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कोरोना के इलाज में वासा और गिलोय के प्रभाव का होगा परीक्षण, आयुष मंत्रालय ने ट्रायल के प्रस्ताव को दी मंजूरी

आयुष मंत्रालय आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों के जरिए कोरोना के इलाज की संभावना तलाश रहा है। इसी कड़ी में मंत्रालय ने कोरोना के उपचार में वासा और गिलोय (गुडूची) के प्रभाव का आकलन करने के लिए क्लीनिकल ट्रायल को मंजूरी दी है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Fri, 25 Sep 2020 08:12 PM (IST)Updated: Fri, 25 Sep 2020 08:12 PM (IST)
कोरोना के इलाज में वासा और गिलोय के प्रभाव का होगा परीक्षण, आयुष मंत्रालय ने ट्रायल के प्रस्ताव को दी मंजूरी
आयुष मंत्रालय आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों के जरिये कोरोना के इलाज की संभावना तलाश रहा है।

नई दिल्ली, पीटीआइ। तेजी से फैल रहे कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए अभी तक कोई कारगर इलाज नहीं मिल पाया है। दुनियाभर में कोरोना वैक्सीन को लेकर प्रयोग चल रहे हैं। लेकिन बाजार में कब तक वैक्सीन आएगी इसके बारे में कोई भी दावे के साथ कुछ नहीं कह रहा है। ऐसे में आयुष मंत्रालय आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों के जरिये कोरोना के इलाज की संभावना तलाश रहा है। इसी कड़ी में मंत्रालय ने कोरोना के उपचार में वासा और गिलोय (गुडूची) के प्रभाव का आकलन करने के लिए क्लीनिकल ट्रायल की मंजूरी दी है।

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वासा जिसे अडूसा और लसोड़ा के नाम से भी जाना जाता है, एक झाड़ीदार पौधा है, जो औषधीय गुणों से भरपूर होता है। यह श्वास संबंधी समस्याओं के इलाज में कारगर औषधि है। कोरोना वायरस महामारी में सूखी खांसी की समस्या पहला लक्षण है। अडूसा का पौधा कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए रामबाण औषधि साबित हो सकता है, क्योंकि यह कफ को पतला कर कम करने का काम करता है। इसी तरह गिलोय रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायक है।

इसके पत्ते पान के पत्ते की तरह हरे और चौड़े होते हैं। यह लता के रूप में होता है और जिस पेड़ पर चढ़ता है उसके गुणों को अवशोषित कर लेता है। नीम पर चढ़े गिलोय को सबसे अच्छा माना जाता है। बुखार, उलटी, सूखी खांसी में भी प्रयोग किया जाता है। इन दोनों पौधों के औषधीय गुणों को देखते हुए आयुष मंत्रालय ने इनके क्लीनिकल ट्रायल के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। इसके तीन तरह के प्रयोग किए जाएंगे।

वासा घना, गिलोय घना और वासा-गिलोय घना के प्रभाव का आकलन किया जाएगा। यहां घना से मतलब रस से है, जिसे गिलोय और वासा के पौधों से निकाला जाता है। नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (एआइआइए) में सीएसआइआर (वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद) के इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी के साथ मिलकर क्लीनिकल ट्रायल किया जाएगा।

क्लीनिकल परीक्षण की कार्यप्रणाली को लेकर विस्तरित प्रस्ताव तैयार कर लिया गया है। इस अध्ययन में आयुष अनुसंधान के मुताबिक, विशिष्ट केस रिपोर्ट फोरम (सीआरएफ) का उपयोग किया जाएगा। इस अध्ययन में कोरोना संक्रमित रोगियों पर वासा और गिलोय के अलग-अलग प्रभावों के साथ ही इनके मिश्रण के प्रभाव का भी आकलन किया जाएगा।

कार्यस्थलों पर फिर से योग अवकाश

आयुष मंत्रालय ने शुक्रवार से कार्यस्थलों पर योग के लिए अवकाश की व्यवस्था फिर से शुरू कर दी है। कोरोना महामारी के चलते इसे बंद कर दिया गया था। इसके के तहत कार्यस्थल पर कर्मचारियों को योग के लिए पांच मिनट की छुट्टी दी जाती है। मंत्रालय ने कहा है कि कंप्यूटर पर लगातार काम करने से कर्मचारी काम का दबाव महसूस करते हैं। इसके चलते कई अन्य बीमारियां पैदा होती हैं। योग से न सिर्फ मानसिक दबाव कम होगा, बल्कि शरीर भी स्वस्थ रहेगा और कर्मचारी तरोताजा महसूस करेंगे।


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