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छत्तीसगढ़ में बाइक एंबुलेंस के बूते बैगा आदिवासियों में घटी शिशु मृत्युदर

छत्तीसगढ़ के कबीरधाम जिले के कलेक्टर अवनीश कुमार शरण एक बाइक एंबुलेंस का ट्रायल लेने के दौरान।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Fri, 07 Feb 2020 09:32 AM (IST)Updated: Fri, 07 Feb 2020 09:35 AM (IST)
छत्तीसगढ़ में बाइक एंबुलेंस के बूते बैगा आदिवासियों में घटी शिशु मृत्युदर
छत्तीसगढ़ में बाइक एंबुलेंस के बूते बैगा आदिवासियों में घटी शिशु मृत्युदर

रायपुर, संजीत कुमार। छत्तीसगढ़ में बाइक एंबुलेंस सेवा बड़ी सौगात साबित हुई, जहां कवर्धा जिले में एक वर्ष में ही बैगा आदिवासियों में शिशु मृत्युदर 250 से घटकर 192 हो गई। कवर्धा (कबीरधाम) जिले के दुर्गम क्षेत्र के 50 से अधिक गांवों के लोगों के लिए यह सेवा किसी वरदान से कम नहीं है। देश के अधिकांश आदिवासी क्षेत्रों से मरीज को चारपाई या कंधें पर लादकर अस्पताल पहुंचाने की तस्वीर अकसर दिखती है।

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किसी वरदान से कम नहीं है यह सेवा
करीब सालभर पहले तक कवर्धा के भी करीब 50 गांवों के हालात ऐसे ही थे। इन गांवों में विशेष संरक्षित बैगा आदिवासियों की आबादी अधिक है। पहाड़ी और जंगली होने की वजह से पूरा इलाका बेहद दुर्गम है। कुछ हिस्से नक्सल प्रभावित भी हैं। ऐसे में इन गांवों तक एंबुलेंस तो दूर स्वास्थ्य सेवाएं भी पहुंचा पाना कठिन था। ऐसे में लोग झाड़-फूंक या जड़ी-बूटी के भरोसे थे। इसका सबसे ज्यादा असर गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं पर पड़ रहा था। जिले में शिशुमृत्यु दर 250 से अधिक थी। लेकिन बाइक एबुलेंस की सुविधा शुरू होने के बाद से सालभर में ही यह आंकड़ा गिरकर 192 पर आ गया है। अब यहां संस्थागत प्रयास से स्थिति तेजी से सुधर रही है। यूनीसेफ ने भी इस कोशिश की सराहना की है।

कॉल करते ही कुछ ही देर में बाइक एंबुलस पहुंच जाती है

बैगा आदिवासी बहुल इस क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधाएं देने के लिए जुलाई 2018 में बाइक एंबुलेंस सेवा शुरू की गई थी। दलदली, बोक्करखार, झलमला, कुकदूर और छिरपानी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में पांच बाइक एंबुलेंस उपलब्ध कराई गईं। अब तक 50 गांव के 4,868 लोगों को फायदा पहुंचाया जा चुका है। शुरुआती एक साल में ही बाइक एंबुलेंस से 332 गर्भवतियों को अस्पताल पहुंचाया गया। 346 प्रसूताओं को सुरक्षित उनके घर तक पहुंचाया गया। जिले के कलेक्टर अवनीश कुमार शरण बताते हैं कि यह समेकित प्रयासों का नजीता है। बाइक एंबुलेंस की सुविधा पूरी तरह निश्शुल्क है। सभी गांवों के सरपंच, पंच, गांव के प्रमुख लोगों और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के साथ ही प्रमुख स्थानों पर बाइक एंबुलेंस सेवा का नंबर है। कॉल करते ही कुछ ही देर में बाइक एंबुलस पहुंच जाती है।

अवनीश बताते हैं, जब हमने पहली बार बाइक एंबुलेंस की पहल की, तो ग्रामीणों को यह सुनिश्चित नहीं था कि यह एंबुलेंस मरीज को सही सलामत ले जा पाएगी या नहीं। तब खुद मैंने भी इन कठिन इलाकों में कई परीक्षण सवारी कीं। खुद इसे चलाकर देखा। एक बार सेवा शुरू होने के बाद अविश्वसनीय प्रतिक्रिया हुई और इस पहल को सभी ने सराहा।

काम की सवारी...

एंबुलेंस प्राथमिक चिकित्सा आपूर्ति और सुरक्षात्मक हेलमेट से भी सुसज्जित है। कठिन क्षेत्र में भी बाइक एंबुलेंस से मरीज को ढोना सुरक्षित है। एंबुलेंस में मरीज, एक परिजन, आशा कार्यकर्ता और ड्राइवर साथ होता है। नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र तक पहुंचाती है। गर्भवती महिलाओं और नवजात बच्चों को नियमित जांच और टीकाकरण के लिए भी यह सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। एंबुलेंस में मरीज के अलावा उसके साथ एक केयर टेकर की भी बैठने की सुविधा है।


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