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आयुष मंत्रालय की सलाह, अंग्रेजी दवाओं की रिसर्च से दूर रहें गैर आयुष वैज्ञानिक

आयुष मंत्रालय ने एक एडवाइजरी में कहा है कि गैर आयुष वैज्ञानिक अंग्रेजी दवाओं के शोध से दूर रहें। मेडिकल जरनल में गैर आयुष शोधकर्ताओं के लेख प्रकाशित करने पर भी मनाही की गई है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Fri, 10 May 2019 07:48 PM (IST)Updated: Fri, 10 May 2019 07:48 PM (IST)
आयुष मंत्रालय की सलाह, अंग्रेजी दवाओं की रिसर्च से दूर रहें गैर आयुष वैज्ञानिक
आयुष मंत्रालय की सलाह, अंग्रेजी दवाओं की रिसर्च से दूर रहें गैर आयुष वैज्ञानिक

नई दिल्ली, आइएएनएस। आयुष मंत्रालय ने एक एडवाइजरी करके गैर आयुष वैज्ञानिकों को आयुष (अंग्रेजी) दवाओं और उपचारों के संबंध में होने वाले किसी भी शोध कार्य से अलग रहने को कहा है। साथ ही वैज्ञानिक और मेडिकल जरनल के संपादकों से गैर आयुष शोधकर्ताओं के शोध प्रकाशित नहीं करने कहा है। इसमें कहा गया है कि इस तरह के शोधकर्ताओं द्वारा निकाले गए निष्कर्षो से भारत की पारंपरिक स्वास्थ्य प्रणाली की छवि को नुकसान हो सकता है।

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दो अप्रैल को इस संबंध में जारी एडवाइजरी में साफ कहा गया है कि आयुष (आयुर्वेद, योग और नेचुरोपैथी, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी) चिकित्सा प्रणाली को आधिकारिक तौर पर देश की स्वास्थ्य सेवा के अभिन्न अंग के रूप में मान्यता दी गई है। ऐसे में आयुष धारा के बाहर के शोधकर्ताओं को इसकी छवि खराब नहीं करने दी जाएगी। एडवाइजरी में कहा गया है कि अगर गैर आयुष शोधकर्ता आयुष दवा या उपचार के संबंध में किसी भी प्रकार का वैज्ञानिक अध्ययन करते हैं तो उसमें आयुष क्षेत्र के विशेषज्ञ को शामिल किया जाना चाहिए।

 वैज्ञानिकों ने कहा, एडवाइजरी पर दोबारा विचार करे सरकार
मंत्रालय के इस निर्णय पर वैज्ञानिक समुदाय ने नाराजगी जताते हुए निर्णय पर दोबारा विचार करने का आग्रह किया है। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर सुभाष लखोटिया, किशोर पटवर्धन सहित लखनऊ आयुर्वेदिक कॉलेज के संजीव रस्तोगी ने कहा कि आयुष चिकित्सा प्रणाली के संबंध में सही अध्ययन सबके सामने आ सके, इसके लिए विभिन्न क्षेत्रों के शोधकर्ताओं की स्वतंत्र ओर निष्पक्ष भागीदारी जरूरी है।

आयुर्वेदिक दवाओं की निर्माता कंपनी इमामी लिमिटेड के टेक्निकल हेल्थ केयर डिवीजन के सीईओ चंद्रकांत कटियार ने भी मंत्रालय के फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि गैर आयुष शोधकर्ताओं को आयुष क्षेत्र में अनुसंधान से अलग करने से विनाशकारी परिणाम होंगे।

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