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'देश व समाज को आगे बढ़ाने की दिशा में संघ के काम सराहनीय'

राजधानी दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यक्रम में जाने-माने उद्योगपति और विप्रो के कर्ताधर्ता अजीम प्रेमजी का शिरकत करना चर्चा का विषय बना हुआ है। उन्होंने न केवल सरसंघचालक मोहन राव भागवत के साथ मंच साझा किया बल्कि मौजूद लोगों को संबोधित भी किया।

By Sudhir JhaEdited By: Published: Mon, 06 Apr 2015 08:34 AM (IST)Updated: Mon, 06 Apr 2015 11:51 AM (IST)
'देश व समाज को आगे बढ़ाने की दिशा में संघ के काम सराहनीय'

नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यक्रम में जाने-माने उद्योगपति और विप्रो के कर्ताधर्ता अजीम प्रेमजी का शिरकत करना चर्चा का विषय बना हुआ है। उन्होंने न केवल सरसंघचालक मोहन राव भागवत के साथ मंच साझा किया बल्कि मौजूद लोगों को संबोधित भी किया।

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हालांकि आज सुबह अपना रुख स्पष्ट करते हुए प्रेमजी ने कहा, मैं संघ की विचारधारा का समर्थन नहीं करता हूं। उनके मुताबिक, कुछ लोगों ने मुझे सलाह दी थी कि मोहन भागवत के साथ मंच साझा करने से संदेश जाएगा कि मैं संघ की सोच का समर्थन करता हूं, लेकिन मैंने इसकी परवाह नहीं की। हम अच्छे कामों के लिए साथ काम करना चाहते हैं।

अजीम प्रेमजी ने कहा कि वह राजनीतिक व्यक्ति नहीं हैं। देश और समाज को आगे बढ़ाने की दिशा में संघ के काम प्रशंसनीय हैं। उनके यहां होने को उनकी विचारधारा से न जोड़ा जाए।

वहीं उद्योगपति जीएम राव ने कहा कि हमें यह समझना चाहिए कि हम समाज को किस दिशा में ले जाना चाहते हैं। हमें भविष्य को देखकर काम करना होगा ताकि समाज में शांति हो और अमीर-गरीब का अंतर मिटाया जा सके। इसके लिए हर व्यक्ति को अपनी भूमिका निभानी होगी।

इस मौके पर सरसंघचालक मोहन राव भागवत ने कहा है कि संघ को सभी तबकों की सेवा के लिए अधिक मजबूत, संगठित और व्यवस्थित करना होगा। उनका दावा है कि सेवा का यह कार्य बिना किसी भेदभाव, विशेष मकसद या स्वार्थ के होगा।

उन्होंने कहा कि दुनिया को एक शक्ल देने के लिए पिछले दो हजार सालों में जो असफल प्रयोग हुए, उससे दुनिया का मोहभंग हो चुका है। विश्व के सामने उदाहरण स्वरूप एक शांतिपूर्ण समाज की स्थापना की आवश्यकता है। हमारे देश ने नया प्रतीक, नई शांति और बंधुत्व के समाज की अवधारणा पेश की है, जहां सबको साथ लेकर चला जाता है। भारत इन्हीं सबसे मिलकर बना है और ऐसा ही समाज हमें बनाना है। संघ अपने कार्यो का विस्तार कर इन्हें और अधिक व्यवस्थित करेगा।

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