हाई स्पीड ट्रेनों पर बंसल और चौधरी के सुर अलग
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। मनरेगा से खेती को नुकसान के आरोपों को खारिज करते हुए ग्रामीण विकास मंत्री जयराम ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखकर इसके फायदे गिनाए हैं। जयराम ने कहा है कि मंत्रालय ने मनरेगा के कार्यो की सूची में 30 अतिरिक्त कार्य जोड़े हैं, जिनका ताल्लुक खेती से है। योजना से चालू साल में ही भूमि सुधार पर छह हजार करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं, जबकि मनरेगा बजट का आधा हिस्सा जल संरक्षण पर व्यय हुआ है।
नई दिल्ली [जाब्यू]। जहां रेल मंत्री पवन कुमार बंसल ने देश में हाई स्पीड ट्रेनों के संचालन को फिलहाल मुश्किल करार दिया है, वहीं रेल राज्य मंत्री अधीर रंजन चौधरी ने यह कहकर चौंका दिया कि 12वीं योजना में कई और कॉरीडोर की घोषणा हो सकती है। रेल मंत्री व रेल राज्य मंत्री रेलवे इलेक्ट्रिकल इंजीनियर्स इंस्टीट्यूट [इरी] की ओर से आयोजित अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में बोल रहे थे।
बंसल ने सेमिनार का उद्घाटन करते हुए कहा कि हाई स्पीड ट्रेनें सबका सपना है। मगर इस सपने को हकीकत में बदलने के लिए न सिर्फ पैसों का इंतजाम करना होगा, बल्कि यह भी सुनिश्चित करना होगा कि यह पैसा वापस भी आए। ये ट्रेनें निश्चित रूप से आवागमन का बेहतरीन जरिया हैं। मगर बेहद खर्चीली होने से भारत में इन्हें लाना कठिन है। हमने छह हाई स्पीड कॉरीडोर का मंसूबा बांधा जरूर है। इनमें से मुंबई-अहमदाबाद का संभाव्यता अध्ययन भी हुआ है। मगर अकेले इस पर 63 हजार करोड़ रुपये की लागत आएगी। इतना पैसा कहां से और कैसे आएगा यह सोचने की बात है। यह भी देखना होगा कि इनका किराया लाभकारी होने के साथ लोगों की क्षमता में हो। ऐसी ट्रेनें केवल संपन्न लोगों के लिए चलें यह संभव नहीं है। हालांकि, पर्यावरण व ईधन खर्च के लिहाज से हाई स्पीड ट्रेनें सड़क व हवाई यातायात के मुकाबले बेहतर विकल्प हैं।
बंसल के बाद बोलने आए रेल राज्य मंत्री अधीर रंजन चौधरी ने हाई स्पीड ट्रेनों को लेकर आशाजनक बातें कर चौंका दिया। उन्होंने कहा कि हाई स्पीड ट्रेनें चलाना जरूरी है। अभी तक हमने छह कॉरीडोर की पहचान की है। 12वीं योजना में कई और कॉरीडोर की घोषणा होने की संभावना है।
रेलवे बोर्ड के चेयरमैन विनय कुमार मित्तल का कहना था कि जापान में सबसे पहले तोकाइदो-शिंकनसेन हाई स्पीड कॉरीडोर की शुरुआत हुई थी। तबसे अब तक दुनिया भर में ऐसे कई कॉरीडोर बन चुके हैं। फिलहाल 15 देशों में 300 किलोमीटर या इससे अधिक स्पीड की ट्रेनें चल रही हैं। सात और देश ऐसी ट्रेनें चलाने की तैयारी में हैं। इन ट्रेनों ने धन, समय और ऊर्जा की काफी बचत की है। इनसे आर्थिक गतिविधियों में इजाफा हआ है और उत्पादकता बढ़ी है। इससे जमीन का बेहतर उपयोग सुनिश्चित हुआ और दुर्घटना दर में भी कमी आई है। बाद में बंसल ने इंस्टीट्यूट द्वारा आयोजित प्रदर्शनी का भी उद्घाटन किया।
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