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मुंबई हिंसा के बहाने राज ठाकरे ने किया शक्ति प्रदर्शन

करीब दस दिन पहले हुई हिंसा का विरोध करने के बहाने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के अध्यक्ष राज ठाकरे ने मंगलवार को सड़कों पर शक्ति प्रदर्शन किया। साथ ही महाराष्ट्रवाद का राग अलापना भी नहीं भूले। राज्य सरकार की अनुमति न होने के बावजूद दक्षिण मुंबई की गिरगाव चौपाटी से सीएसटी रेलवे स्टेशन

By Edited By: Published: Wed, 22 Aug 2012 09:27 AM (IST)Updated: Wed, 22 Aug 2012 09:32 AM (IST)
मुंबई हिंसा के बहाने राज ठाकरे ने किया शक्ति प्रदर्शन

मुंबई, [ओमप्रकाश तिवारी]। करीब दस दिन पहले हुई हिंसा का विरोध करने के बहाने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के अध्यक्ष राज ठाकरे ने मंगलवार को सड़कों पर शक्ति प्रदर्शन किया। साथ ही महाराष्ट्रवाद का राग अलापना भी नहीं भूले। राज्य सरकार की अनुमति न होने के बावजूद दक्षिण मुंबई की गिरगाव चौपाटी से सीएसटी रेलवे स्टेशन के सामने स्थित आजाद मैदान तक यह रैली निकाली गई। इस पर पुलिस ने मनसे महासचिव शिरीष सावंत व अन्य के खिलाफ केस दर्ज किया है।

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आजाद मैदान में अपनी आक्रामक शैली में राज ठाकरे ने रजा अकादमी की रैली के दौरान हुई हिंसा के लिए बाग्लादेशी घुसपैठियों के साथ-साथ मुंबई में रह रहे अन्य बाहरी व्यक्तियों को भी जिम्मेदार बता डाला। विशेष तौर पर उन्होंने अक्सर अपने विरुद्ध खड़े होने वाले सपा प्रदेश अध्यक्ष अबू आसिम आजमी पर निशाना साधा। अपने वोटबैंक को सहेजते हुए साफ कहा कि राज ठाकरे को सिर्फ एक ही धर्म समझता है। वह है- महाराष्ट्र धर्म। पुलिस के मुताबिक करीब 63 हजार लोग इस रैली में शामिल थे। जबकि प्रत्यक्षदर्शी संख्या एक लाख बता रहे हैं।

चूंकि रजा अकादमी की रैली में पुलिस एवं मीडिया को भी जमकर निशाना बनाया गया था। इसलिए राज ने विशेषकर पुलिसवालों का दिल जीतने को कई जुमले उछाले और कहा, हमने इन लोगों के समर्थन में रैली आयोजित की है। मुंबई हिंसा के दौरान पुलिस आयुक्त अरूप पटनायक द्वारा डीसीपी को गाली देने की घटना का उल्लेख करते हुए कहा, इससे पुलिस का मनोबल गिरा है। इसलिए पुलिस आयुक्त एवं गृहमंत्री आरआर पाटिल को पद से इस्तीफा देना चाहिए। पिछले शुक्रवार को लखनऊ में तोड़ी गई गौतम बुद्ध की प्रतिमा पर मायावती, रामदास अठावले एवं प्रकाश आबेडकर जैसे नेताओं को लताड़ने में भी राज पीछे नहीं रहे। उन्होंने सवाल किया कि पाक-बाग्लादेशी घुसपैठियों द्वारा की गई ऐसी घटनाओं पर दलित नेता चुप क्यों हैं? अपने संक्षिप्त भाषण में वह काग्रेस और मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चह्वाण के खिलाफ कुछ भी बोलने से बचते रहे। राज ने पुणे धमाके और इन घटनाओं को रोकने में सरकार की विफलता पर एक भी शब्द नहीं बोला।

माना जा रहा है कि इस तरह से वह मुख्यमंत्री के साथ अपने समीकरण बनाने में कामयाब रहे। वहीं, आरआर पाटिल ने राज की इस्तीफे की माग को खारिज करते हुए रैली को राजनीतिक करार दिया। उन्होंने कहा कि राज ठाकरे भूल गए कि पिछले साल औरंगाबाद में मनसे विधायक के नेतृत्व में पुलिसकर्मियों की पिटाई की गई थी।

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