बरेली-सीतापुर फोरलेन जान पर पड़ रहा भारी, हापुड़-बरेली छह लेन की तैयारी
हापुड़ से बरेली तक छह लेन की तैयारी चल रही है, लेकिन बरेली से सीतापुर का हिस्सा फोरलेन ही नहीं बना पाया है। यहां छह लेन रोड तो दूर की कौड़ी है।
बरेली(जेएनएन)। दिल्ली-लखनऊ हाईवे को फोरलेन करने की घोषणा को डेढ़ दशक से ज्यादा बीत चुका है। काम शुरू हुए ही करीब दस साल से ज्यादा गुजर चुके हैैं। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) पूरे मार्ग को चार सेक्टर में बांटकर अलग-अलग यूनिटों को सौंपा। प्रयास बहुत अच्छा था। दिल्ली से हापुड, हापुड़ से बरेली तक और सीतापुर से लखनऊ तक कार्य समय से पूरा भी हो गया। अब हापुड़ से बरेली तक छह लेन की तैयारी चल रही है, लेकिन बरेली से सीतापुर का हिस्सा फोरलेन ही नहीं बना पाया है। यहां छह लेन रोड तो दूर की कौड़ी है। जैसे-तैसे सात साल में 80 फीसद काम खिंच पाया था, उस पर भी भारी बारिश की मार पड़ गई। अधूरा निर्माण कई जगहों से धंस गया। ऐसे में प्राधिकरण खराब हो चुके मार्ग की मरम्मत में लगा है। अधूरे मार्ग का निर्माण कब होगा, इस बारे में अधिकारी स्थिति स्पष्ट नहीं कर रहे हैैं।
टोल प्लाजा की अधूरी तैयारी, बन रही समस्या
बरेली-सीतापुर राजमार्ग का 157 किलोमीटर का हिस्सा रजऊ परसपुर से शुरू होकर पांच जिलों गुजरता है। रजऊ से सड़क फोरलेन तो हो गई है, लेकिन फिर भी डिवाइडर का काम अधूरा पड़ा है। फरीदपुर से पहले जेढ गांव के पास टोल प्लाजा का निर्माण लंबे समय से रुका हुआ है। वहां फोरलेन नहीं बना है। टू लेन से ही वाहन निकल रहे हैैं। एक ही रोड पर वाहनों के डायवर्ट होने के कारण वहां हादसे की भी आशंका बनी हुई है। टोल प्लाजा से कुछ आगे बढ़ते ही फरीदपुर बाईपास के लिए मुडऩा होता है। यह मोड़ भी काफी खतरनाक बना हुआ है।
फरीदपुर बाईपास का अंडरपास धंसा
फरीदपुर से पहले करीब पांच किलोमीटर का बाईपास बना है। इसके बीच में भूरे खां की गौटिया के पास ग्रामीणों के निकलने के लिए अंडरपास बनाया गया था। अंडरपास निर्माण के समय एक ओर पुल की दीवार नहीं बनाई गई। इसके चलते बीते दिनों सड़क एक ओर से काफी धंस गई। सड़क का लंबा भाग टूट गया है। वहां मार्ग रोककर सर्विस लेन से वाहन निकाले जा रहे हैैं। मार्ग संकरा होने और नीचे से गांवों का मार्ग भी होने के कारण वहां भी खतरा बना है।
अधूरे अंडरपास से खतरा, बना रहता जाम
फरीदपुर से निकलने के बाद द्वारिकेश चीनी मिल के पास भी अंडरपास के हाल खराब हैैं। बारिश में अंडरपास धंसने के कारण बंद है। सर्विस लेन पर ही दोनों ओर से वाहन आ रहे हैैं। यहां से नगला जानी, बाकरगंज आदि गांवों का रास्ता भी है। एक साथ वाहन आने से वहां हादसे की भी आशंका बनी हुई है। कुछ आगे निकछुआ पुलिया बनी है, जो एक ओर से बैठ गई हैै। वहां वाहन डगमगा जाते हैैं। टिसुआ व हरेला गांव के बीच बने अंडरपास की एक लेन ही चल रही है। इस पर अक्सर दोनों ओर से वाहन आ जाते हैैं। सर्विस लेन से भी वाहन गुजारे जा रहे हैैं।
बैठ गई पुलिया, शुरू नहीं हुआ पुल
फतेहगंज पूर्वी से पहले रम्पुरा पर बनी पुलिया बारिश से पहले ही बैठ गई है। वहां एक ओर से ही यातायात गुजारा जा रहा है। वन वे होने के कारण वहां हादसे और जाम की आशंका रहती है। फतेहगंज पूर्वी में अंडरपास वन वे ही चल रहा है। शाहजहांपुर से आने वाला हिस्सा बंद है। सर्विस लेन चल रही हैैं लेकिन उस पर काफी गड्ढे हैैं। मिट्टïी रोड पर आ गई है। अंडरपास के आगे बहगुल नदी के पास हुलासनगला फाटक पर सड़क काफी जर्जर होने के कारण अक्सर जाम लगता है। वहीं, बहगुल नदी पर बना पुल लंबे अरसे से वन वे ही है। बरेली से जाने वाला हिस्सा चल रहा है। आने वाला पुल तैयार हो चुका है, लेकिन उसे शुरू नहीं किया गया है। इससे वहां लंबा जाम लगता है और हादसे की भी आशंका बनी रहती हैै।
