Ayodhya Land Dispute Case: न कभी बाबर अयोध्या गया न वहां मस्जिद बनवाई
Ayodhya Land Dispute Case समिति की ओर से पेश वकील पीएन मिश्रा ने कहा कि मीर बाकी नाम का कोई व्यक्ति ही नहीं था।
नई दिल्ली, माला दीक्षित। Ayodhya Land Dispute Case: अयोध्या राम जन्मभूमि पर मालिकाना हक के मुकदमे की सुनवाई के दौरान अखिल भारतीय श्री राम जन्मभूमि पुनरुद्धार समिति ने मंगलवार को कहा कि न तो कभी बाबर अयोध्या आया था और न ही उसने वहां मस्जिद बनवाई थी। यहां तक कि मीर बाकी नाम का कोई व्यक्ति ही नहीं था। जन्मस्थान पर मंदिर था और मंदिर है।
इतना ही नहीं मुस्लिम पक्ष जिन शिलालेखों का सहारा लेकर वहां बाबर द्वारा मस्जिद बनाए जाने का दावा कर रहा है उन तीनों शिलालेखों में अंतर और विरोधाभास है। उनकी सत्यता पर संदेह है और इसीलिए हाई कोर्ट ने उन्हें स्वीकार नहीं किया था। बहस बुधवार को भी जारी रहेगी।
बाबर कभी अयोध्या नहीं आया
समिति की ओर से पेश वकील पीएन मिश्रा और उनकी सहयोगी रंजना अग्निहोत्री ने मुस्लिम पक्ष और सुन्नी वक्फ बोर्ड के मुकदमे का विरोध करते हुए कहा कि जानकारी में आने से पहले से जन्मस्थान पर मंदिर था और वहां हिंदू पूजा करते थे। बाबर कभी अयोध्या नहीं आया न ही उसने वहां मस्जिद बनवाई। जब बाबर अयोध्या गया ही नहीं तो फिर वह मस्जिद बनवाकर उसे अल्लाह को कैसे समर्पित कर सकता था? बाबरनामा में कहीं पर भी इसका जिक्र नहीं है।
इस दलील पर जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि बाबरनामा में दो दिन के पेज नहीं हैं। मिश्रा ने यह भी कहा कि मीर बाकी नाम का कोई व्यक्ति ही नहीं था (मुस्लिम पक्ष की दलील है कि बाबर के कमांडर मीर बाकी ने बादशाह के आदेश पर अयोध्या में राम जन्मभूमि पर मस्जिद बनवाई थी)। जन्मभूमि पुनरुद्धार समिति सुन्नी वक्फ बोर्ड और मुस्लिम पक्ष के मुकदमे में प्रतिवादी है।
तीन गुंबद वाले विवादित ढांचे को मस्जिद नहीं कहा जा सकता
मिश्रा ने कहा कि तीन गुंबद वाले विवादित ढांचे को मस्जिद नहीं कहा जा सकता क्योंकि उसमें मस्जिद की विशेषताएं नहीं थीं। मुस्लिम पक्ष की ओर से मस्जिद के दावे के पक्ष में दिए जा रहे तीनों शिलालेख फर्जी हैं और उनकी यह दलील हाई कोर्ट ने स्वीकार की है। हाई कोर्ट ने कहा था कि शिलालेखों में अंतर है इसलिए ये स्वीकार नहीं किए जा सकते।
इस पर जस्टिस एसए बोबडे ने पूछा कि ये शिलालेख कहां पाए गए। मिश्रा ने कहा कि एक भी शिलालेख दीवार में लगा नहीं पाया गया। तीनों किसी को किसी से मिले थे या किसी ने देखे थे और उन्हें उसके बारे में बताया। वास्तविक शिलालेख नहीं मिले हैं। इसके अलावा मस्जिद निर्माण की तिथि भी अलग-अलग बताई जा रही है। कुछ जगह तो तारीख बाबर के भारत आने के पहले की है। उन्होंने वक्फ बनाने और उसे अल्लाह को समर्पित करने की प्रक्रिया भी बताई।
1902 में एडवर्ड ने पूरी अयोध्या में स्थानों को चिन्हित किया
मिश्रा ने राम जन्मभूमि का पुराना नक्शा पेश कर बहस की शुरुआत की। नक्शे में जन्मस्थान सहित सारा ब्योरा दिया गया है। उन्होंने फैजाबाद के कलेक्टर एडवर्ड के अयोध्या में किए गए शोध और तीर्थ विवेचनी सभा बनाए जाने का ब्योरा दिया। उन्होंने कहा कि 1902 में एडवर्ड ने पूरी अयोध्या में स्थानों को चिन्हित कर कुल 158 खंबे लगवाए थे। एक खंबा जन्मस्थान पर भी लगा हुआ है।
मिश्रा ने कहा कि वह खंबा उसी जगह लगा है जिसे स्कंद पुराण में राम जन्मस्थान बताया गया है। उन्होंने वाल्मीकि रामायण का भी हवाला दिया। नीदरलैंड के शोधकर्ता हेन्स बेकर की किताब अयोध्या का भी जिक्र किया जिसमें अयोध्या का नक्शा दिया गया है। हालांकि नक्शे में दिशाओं को लेकर मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने कुछ आपत्तियां उठाई तो कोर्ट ने कहा कि जब उनकी बारी आए तो वह इस पर स्थिति स्पष्ट करें।
यह भी पढ़ें : सुप्रीम कोर्ट में ईडी के हलफनामे पर चिदंबरम का जवाब, सभी खाते और संपत्तियां वैध