हॉवित्जर तोप के लिए बीएई ने लगाई महिंद्रा के नाम पर मुहर
बीएई ने होवित्जर तोप के एसेंबली, इंटिग्रेशन और टेस्टिंग फैसिलिटी के लिए महिंद्रा कंपनी को अपना पार्टनर नियुक्त किया है। महिंद्रा के साथ बीईए ने टाटा, एल एंड टी और वेम टोक्नोलॉजी के नाम पर भी विचार किया था।
नई दिल्ली। बीएई ने होवित्जर तोप के एसेंबली, इंटिग्रेशन और टेस्टिंग फैसिलिटी के लिए महिंद्रा कंपनी को अपना पार्टनर नियुक्त किया है। महिंद्रा के साथ बीईए ने टाटा, एल एंड टी और वेम टोक्नोलॉजी के नाम पर भी विचार किया था।
बतादें हाल ही में अमेरिका ने भारत को 145 M777 अल्ट्रा लाइट होवित्जर तोपें बेचने के प्रस्ताव को अंतिम रूप दे दिया है। हल्की आर्टिलरी गन श्रेणी की ये तोपें भारतीय सेना के लिए बोफोर्स तोपों का विकल्प होंगी। भारत और अमरीका के बीच 700 मिलियन की डिफेंस डील होनी लगभग तय माना जा रहा है। इस डील के मुताबिक अमरीका भारत को 145 अल्ट्रा लाइट हॉवित्जर तोपें बेचेगा। पेंटागन के सूत्रों के मुताबिक इस डील को सोमवार को फाइनल होना है वहीं फाइनल कॉन्ट्रेक्ट 180 दिन के अंदर तैयार कर लिया जाएगा।
हॉवित्जर तोप की खासियत
हॉवित्जर तोप की सबसे बड़ी खासियत ये है कि ये दूसरी तोपों के मुकाबले काफी हल्की हैं। इनको बनाने में काफी हद तक टाइटेनियम का इस्तेमाल किया गया है और ये 25 किलोमीटर दूर तक बिल्कुट सटीक तरीके से टारगेट हिट करने में सक्षम हैं। भारत की भौगोलिक स्थिति के हिसाब से ये तोपें चीन से निपटने में काफी कारगर साबित हो सकती हैं।
इस डील के मुताबिक अमेरिका सौदे में मिली राशि के 30 पसरेंट हिस्से को भारत में ही निवेश करेगा। यही नहीं इस डील के साथ ही अमरीका, रुस, इजराइल और फ्रांस को पीछे छोड़कर भारत को आर्म्स सप्लाइ करने वाला सबसे बड़ा देश बन गया है। 2007 से अब तक भारत और अमेरिका के बीच 13 बिलियन डॉलर की आर्म्स डील हो चुकी हैं।
आर्मी की लिए क्यों है जरूरी?
-1980 के बाद से इंडियन आर्मी की आर्टिलरी में कोई नई तोप शामिल नहीं की गई।
-भारत बोफोर्स का अपग्रेडेड वर्जन धनुष नाम से भारत में तैयार कर रहा है। इसकी फाइनल ट्रायल चल रही है।
-जून 2006 में हॉवित्जर का लाइट वर्जन खरीदने के लिए भारत-अमरीका की बातचीत शुरू हुई थी। भारत इन्हें चीन बॉर्डर पर तैनात करना चाहता है।
-अगस्त 2013 में अमरीका ने हॉवित्जर का नया वर्जन देने की पेशकश की, जिसकी कीमत 885 मिलियन डॉलर थी। इस मामले में दो साल तक बात आगे नहीं बढ़ी।
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