एनएचएआइ ने 680 करोड़ खर्च करने की भरी है हामी
बीते दिनों दिल्ली मुख्यालय में एनएचएआइ के मुख्य महाप्रबंधक नवेंद्र कुमार की अध्यक्षता में बैठक हुई थी। इसमें लीड बैैंक एसबीआइ के महाप्रबंधक अनिल भारद्वाज समेत अन्य सात बैैंकों के अधिकारी भी शामिल हुए। आपसी सहमति से तय हुआ कि बचा हुआ काम पूरा कराने के लिए एनएचएआइ एकमुश्त 680 करोड़ रुपये खर्च करेगा। टेंडर के जरिए सड़क निर्माण कराएगा। कार्य पूरा कराने के बाद उसे ऋणदाता बैैंक के हवाले कर देगा। बैैंकर्स टोल टैक्स की वसूली से सबसे पहले एनएचएआइ की रकम को ब्याज समेत लौटाएंगे। उसके बाद बैैंक अपनी रकम निकालेंगे। बैठक में एनएचएआइ के क्षेत्रीय अधिकारी (पश्चिमी उप्र.) चंदन वत्स, परियोजना निदेशक मुकेश शर्मा समेत अन्य अधिकारी मौजूद रहे।
सात महीने से रुका है काम
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) ने पीपीपी मॉडल के तहत 22 जून 2010 को बरेली हाईवे प्रोजेक्ट लिमिटेड कंपनी (बीएचपीएल) के साथ सड़क बनाने का अनुबंध किया था। कंपनी ने अपनी कार्यदायी संस्था इरा इंफ्रा इंजीनियङ्क्षरग लिमिटेड नोएडा से काम कराया। सड़क निर्माण का कार्य 2011 में शुरू हो पाया। फिर वर्ष 2013 में इरा कंपनी साल भर तक फरार हो गई। करीब सात महीने पहले बैैंक से रकम नहीं मिलने के कारण कंपनी काम बंद कर फरार हो गई। इधर, एनएचएआइ ने अन्य कंपनी से मरम्मत का काम शुरू करवाया है।
कंपनी के खिलाफ दर्ज हो चुकी रिपोर्ट
एनएचएआइ ने बीते दिनों फरार हो चुकी इरा कंपनी को ब्लैक लिस्ट कर दिया। कंपनी को बर्खास्त भी कर दिया है। इसके साथ ही कंपनी के मालिक के खिलाफ रिपोर्ट भी दर्ज करा दी है। इरा कंपनी की जमानत राशि के रूप में लगाए गई 55 करोड़ रुपये भी एफडीआर भी जब्त कर ली है।
बैंकों का लग चुका है करीब दो हजार करोड़
करीब 157 किलोमीटर लंबे राजमार्ग की शुरुआती लागत करीब 1951 करोड़ रुपये थी, जो बढ़कर 26 सौ करोड़ हो गई। काम 30 महीने में पूरा किया जाना था। सात साल बीतने के बाद भी करीब 80 फीसद ही काम पूरा हो पाया है। अब तक पूरे प्रोजेक्ट में बैैंकों का करीब दो हजार करोड़ रुपये खर्च हो चुका है। ऋणदाता बैैंक एनएचएआइ से मिलने वाली एकमुश्त रकम को वापस करने के बाद टोल टैक्स से अपनी रकम वसूल करेगी।
हे भगवान! कदम-कदम पर जाम
शाहजहांपुर में हाईवे पर कटरा से सीतापुर तक सफर बेहद मुश्किल है। बहगुल नदी के पुल पर पहुंचेंगे तो यहां दो पुल बने मिलेंगे, लेकिन आवागमन एक पर ही है। जिस कारण जाम रहता है। किसी तरह यहां से निकले तो हुलासनगरा रेलवे क्रासिंग को पार कर पाना आसान नहीं है। जाम से निकलने में घंटों लग जाते हैैं। यहां से तीन किमी. आगे बढऩे पर पेट्रोल पंप के पास मोड़ है, जिस पर जाम से जूझना पड़ता है। ऐसे में हाईवे के अलावा कटरा-जलालाबाद, खुदागंज जाने वाले मार्गों का ट्रैफिक भी नीचे सिंगल रोड से गुजरता है, जिस कारण पूरे दिन जाम रहता है।
एनएचएआइ के पीडी बोले, निर्माण शुरू कराने की चल रही प्रक्रिया
बरेली-सीतापुर रोड पर मरम्मत का काम फिलहाल शुरू करवा दिया गया है। बचे हुए फोरलेन का निर्माण भी करवाना है। निर्माण शुरू कराने की प्रक्रिया चल रही हैैं।
मुकेश शर्मा, परियोजना निदेशक, एनएचएआइ
प्रोजेक्ट एक नजर में
- प्रोजेक्ट - बरेली-सीतापुर मार्ग
- लंबाई - 157 किलोमीटर
- लागत - 2601 करोड़
- कार्य शुरू - एक मार्च 2011
- तय समय - 30 माह
- कार्यदायी संस्था - बरेली हाईवे प्रोजेक्ट लिमिटेड
- भूमि अधिग्रहण - 425 हेक्टेयर
- कार्य बंद रहा - जुलाई 2013 से मई 2014
- मरम्मत पर खर्च - 22 सौ करोड़
- कार्य प्रगति - 80 फीसद
- कार्य बंद - मार्च 2018 से
- रेलवे ब्रिज - चार
- बड़े पुल - आठ
- छोटे पुल - 14
- ग्रेड सेपरेटर - पांच
- व्हीकल अंडर पास - 20
- पैदल अंडर पास - 11
- बॉक्स कॉलवर्ट - 70
- पाइप की पुलिया - 120