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Ayodhya Verdict: फैसले में दलीलों का हिस्सा बने कई किताबों के अंश, जानें उनके बारे में

Ayodhya Verdict राम जन्मभूमि मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान कई पुस्तकों का भी जिक्र हुआ।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Sat, 09 Nov 2019 10:24 PM (IST)Updated: Sun, 10 Nov 2019 12:16 AM (IST)
Ayodhya Verdict: फैसले में दलीलों का हिस्सा बने कई किताबों के अंश, जानें उनके बारे में
Ayodhya Verdict: फैसले में दलीलों का हिस्सा बने कई किताबों के अंश, जानें उनके बारे में

नई दिल्ली, जेएनएन। राम जन्मभूमि मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान कई पुस्तकों का भी जिक्र हुआ। इनमें ब्रिटिश इतिहासकार हंस टी. बेकर की 'अयोध्या' और सेवानिवृत्त आइपीएस किशोर कुणाल की 'अयोध्या रीविजिटेड' का नाम प्रमुखता से सामने आया।

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7 वीं सदी ईसापूर्व से 18वीं सदी के मध्य तक का लेखा- जोखा

बेकर ने अपनी किताब में सातवीं सदी ईसापूर्व से 18वीं सदी के मध्य तक का लेखा- जोखा प्रस्तुत किया है। किताब में 'अयोध्या माहात्म्य' और 'अगस्त्य संहिता' के संदर्भ भी रखे गए हैं। बेकर एक सांस्कृतिक इतिहासकार हैं और भारत को लेकर उन्होंने विशेष अध्ययन किया है। फिलहाल वह ब्रिटिश म्यूजियम पर आधारित प्रोजेक्ट 'बियॉन्ड बाउंड्रीज : रिलीजन, रीजन, लैंग्वेज एंड द स्टेट' पर काम कर रहे हैं। इसकी फंडिंग यूरोपियन रिसर्च काउंसिल द्वारा की गई है।

2014 में ब्रिटिश म्यूजियम से जुड़ने से पहले बेकर नीदरलैंड की यूनिवर्सिटी ऑफ ग्रोनिंजेन में कार्यरत थे। यहां वह इंस्टीट्यूट ऑफ इंडियन स्टडीज के डायरेक्टर थे। चौथी, पांचवीं और छठी सदी में भारत की राजनीति-धार्मिक संस्कृति बेकर के शोधकार्यो का अहम विषय रही है। उन्होंने नेपाल में संरक्षित 'स्कंद पुराण' का अध्ययन भी किया है। 'स्कंद पुराण' का यह संस्करण भारत में उपलब्ध 'स्कंद पुराण' के संस्करण से काफी अलग है।

विवादित स्थान पर राममंदिर होने की बात

सेवानिवृत्त आइपीएस किशोर कुणाल की किताब 'अयोध्या रीविजिटेड' में विवादित स्थान पर राममंदिर होने की बात कही गई है। उन्होंने हंस बेकर का कोट भी दिया है। इसके अलावा किताब में एक नक्शा भी है। ब्रिटिश काल की पुरानी फाइलों, संस्कृत में लिखे प्राचीन तथ्यों और पुरातत्व से मिले प्रमाणों को आधार बनाकर उन्होंने 20 साल के शोध के बाद किताब लिखी थी। उनकी किताब में यह दावा भी है कि बाबर कभी अयोध्या नहीं गया था। बाबर को क्लीनचिट देते हुए उन्होंने दावा किया है कि मस्जिद का निर्माण मीर बाकी ने कराया था।

उन्होंने 'बाबरनामा' का जिक्र करते हुए कहा है कि इसमें मंदिर तोड़े जाने या मस्जिद बनाए जाने का जिक्र नहीं है। किशोर कुणाल की किताब उस समय चर्चा में आ गई, जब सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान हिंदू पक्ष के वकील ने किताब में दिया नक्श पेश किया। नक्शे को मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने पांचों जजों के सामने ही फाड़ दिया था। दलीलों के दौरान 'बाबरनामा' का भी जिक्र आया। इसके अलावा 'स्कंद पुराण' और 'अयोध्या माहात्म्य' जैसे शास्त्रों व ग्रंथों के हवाले से भी दलीलें रखी गई।


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