अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के भूमिपूजन में ननिहाल की उपेक्षा पर उठे सवाल
मंदिर निर्माण समिति द्वारा निर्धारित 600 अतिथियों की सूची में भगवान राम के ननिहाल से युधिष्ठिर महाराज (सिंधी समाज के धर्म गुरु) के अलावा किसी को भी आमंत्रित नहीं किया गया है।
रायपुर, राज्य ब्यूरो। अयोध्या में राम मंदिर के भूमिपूजन में छत्तीसगढ़ के साधु-संतों और धर्माचार्यों को नहीं बुलाने का मुद्दा गरमा गया है। कांग्रेस ने सवाल किया कि जब राम मंदिर के भूमिपूजन में अडानी-अंबानी आ सकते हैं, तो आदिवासी, सतनामी, कबीरपंथी धर्मगुरु क्यों नहीं। आरएसएस, विहिप और मंदिर निर्माण समिति द्वारा निर्धारित 600 अतिथियों की सूची में भगवान राम के ननिहाल से युधिष्ठिर महाराज (सिंधी समाज के धर्म गुरु) के अलावा किसी को भी आमंत्रित नहीं किया गया है। कोसल राज्य के आदिवासी, सतनामी, कबीरपंथी धर्मगुरुओं को भी दरकिनार किया गया है। कांग्रेस ने सुझाव दिया कि माता कौशल्या के मायके के मुखिया भूपेश बघेल को सपत्नीक भूमिपूजन में आमंत्रित करना चाहिए।
कांग्रेस बोली, मंदिर निर्माण का पूर्व पीएम राजीव गांधी ने देखा था सपना
रायपुर पश्चिम विधायक और संसदीय सचिव विकास उपाध्याय ने कहा कि राम मंदिर निर्माण का सपना सबसे पहले पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने देखा था। उन्होंने 1986 में इसका शिलान्यास कर शुरुआत भी कर दी थी। राजीव गांधी के हत्या हो जाने का फायदा उठाकर भाजपा मंदिर निर्माण के नाम पर राजनीति करती रही है। उच्चतम न्यायालय मंदिर निर्माण का फैसला नहीं देती तो भाजपा आगे भी इस मुद्दे को राजनीतिक फायदे के लिए उपयोग करती रहती।
अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण यदि होने जा रहा है, तो कांग्रेस पार्टी इसकी पहला हकदार है। यह बात और है कि कांग्रेस ने अपने राजनीतिक फायदे के लिए राम मंदिर को कभी मुद्दा नहीं बनाया। वर्ष 1986 में जब फैजाबाद के जिला जज ने विवादित भूमि को लेकर फैसला सुनाया तो राजीव ने ही विवादित स्थल का ताला खुलवाया था। अब कांग्रेस पांच अगस्त को पूरे शहर को बैनर पोस्टर से सजाएगी।
माता कौशल्या के मायके को दें प्रतिनिधित्व
कांग्रेस प्रवक्ता विकास तिवारी ने कहा कि उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार है, इसलिए माता कौशल्या के मायके के धर्मगुओं के साथ अन्याय किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ बाबा गुरु घासीदास की जन्मस्थली और तपोभूमि है। दामाखेड़ा में कबीर पंथ के संस्थापक कबीरदास के वंशज निवासरत हैं। वनवास के समय मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम कौशल राज के वन क्षेत्रों में काफी समय व्यतीत किए हैं। यहां के आदिवासी समाज भी प्रभु श्रीराम पर गहरी आस्था रखते हैं और उन्हें अपना आराध्य मानते हैं। धर्मगुओं को नहीं बुलाने से पौने तीन करोड़ की आबादी वाले भगवान राम के ननिहाल में निराशा व्याप्त हो गई है।