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आयुष्‍मान भारत में जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों का आयुर्वेद के जरिए होगा मुफ्त इलाज

आयुष्मान भारत के वैलनेस सेंटर में सभी रोगों की जांच की अत्याधुनिक सुविधाएं उपलब्ध होंगी और सामान्य व जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों के लिए मुफ्त इलाज की सुविधा भी उपलब्ध होगी।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Sun, 07 Apr 2019 12:49 PM (IST)Updated: Sun, 07 Apr 2019 12:49 PM (IST)
आयुष्‍मान भारत में जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों का आयुर्वेद के जरिए होगा मुफ्त इलाज
आयुष्‍मान भारत में जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों का आयुर्वेद के जरिए होगा मुफ्त इलाज

नीलू रंजन, नई दिल्ली। देश में हर आदमी को स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने में आयुर्वेद की अहम भूमिका होगी। आयुष्मान भारत के तहत खोले जा रहे वैलनेस सेंटर में न सिर्फ सभी रोगों की जांच की अत्याधुनिक सुविधाएं उपलब्ध होंगी, बल्कि सामान्य व जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों के लिए मुफ्त इलाज की सुविधा भी उपलब्ध होगी और इसके तहत उन्हें एलोपैथ के साथ-साथ आयुर्वेदिक दवाएं भी मुहैया कराई जाएंगे। जिला अस्पतालों और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में आयुर्वेद से उपचार के पायलट प्रोजेक्ट की सफलता के बाद इसे बड़े पैमाने पर लागू करने की योजना तैयार की जा रही है।

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स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि देश के सभी नागरिकों के लिए स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए आयुष्मान भारत के तहत दो स्तरों पर काम किया जा रहा है। जहां देश के 50 करोड़ गरीबों को प्रधानमंत्री आरोग्य योजना के तहत सालाना पांच लाख रुपये तक मुफ्त और कैशलेश इलाज उपलब्ध कराया जा रहा है और इसे 100 करोड़ लोगों तक पहुंचाने पर विचार किया जा रहा है। वहीं सामान्य और खासतौर पर जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों का इलाज सर्वसुलभ बनाने के लिए 1.5 लाख वैलनेस सेंटर खोले जाने है। सरकार का लक्ष्य 2022 तक सभी वैलनेस सेंटर खोलने का है।

भविष्य में प्रधानमंत्री आरोग्य योजना और वैलनेस सेंटर को सार्वभौमिक स्वास्थ्य ठोस स्तंभ बताते हुए वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इसके पूरी तरह लागू हो जाने के बाद कोई भी व्यक्ति स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच से बाहर नहीं होगा। वैलनेस सेंटर में आयुर्वेद की अहमियत पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों जैसे उच्च रक्तचाप और मधुमेह (डायबटीज) जैसी बीमारियों का पता चलने के बाद भी शुरूआत में लोग ऐलोपैथ की दवाएं लेने से परहेज करते हैं और घरेलू नुस्खे की मदद लेते हैं।

बीमारी के लाइलाज होने के बाद मजबूरी में ऐलोपैथी दवाएं लेना शुरू करते हैं। लेकिन तब तक बीमारी गंभीर हो चुकी है। लेकिन हकीकत यह है कि देश की अत्याधुनिक लेबोरेटरी में विश्वस्तरीय आयुर्वेदिक दवाएं तैयार की जा रही है। जैसे कौंसिल फार साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रीयल रिसर्च के तहत आने वाली लखनऊ के नेशनल बोटेनैनिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट ने डायबिटीज के इलाज के लिए बीजीआर-34 नामक आयुर्वेदिक दवा विकसित की थी। यह दवा दो साल के भीतर डायबिटीज के इलाज में 20 बड़े ब्रांड में शामिल हो गई है।

उन्होंने कहा कि यदि लोगों को इसे उपलब्ध कराया जाए तो वे सहर्ष स्वीकार करेंगे। जिला अस्पतालों और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में आयुर्वेदिक दवाओं से इलाज की पायलट प्रोजेक्ट के दौरान यह साबित हो चुका है कि सामान्य बीमारियों के लिए लोग आयुर्वेदिक दवाओं को ज्यादा तरजीह देते हैं।


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