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बाबरी विध्वंस सिर्फ एक घटना है: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे और 18 अन्य लोगों के खिलाफ आपराधिक षड्यंत्र का मामला चलाने के लिए दायर सीबीआई की याचिका को 27 मार्च के लिए सूचीबद्ध करते हुए सोमवार को कहा कि बाबरी मस्जिद ढहाना सिर्फ एक घटना है।

By Edited By: Published: Mon, 16 Jan 2012 05:48 PM (IST)Updated: Tue, 17 Jan 2012 06:24 PM (IST)
बाबरी विध्वंस सिर्फ एक घटना है: सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे और 18 अन्य लोगों के खिलाफ आपराधिक षड्यंत्र का मामला चलाने के लिए दायर सीबीआई की याचिका को 27 मार्च के लिए सूचीबद्ध करते हुए सोमवार को कहा कि बाबरी मस्जिद ढहाना सिर्फ एक घटना है।

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न्यायमूर्ति एच. एल. दातू और न्यायमूर्ति सी. के. प्रसाद की पीठ ने कहा कि इसके बारे में क्या मशहूर है। यह एक घटना थी जो घटी और सभी पक्ष हमारे सामने हैं। यह प्रख्यात या कुख्यात नहीं है। अदालत ने यह टिप्पणी अतिरिक्त सोलीसीटर जनरल की बात पर की। अतिरिक्त सोलीसीटर जनरल ने कार्यवाही की शुरुआत में कहा कि मामला मशहूर बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले से संबंधित है।

पीठ के समक्ष कार्यवाही नहीं हुई क्योंकि यह बताया गया कि मामले के कुछ पक्षों ने अपना जवाब दाखिल नहीं किया है। इसके बाद सुनवाई मार्च तक स्थगित कर दी गई।

सुप्रीम कोर्ट ने पिछले वर्ष चार मार्च को 21 लोगों को नोटिस जारी किया था जिसमें आडवाणी, ठाकरे, कल्याण सिंह, उमा भारती, सतीश प्रधान, सी. आर. बंसल, एम. एम. जोशी, विनय कटियार, अशोक सिंघल, गिरिराज किशोर, साध्वी ऋतंभरा, वी. एच. डालमिया, महंत अवैद्यनाथ, आर. वी. वेदांती, परमहंस राम चंद्र दास, जगदीश मुनि महाराज, बी. एल. शर्मा, नृत्य गोपाल दास, धरम दास, सतीश नागर और मोरेश्वर सावे शामिल हैं।

अदालत ने इनमें से सभी को अपना जवाब दाखिल करने को कहा है कि बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के सिलसिले में उनके खिलाफ आपराधिक षड्यंत्र के मामले क्यों न फिर से शुरू किए जाएं। इसने सीबीआई की अपील पर आदेश पारित किया जिसने 21 मई 2010 के इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी है। हाईकोर्ट ने विशेष अदालत के इस फैसले को बहाल रखा था कि नेताओं के खिलाफ आरोप खारिज कर दिए जाएं।

बहरहाल, हाईकोर्ट ने उस वक्त सीबीआई को आडवाणी एवं अन्य के खिलाफ रायबरेली की एक अदालत में अन्य आरोपों को बढ़ाने की अनुमति दे दी थी क्योंकि विवादित ढांचा उसके न्यायिक क्षेत्र में आता है। हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए सीबीआई ने अपनी एक याचिका में कहा है कि लगता है कि निचली अदालत ने नकली विशिष्टता बनाई।

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