अपने देश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करे बांग्लादेश
समस्याओं चुनौतियों और प्रतिकूलताओं का सामना करते हुए सीमित संसाधनों में भी बांग्लादेश ने आगे बढ़ते रहने के उदाहरण पेश किए और पिछले 50 वर्षों में उसने एक सशक्त विकासशील और बहुआयामी दृष्टि से सफलता की सीढ़ी चढ़ने वाले राष्ट्र के रूप में अपनी छवि का निर्माण किया है।
नई दिल्ली, नंदिनी सिन्हा। एक राष्ट्र के तौर पर गठन हुए बांग्लादेश को हाल ही में 50 वर्ष पूरे हुए हैं। अस्तित्व में आते ही बांग्लादेश के सामने कई चुनौतियां थीं। पुनर्वास, गरीबी, स्वास्थ्य, शिक्षा, जनसंख्या, आर्थिक समस्या और हर साल आनेवाली प्राकृतिक आपदा इस देश को राष्ट्र निर्माण के साथ ही मिली। इसके साथ ही कृषि और औद्योगिक उत्पादन, बिजली की आपूर्ति, अंतरराष्ट्रीय व्यापार के क्षेत्र में शामिल होने, बिना किसी बड़े महत्वपूर्ण औद्योगिक आधार के संचार कायम करने जैसी चुनौती थी। समस्याओं, चुनौतियों और प्रतिकूलताओं का सामना करते हुए सीमित संसाधनों में भी बांग्लादेश ने आगे बढ़ते रहने के उदाहरण पेश किए और पिछले 50 वर्षों में उसने एक सशक्त, विकासशील और बहुआयामी दृष्टि से सफलता की सीढ़ी चढ़ने वाले राष्ट्र के रूप में अपनी छवि का निर्माण किया है। बांग्लादेश के सकारात्मक और विकासात्मक कार्यक्रमों को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र महासभा ने हाल ही में बांग्लादेश को न्यूनतम विकसित देश (एलडीसी) की श्रेणी से विकासशील देशों की सूची में शामिल करने संबंधी ऐतिहासिक प्रस्ताव को स्वीकार किया है।
पिछले लगभग दो वर्षो में कोरोना महामारी के कारण विश्व के कई देशों की आर्थिक, सामाजिक, शैक्षणिक और अन्य क्षेत्रों में हालत चरमरा गई, किंतु बांग्लादेश सरकार ने देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए बेहतर रणनीतियों को लागू कर अपना कद बढ़ाया है। कोरोना संकट से निपटने में उसकी भूमिका की सराहना संयुक्त राष्ट्र समेत विभिन्न अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने भी की। इस महामारी के दौरान प्रवासन संकट के साथ ही किसी भी प्रकार की दहशत पैदा होने से बचाव के लिए इस देश ने किसी भी संदर्भ में ‘लाकडाउन’ शब्द के इस्तेमाल से परहेज किया। लेकिन पुलिस, सेना और नागरिक प्रशासन ने मिलकर लाकडाउन को प्रभावी बनाया।
कोविड महामारी की दस्तक के पहले तक भी बांग्लादेश दक्षिण एशिया में सबसे तेजी से विस्तार करने वाली अर्थव्यवस्था वाला देश था। बांग्लादेश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में पिछले वर्ष नौ प्रतिशत की वृद्धि हुई और यह 2227 डालर तक पहुंच गया। पड़ोसी देशों से यदि इसकी तुलना की जाए तो यह काफी बड़ी उपलब्धि कही जाएगी। विकास नवाचार की वैश्विक प्रयोगशाला होने के नाते बांग्लादेश ने महामारी के दौर में स्टेकहोल्डर्स को एकजुट किया। एक अग्रणी रेडीमेड गारमेंट उत्पादक देश के रूप में बांग्लादेश अपनी आबादी और निर्यात के लिए व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण और रणनीतियों के साथ सामने आया। महामारी के दौरान फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं के लिए विशेष बीमा और प्रोत्साहन योजना लागू की गई। बांग्लादेश सरकार द्वारा ‘विजन 2021’ के सफल क्रियान्वयन के बाद ‘विजन-2041’ को लागू किया जा रहा है। देश में जल संसाधन प्रबंधन, जलवायु परिवर्तन प्रभाव और पर्यावरण विकास के मुद्दों पर विचार करते हुए दीर्घकालिक बांग्लादेश डेल्टा योजना 2100 तैयार की गई है। इस देश से गरीबी उन्मूलन के लिए सरकार प्रतिबद्ध दिख रही है और इस दिशा में निरंतर प्रयासरत है।
बांग्लादेश से देसी दवाएं, कृषि उत्पाद, रेडीमेड कपड़े, जूट उत्पाद, चमड़े के सामान, बुने हुए कपड़े, घरेलू वस्त्र, समुद्री खाद्य पदार्थ समेत चाय, आलू, हल्की वजन वाली इंजीनियरिंग वस्तुएं, मसाले, सौंदर्य प्रसाधन, चीनी मिट्टी के सामान और मछली निर्यात के लिए तैयार होना एक अवसर की तरह है। इससे देश की अर्थव्यवस्था को भी लाभ पहुंच रहा है। भारत के अलावा कंबोडिया, नेपाल और भूटान जैसे देशों के साथ द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देने के लिए बांग्लादेश अग्रसर है। बांग्लादेश ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई देशों के साथ व्यापारिक संबंध बनाए हैं जिससे कई दृष्टियों से लाभ पहुंच रहा है।
बांग्लादेश दक्षिण एशियाई देशों में तेजी से विकास करने वाली अर्थव्यवस्था वाला देश बन रहा है। इसलिए पड़ोसी देशों ने भी इस देश के साथ व्यापारिक संबंध बनाने में रुचि दिखानी शुरू कर दी है। विजन 2041 के तहत इस देश को उच्च आय वाला देश बनाने के लिए बड़े पैमाने पर औद्योगीकरण के विस्तार की कोशिश की जा रही है। जहां तक महिला सशक्तीकरण की बात है, तो बांग्लादेश की सत्ता के शीर्ष पर दो महिलाओं, खालिदा जिया और शेख हसीना ने देश की कमान सबसे लंबे समय तक संभाली और नई इबारत भी गढ़ी। हाल ही में प्रसिद्ध पत्रिका ‘फोर्ब्स’ ने दुनिया की 100 सबसे शक्तिशाली महिलाओं की सूची में बांग्लादेश की वर्तमान प्रधानमंत्री शेख हसीना को 43वां स्थान दिया है। बांग्लादेश के इतिहास में अब तक वह सबसे अधिक समय तक प्रधानमंत्री पद पर बने रहने वाली नेता हैं। कुल मिलाकर चार कार्यकाल में इस पद पर अब तक वह 17 वर्ष पूरे कर चुकी हैं।
स्वर्ण जयंती वर्ष मना रहे बांग्लादेश के सामने अभी भी कई चुनौतियां हैं। अल्पसंख्यकों के खिलाफ होनेवाली हिंसा को रोकना सबसे बड़ी चुनौती है। निकट अतीत में बांग्लादेश में जिस तरह हिंदुओं पर जुल्म हुए, उससे वहां अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर फिर से सवाल खड़े हुए हैं। शेख हसीना को प्राथमिकता के आधार पर अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ठोस उपाय करने होंगे। उन्हें देश को कट्टरता की जद से पूरी तरह बाहर निकालना होगा। इसके अलावा अर्थव्यवस्था और सामाजिक विकास में उल्लेखनीय प्रगति करने के बावजूद लोकतंत्र को संस्थागत बनाने, शासन प्रणाली में सुधार, पर्यावरण की रक्षा, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के क्षेत्र में सुधार लाने पर भी शेख हसीना को ध्यान देना होगा।
बांग्लादेश मामलों की अध्येता