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जानिए-कौन है नक्सलियों का नया लीडर बसवराजू, क्यों बढ़ी सुरक्षाबलों की चिंता

बसवराजू को नक्सल संगठन भाकपा का नया लीडर बनाया गया है। वह एके 47 रायफल अपने साथ रखता है। छत्तीसगढ़, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना और महाराष्ट्र के इलाके में वह सक्रिय है।

By Arti YadavEdited By: Published: Fri, 30 Nov 2018 01:02 PM (IST)Updated: Fri, 30 Nov 2018 01:54 PM (IST)
जानिए-कौन है नक्सलियों का नया लीडर बसवराजू, क्यों बढ़ी सुरक्षाबलों की चिंता
जानिए-कौन है नक्सलियों का नया लीडर बसवराजू, क्यों बढ़ी सुरक्षाबलों की चिंता

रायपुर, जेएनएन। प्रतिबंधित नक्सल संगठन भाकपा (माओवादी) ने गणपति की जगह संगठन के नए महासचिव के नाम की अधिकारिक घोषणा कर दी है। संगठन की कमान बदलने के बाद नक्सली अपनी रणनीति भी बदल सकते हैं। उपस्थिति दर्ज कराने के लिए नक्सली हमला कर सकते हैं। इसे देखते हुए बस्तर में सुरक्षाबलों को सतर्कता बरतने के निर्देश दिए गए हैं। डीजीपी नक्सल ऑपरेशन डीएम अवस्थी ने कहा कि यह नक्सलियों के संगठन का आंतरिक परिवर्तन है। इसकी जानकारी काफी समय से थी, भले ही उन्होंने घोषणा अब की है। अवस्थी ने कहा कि हमने सुरक्षाबलों को सतर्क रहने के निर्देश दिए हैं।

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इंटेलीजेंस सूत्रों का कहना है कि बसवराजू और गणपति समेत मुख्य नक्सली नेता बस्तर के अबूझमाड़ के जंगलों में छिपे हो सकते हैं। नक्सली चीफ रहा गणपति बीमार है। बताया जा रहा है कि उसे लीवर में कुछ समस्या है। 71 साल का गणपति अभी रिटायर नहीं हुआ है। वह सेंट्रल कमेटी का सदस्य बना रहेगा। फोर्स बसवराजू के साथ ही गणपित को भी ढूंढ निकालने की कोशिश में लगातार जुटी है।

कौन है बसवराजू
वर्ष 2011 की एक इंटेलीजेंस रिपोर्ट के मुताबिक नंबला केशव राजू उर्फ बसवराजू करीब 64 साल का है। वह एके 47 रायफल अपने साथ रखता है। छत्तीसगढ़, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना और महाराष्ट्र के इलाके में वह सक्रिय है। बसवराजू पर करीब डेढ़ करोड़ का इनाम घोषित है। पिछले तीस साल से वह पकड़ में नहीं आया। सुरक्षाबलों के पास उसकी कोई ताजा तस्वीर भी नहीं है। बसवराजू आंध्रप्रदेश के श्रीकाकुलम जिले के जियनापेट्टा गांव का रहने वाला है। 1970 में उसने घर छोड़ दिया था। उसके नाम से गांव में कुछ जमीन भी है पर वह दोबारा कभी नहीं लौटा। उसने रिजनल इंजीनियरिंग कॉलेज वारंगल से बीटेक किया है।

बसवराजू को प्रकाश, कृष्णा, विजय, दरपू नरसिम्हा रेड्डी, नरसिम्हा आदि नामों से भी जाना जाता है। 1980 में आंध्रप्रदेश में सीपीआइएमएल का वह मुख्य संगठनकर्ता रहा। कई साल तक वह नक्सलियों की सेंट्रल रिजनल कमेटी में रहा। 2004 में जब पीपुल्स गुरिल्ला आर्मी और माओइस्ट कम्युनिस्ट सेंटर का विलय हुआ तो गणपति महासचिव बना। तभी बसवराजू सेंट्रल कमेटी में शामिल हुआ। उसे सेंट्रल मिलिट्री कमीशन की कमान सौंपी गई। उसकी हैसियत संगठन में नंबर दो की रही।

बम बनाने और एंबुश में माहि
नक्सलियों का नया कमांडर बसवराजू इससे पहले नक्सली मिलिट्री कमीशन का सचिव रहा। उसे बम बनाने और एंबुश लगाने में महारथ हासिल है। उसके कमान संभालने के बाद सुरक्षाबलों की चिंता बढ़ना स्वाभाविक है। पिछले करीब दो साल से लगातार बैकफुट पर रहे नक्सली अपने दो सौ से ज्यादा साथियों को खो चुके हैं। वे पलटवार कर सकते हैं। हालांकि सुरक्षाबल उनके किसी भी हमले का जवाब देने में सक्षम हैं।

बस्तर के जंगल में लगा था लिट्टे का ट्रेनिंग कैंप
एक रिपोर्ट के मुताबिक 1987 में बस्तर के जंगलों में श्रीलंका के लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (लिट्टे) ने नक्सलियों को युद्ध का प्रशिक्षण दिया था। गणपति, कोटेश्वर राव उर्फ किशन जो 2011 में मारा गया, वेणुगोपाल राव उर्फ सोनू, मल्ला राजा रेड्डी और बसवराजू ने यहीं लिट्टे से बम बनाने, एंबुश लगाने आदि की ट्रेनिंग ली थी। बसवराजू को बम बनाने का एक्सपर्ट माना जाता है। पुलिस करीब तीस साल से उसकी तलाश में है पर वह पकड़ में नहीं आ रहा है।


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