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कोरोना और चीन से परेशान है दुनिया, एप पर प्रतिबंध है डिजिटल स्‍ट्राइक: रविशंकर प्रसाद

रविशंकर प्रसाद ने चीन के एप बंद किए जाने को डिजिटल स्‍ट्राइक करार दिया है। उन्‍होंने कहा कि पूरी दुनिया में बस चीन का ही शोर है। ये हैं कोरोना और चीन।

By Kamal VermaEdited By: Published: Thu, 02 Jul 2020 09:33 PM (IST)Updated: Thu, 02 Jul 2020 09:33 PM (IST)
कोरोना और चीन से परेशान है दुनिया, एप पर प्रतिबंध है डिजिटल स्‍ट्राइक: रविशंकर प्रसाद
कोरोना और चीन से परेशान है दुनिया, एप पर प्रतिबंध है डिजिटल स्‍ट्राइक: रविशंकर प्रसाद

नई दिल्ली (पीटीआई)। सूचना प्रौद्योगिकी, दूरसंचार व कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने चीन के 59 एप पर लगाए गए प्रतिबंध को 'डिजिटल स्ट्राइक' करार दिया। बंगाल में भाजपा की डिजिटल रैली को संबोधित करते हुए रविशंकर प्रसाद ने कहा कि देश की जनता के डाटा की सुरक्षा अहम है और इससे समझौता नहीं किया जाएगा। उन्होंने चीनी एप के प्रतिबंध पर तृणमूल कांग्रेस के ऐतराज पर हैरानी जताई। भाजपा नेता ने कहा कि यह 1962 का भारत नहीं, बल्कि 2020 का भारत है जो न तो रुकना जानता है और न ही झुकना जानता है।

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प्रधानमंत्री के मजबूत नेतृत्व का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि भारत की ओर जो भी आंख उठाकर देखेगा, उसका करारा जवाब दिया जाएगा। उन्होंने गलवन घाटी में हुई हिंसक झड़प का उल्लेख करते हुए कहा कि सीमा की सुरक्षा करते हुए हमारे 20 जवान शहीद हुए हैं। इससे दोगुने चीनी सैनिक मारे गए। यही कारण है कि चीन अपने सैनिकों की मौत का आंकड़ा नहीं बता रहा है। भाजपा की रैली में रविशंकर प्रसाद ने बंगाल की तीनों प्रमुख पार्टियों तृणमूल कांग्रेस, सीपीएम और कांग्रेस को निशाने पर लिया।

तृणमूल कांग्रेस पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि पहले तो उसके नेता चीनी एप को प्रतिबंधित नहीं करने को लेकर केंद्र सरकार पर सवाल उठाते रहे और जब इन्हें प्रतिबंधित कर दिया गया तो इस पर भी सवाल उठा रहे हैं। लद्दाख में चीन के साथ विवाद पर चुप्पी को लेकर सीपीएम पर भी हमला किया। इसके साथ ही हर दिन सवाल उठाने के लिए कांग्रेस को भी आड़े हाथों लिया।

उन्होंने सीपीएम की ओर से चीन की निंदा नहीं करने पर हैरानी जताते हुए कहा कि इसके बजाय उसके मुखपत्र में पूरे विवाद के लिए उल्टे भारत को जिम्मेदार ठहराया गया। प्रसाद के अनुसार सीपीएम का 1962 में भी यही रवैया था और आज भी वही है। राजीव गांधी फाउंडेशन को चीनी सरकार और चीनी दूतावास से मिले फंड का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इससे चीन-भारत के बीच मुक्त व्यापार को बढ़ावा देने के लिए जो स्टडी कराई जा रही थी, वह कहीं से भी भारत के हित में नहीं है।


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