनाम घोषित है। पुलिस इनके मंसूबों को नाकाम करने की हरसंभव कोशिश कर रही है।
कवर्धा क्षेत्र में जमीन तलाश कर रहेे नक्सली
कवर्धा पुलिस के सामने नक्सलियों के दोनों लीडरों के तिलिस्म को तोड़ने की बड़ी चुनौती है। कवर्धा जिले में तेजी से नक्सल संगठन का विस्तार हो रहा है। हाल में मंडला क्षेत्र में हुए नक्सली व पुलिस मुठभेड़ में नक्सलियों के बोड़ला एरिया कमेटी संबंधित दस्तावेज, पर्च बरामद हुए है। बस्तर से पैर उखड़ने के बाद नक्सली नई जमीन की तलाश में हैं। इसके चलते अब ये संगठन विस्तार की दिशा में काम कर रहे हैं। शुरुआती दौर में नक्सलियों ने एमएमसी जोन बनाकर अलग-अलग डिविजन में बांटकर काम करना शुरू किया है। जीआरबी डिविजन यानी गोंदिया, राजनांदगांव और बालाघाट बनाकर कामकर कर रहे हैं। इसी डिविजन में कवर्धा जिला भी शामिल है. एमएमसी जोन का लीडर दिपक तिलतुपड़े है। जीआरबी डिविजन का इंचार्ज सुरेन्द्र है।
एमपी -छत्तीसगढ़ सीमा का मिलता है फायदा, फिर भी पुलिस सक्रिय
कवर्धा जिला छत्तीसगढ़ राज्य का आखिरी जिला है, इसके बाद मध्य प्रदेश की सीमा शुरू हो जाती है। मध्य प्रदेश के बालाघाट, मंडला, डिंडौरी जिला लगता है. यही वो कॉरि़डोर है जिसमें नक्सली ज्यादा सक्रिय हैं। कान्हा नेशनल पार्क सेंसेटिव एरिया में शामिल है। आम लोगों की व फोर्स की आवाजाही न के बराबर है, जिसका लाभ नक्सली उठा रहे हैं। दूसरी ओर बार्डर का फायदा नक्सलियों को मिल रहा है। क्योंकि कबीरधाम जिले से एमपी बार्डर लगता है। इस कारण नक्सलियों दो बार्डर के आसपास मुवमेंट कर रहे है। बीते माह में मंडला जिले के हुए मुटभेड़ में इस बात का खुलाशा हुआ था।
कृषि प्रधान जिला है कवर्धा
कवर्धा जिला शांत जिला माना जाता है। इसकी पहचान कृषि प्रधान जिले के रूप में है। न यहां बड़ा कोई उद्योग है और न ही व्यापारिक क्षेत्र है, न ही खनिज संसाधन। सीमित क्षेत्र में बाक्साइट का उत्खनन होता है। पुलिस के मुताबिक बस्तर जैसे हालात नक्सलियों के लिए कवर्धा में नहीं है। यही वजह है कि पांच साल से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी नक्सली अपने नापाक मंसूबों में कामयाब नहीं हो पा रहे हैं। पुलिस भी समय रहते सक्रिय हो गई है। नए-नए कैंप खोले जा रहे है। जवानों की संख्या बढ़ाई जा रही है। नक्सल एक्सपर्ट अधिकारियों की पोस्टिंग की जा रही है। जड़ जमाने से पहले ही उखाड़ने का हरसंभव प्रयास किया जा रहा है।
नक्सल समस्या की समीक्षा करने पहुंचे थे आईजी
27 जून को नक्सल समस्या को लेकर दुर्ग आईजी विवेकानंद कवर्धा पहुंचे हुए थे। तब वे वनांचल क्षेत्र का दौरा किया। दौरे से कयास लगाए जा रहे कि नक्सली के खिलाफ बड़ा ऑपरेशन किया जा सकता है। इसे लेकर आईजी ने पुलिस कैंप में पदस्थ जवानों से वन-टू-वन चर्चा भी किया था। वहीं, पुलिस युवाओं को रोजगार व स्वरोजगार से जोड़ने का प्रयास कर रही है। नक्सल प्रभावित गांव-गांव जाकर लोगों को समझा रही है. सरकार की योजनाओं का लाभ लेने व शासकीय नौकरी की दिशा में आगे बढ़ने को लेकर काम किया जा रहा है। पुलिस वो हरसंभव कोशिश कर रही हैकि स्थानीय युवा नक्सलियों की तरफ रूख न करें।
कबीरधाम के पुलिस अधीक्षक केएल ध्रुव ने बताया कि नक्सली कवर्धा जिले में स्थायी रूप से नहीं रह रहे हैं। केवल आवागमन के रूप में उपयोग कर रहे हैं. कान्हा से लगे प्रदेश के इलाके और एमपी में इनकी सक्रियता अधिक है। बावजूद इसके कवर्धा पुलिस सक्रिय है। चार-पांच एनकाउंटर हुए हैं. एक पुरुष व दो महिला यानी तीन नक्सली मारे जा चुके हैं। लगातार कैंप किया जा रहा है। गस्त बढ़ाए गए हैं। वर्तमान में जो नक्सलियों की फोटो व ईनाम की राशि जारी की गई है वह राज्य सरकार ने जारी किया है।