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कोरोना काल में बुजुर्गों पर टूटा दुखों का पहाड़; 20.8 फीसद ने खोए करीबी तो दु‌र्व्यवहार भी हुआ, बेटे- पुत्रवधू सबसे ऊपर

लगभग 43.1 फीसद बुजुर्गो ने कहा कि समाज में बुजुर्गो के साथ दु‌र्व्यवहार कायम है। 15.6 फीसद ने कहा कि वे दु‌र्व्यवहार के शिकार हुए। 62.1 फीसद बुजुर्गो ने महसूस किया कि कोरोना के दौरान दु‌र्व्यवहार का खतरा बढ़ गया है।

By Nitin AroraEdited By: Published: Tue, 15 Jun 2021 01:31 AM (IST)Updated: Tue, 15 Jun 2021 07:08 AM (IST)
कोरोना काल में बुजुर्गों पर टूटा दुखों का पहाड़; 20.8 फीसद ने खोए करीबी तो दु‌र्व्यवहार भी हुआ, बेटे- पुत्रवधू सबसे ऊपर
कोरोना काल में बुजुर्गों पर टूटा दुखों का पहाड़, 20.8 फीसद ने खोए करीबी तो दु‌र्व्यवहार का भी बने शिकार

नई दिल्ली, प्रेट्र। एक रिपोर्ट के अनुसार कोरोना के कारण लगभग 20.8 फीसद बुजुर्गो ने अपने परिवार के सदस्यों या दोस्तों को खोया है और उनमें से अधिकांश का मानना है कि एक बेहतर चिकित्सा और स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे से इन लोगों की जान बच सकती थी। देश में 3,526 बुजुर्गो का सर्वेक्षण कर इस रिपोर्ट को तैयार किया गया है।

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विश्व बुजुर्ग दु‌र्व्यवहार जागरूकता दिवस के मद्देनजर 'हेल्पएज इंडिया' ने छह शहरों के सर्वेक्षण द साइलेंट टारमेंटर : कोविड-19 एंड द एल्डरली के निष्कर्षो को जारी किया। अध्ययन में दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, हैदराबाद, कोलकाता और चेन्नई में 3,526 लोगों का सर्वेक्षण किया गया।

सर्वेक्षण में शामिल 20.8 फीसद लोगों ने या तो अपने परिवार के सदस्यों या दोस्तों को कोरोना से खो दिया। यह पूछे जाने पर कि इन लोगों की जान बचाने के लिए और क्या किया जा सकता था, 50.8 फीसद ने बेहतर चिकित्सा और स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे को, 44.4 फीसद ने टीकों की उपलब्धता और 38.7 फीसद ने समय पर दवाएं और टीके की उपलब्धता के संबंध में कहा।

लगभग 42.1 फीसद लोगों को कोरोना से संक्रमित होने पर अस्पताल में भर्ती होने की सबसे अधिक चिंता थी। 34.2 फीसद लोग पृथक होने से चिंतित थे। एक और बड़ी चिंता इन बुजुर्गो की दूसरों पर बढ़ती वित्तीय निर्भरता थी। सर्वेक्षण में शामिल 41.1 फीसद लोग अपने परिवार के सदस्यों पर निर्भर थे।

अध्ययन में कहा गया कि 52.2 फीसद बुजुर्गो ने कहा कि कोविड ने बुजुर्गो की आय को बेहद प्रभावित किया। नौकरी छूटना (34.9 फीसद) और परिवार के सदस्यों के वेतन में कटौती (30.2 फीसद) इसके प्रमुख कारण हैं।

बुजुर्गो के लिए महामारी के दौरान अपना स्वास्थ्य ठीक रखना कठिन हो गया। इनमें से 52.4 फीसद जोड़ों के दर्द से पीडि़त थे जबकि 44.9 फीसद को चलने में कठिनाई थी, 24.4 फीसद की दृष्टि खराब थी और 13.8 फीसद को याद रखने में समस्या थी या एकाग्रता की कमी से पीडि़त थे।

अध्ययन में कहा गया कि 58.2 फीसद बुजुर्गो को पता था कि एक टीका विकसित किया गया है जबकि 41.8 फीसद को पता नहीं था कि कोई टीका विकसित किया गया है। जागरूक लोगों में से 78.7 फीसद बुजुर्गो ने महसूस किया कि टीकाकरण वास्तव में महत्वपूर्ण था। इसमें कहा गया है कि 66.6 फीसद बुजुर्गो को कोविड के टीके की कम से कम एक खुराक मिली थी।

लगभग 43.1 फीसद बुजुर्गो ने कहा कि समाज में बुजुर्गो के साथ दु‌र्व्यवहार कायम है। 15.6 फीसद ने कहा कि वे दु‌र्व्यवहार के शिकार हुए। 62.1 फीसद बुजुर्गो ने महसूस किया कि कोरोना के दौरान, दु‌र्व्यवहार का खतरा बढ़ गया है।

दु‌र्व्यवहार करने वाले बेटे (43.8 फीसद) और पुत्रवधू (27.8 फीसद) थी, जबकि 14.2 फीसद ने कहा कि उनकी बेटियों ने उनके साथ दु‌र्व्यवहार किया। मिशन हेड-एजकेयर, हेल्पएज इंडिया के डा.इम्तियाज अहमद ने कहा कि हमें दूसरी लहर में बुजुर्गो के साथ दु‌र्व्यवहार, हिंसा और विवादों से संबंधित हमारी एल्डर हेल्पलाइन पर 1,000 से अधिक काल मिलीं, जो पहली लहर की तुलना में 18 प्रतिशत अधिक थीं।


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